Mahabharat 20th April Episode: चौसर में द्रौपदी को हारे युधिष्ठिर, फिर भरी सभा में वो हुआ जिसके कारण समाप्त हो गया वंश

Mahabharat में पांडव और कौरवों के बीच चौसर का खेल होता है. जिसके बाद चौसर खेलने के दौरान युधिष्ठर सब कुछ हार जाते है.

By Divya Keshri | April 20, 2020 2:29 PM
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Mahabharat 20th April Episode: दूरदर्शन पर धार्मिक सीरियल ‘महाभारत’ का प्रसारण जारी है. महाभारत में पांडव और कौरवों के बीच चौसर का खेल होता है. जिसके बाद चौसर खेलने के दौरान युधिष्ठिर सब कुछ हार जाते है. फिर युधिष्ठिर द्रौपदी को दांव पर लगाते हैं और ये बाजी भी दुर्योधन जीत जाता है.

दुर्योधन बाजी चलने से पहले एक शर्त रखते हैं कि अगर वह जीत जाते हैं तो महारानी द्रौपदी को उनका दासी बनना पड़ेगा. जिसके बाद दुर्योधन द्वारपाल को द्रौपदी को लाने का आदेश देते हैं. द्वारपाल द्रौपदी के पास जाते हैं और बताते हैं कि युधिष्ठिर अपने राज्य और भाइयों के साथ आपको भी हार गए हैं. द्वारपाल की यह बात सुनकर द्रौपदी काफी दुखी और क्रोधित हो जाती हैं और सभा में जाने से मना कर देती है.

इस बात से नाराज दुर्योधन अपने छोटे भाई दुशासन से कहता है कि द्रौपदी को सभा में लेकर आओ. अगर वो आने से मना करें तो उसके केश पकड़ कर उसे सभा में घसीटते हुए लेकर आना. द्रौपदी को दुशासन घसीटकर लेकर सभा में आते हैं. द्रौपदी उनके सामने गिड़गिड़ाती रहती हैं लेकिन दुशासन उनकी एक नहीं सुनते.

दुर्योधन दुशासन से कहते हैं कि द्रौपदी को मेरी जांघ पर बिठा दो. ऐसे में भीम गुस्से में आकर कहते हैं कि मैं तेरी जांघ तोड़ दूंगा अगर तूने ऐसा किया तो. द्रौपदी अपने अपमान की गाथा लेकर पहले भीष्म फिर धृतराष्ट्र और इसके बाद द्रोणाचार्य के पास जाती हैं, लेकिन सभी की नजरें अपमान से नीचे झुक जाती हैं.

दुर्योधन भरी सभा में द्रौपदी को नग्न करने के लिए दुशासन को हुकुम देते हैं. ऐसे में पांडव गुस्से में आते हैं और दुर्योधन की जीभ काटने की बात कहते हैं. द्रौपदी का दुशासन चीरहरण करते हैं. वहीं, दुर्योधन हंसते नजर आते हैं.

तभी द्रौपदी कृष्ण से मदद मागंती है और कृष्ण अपनी सखी की मदद करते हैं. जिसके बाद दुशासन एक ओर पांचाली की साड़ी उतारते चले जाते हैं और कृष्ण उन्हें साड़ी पहनाते चले जाते हैं. दुशासन द्रौपदी की साड़ी खोलते-खोलते थक जाते हैं. पूरी सभा यह देखकर हैरान है.

भीम पूरी सभा से कहते हैं कि दुशासन की छाती को जब तक चीर नहीं दूंगा अपने पूर्वजों को मुंह नहीं दिखाऊंगा. द्रौपदी गुस्से में पूरी सभा में मौजूद लोगों को श्राप देने जाती हैं तभी गांधारी उन्हें रोक लेती हैं.

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