14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Maharani Review : कुछ खामियां है तो कुछ खूबियां भी हैं, यहां पढ़ें रिव्यू

Maharani Review in Hindi : बिहार एक राज्य नहीं, बल्कि स्टेट ऑफ़ माइंड है. बिहार की राजनीति पूरे भारत को प्रभावित करती है. इसी को मद्देनजर रखते हुए सुभाष कपूर महारानी लेकर आये हैं. 90 के दशक के बिहार के स्याह इतिहास जिसमें 958 करोड़ का चारा घोटाला, चौथी पास घरेलू महिला के सत्ता के शिखर पर पहुँचने से लेकर लक्ष्मणपुर और बाथे नरसंहार भी है.

Maharani Review in Hindi

वेब सीरीज : महारानी

कलाकार : हुमा कुरैशी, सोहम शाह, विनीत कुमार, अमित सियाल, प्रमोद पाठक और अन्य

शो क्रिएटर : सुभाष कपूर

निर्देशक : करण शर्मा

ओटीटी : सोनी लिव

रेटिंग : तीन स्टार

बिहार एक राज्य नहीं, बल्कि स्टेट ऑफ़ माइंड है. बिहार की राजनीति पूरे भारत को प्रभावित करती है. इसी को मद्देनजर रखते हुए सुभाष कपूर महारानी लेकर आये हैं. 90 के दशक के बिहार के स्याह इतिहास जिसमें 958 करोड़ का चारा घोटाला, चौथी पास घरेलू महिला के सत्ता के शिखर पर पहुँचने से लेकर लक्ष्मणपुर और बाथे नरसंहार भी है. जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था लेकिन परदे पर जिस ढंग से इन घटनाक्रम को चित्रित किया गया है. वह उस कदर प्रभाव नहीं डाल पाता है जैसे उम्मीद की गयी थी.

सीरीज को देखते हुए यह बात साफ हो जाती है कि बिहार के बैकड्रॉप पर आधारित यह उस दौर की कहानी है, जब बिहार में लालू प्रसाद यादव का बोलबाला था. उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं. हालाँकि मेकर्स ने इस बात को कहीं नहीं स्वीकारा है कि उनकी यह सीरीज राबड़ी देवी की जिंदगी पर आधारित है और न ही उन्होंने दावा किया है. यही वजह रही है कि कहानी में अपने मन मुताबिक और वास्तविक घटनाओं को अपने दृष्टिकोण से दर्शाने की कोशिश की गई है.

कहानी भीमा भारती (सोहम शाह) से शुरू होती है, वह बिहार के मुख्यमंत्री हैं जिनको गोली लगती है अचानक उनकी सेहत बिगड़ने के बाद इस बात को लेकर शोर शुरू होता है कि अब उनकी गैर मौजूदगी में मुख्यमंत्री कौन बनेगा. नवीन कुमार ( अमित सियाल) और गौरी शंकर पांडे (विनीत कुमार ) इस लालसा में रहते हैं कि अब उनकी बारी आएगी. नवीन कुमार भावी युवा हैं और उनको अच्छा मत मिला हुआ है.

लेकिन बाजी तब पलट जाती है जब भीमा कहते हैं कि अब उनकी पत्नी रानी भारती ( हुमा कुरैशी ) मुख्यमंत्री होंगीं. भीमा की योजना होती हैं कि वह अपनी पत्नी के बहाने सत्ता चलाते रहेंगे. रानी भारती अंगूठाछाप हैं उन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता. वह अपने गांव में तीन बच्चों के साथ दूध दुहना, गाय पालना और गोइठा बना के खुश हैं. वह मुख्यमंत्री बन जाती हैं, लेकिन यही से कहानी में ट्विस्ट आने शुरू होते हैं.

रानी भारती पर मीडिया समेत पार्टी के कई नेता मजाक बनाते हैं. अंगूठाछाप होने के कारण संसद में भी उनका कई बार मखौल उड़ाया जाता है. फिल्म के एक दृश्य भारती कैबिनेट मीटिंग में मिश्रा जी से पूछती हैं कि ये पूरा मर्द लोग के बीच में हमको क्यों सीएम बना दिए हैं. इस एक दृश्य से स्पष्ट होता है कि बिहार की राजनीति में महिला सांसद की क्या उपस्थिति रही होगी. किस तरह हकीकत में भी महिलाओं को राजनीति के काबिल नहीं समझा जाता है. ऐसे में रानी भारती का संसद में जो भाषण है, वह महिला सशक्तिकरण को खूबसूरती से दर्शाता है.

Also Read: इस एक्ट्रेस को डेट कर रहे अनुष्का के भाई, अमिताभ बच्चन ने खरीदा 31 करोड़ का घर | टॉप 10 न्यूज

कहानी बिहार की सियासी चाल में चल रहे हलचल को दर्शाती है कि कब रानी भारती को मोहरा बनाया जाता है, कब वह इस्तेमाल हो जाती हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता है. नवीन कुमार, गौरी शंकर पांडे कब पूरा गेम बदल देते हैं, यह देखना रोचक है और इन सबके बीच एक पुरुष की मानसिकता, जिसमें महिला को केवल एक विकल्प के रूप में या कठपुतली के रूप में देखना दर्शाया गया है और अगर वह खुद से कोई निर्णय ले लें तो किस तरह उन्हें खतरनाक महिला साबित कर दिया जाता है.

कहानी में एक और पैरलल में कहानी चल रही है कि एक अफसर परवेज आलम( इनामुल हक) 950 करोड़ पशुपालन घोटाले की जांच कर रहा है. रानी भारती चाहती है कि बिहार का पैसा बिहार के जनता के पास रहे, लेकिन पशुपालन घोटाले से कई राज खुलते हैं. ऐसे में रानी क्या केवल प्यादा बन कर रह जाती है या फिर रानी के असली पावर का इस्तेमाल पाती हैं, यह सब आपको शो में देखने पर पता चलेगा.

निर्देशक ने बड़ी ही चालाकी से सारी बात और घटनाएं और किरदारों को शामिल किया है, लेकिन उन्होंने संदर्भ को पूरी तरह बदल दिया है तो अगर आप इसे एक ड्रामा के रूप में देखेंगे तो यह आपको रोचक लगेगी, लेकिन अगर आप इसे राबड़ी देवी के डोक्यू के रूप में देखेंगे तो निराशा हाथ लगेगी.

इसकी बड़ी वजह यह है कि कहानी देखते हुए आप जब रानी के साथ होते हैं तो आपको कई बार रानी से हमदर्दी हो जाती है, जबकि वास्तिकता की बात करें तो सभी जानते हैं कि बिहार की राजनीति में पशुपालन घोटाला कितना बड़ा धब्बा था और किस तरह राबड़ी देवी कैबिनेट बैठक में जाने और बाकी चीजों में कतराती थीं. ऐसे में यह बात कहना गलत नहीं हैं कि निर्देशक बिल्कुल बच बचा के निकल गए हैं. वह शायद किसी कंट्रोवर्सी में नहीं फंसना चाहते होंगे.

मेकर्स ने तांडव विवाद से शायद सबक ले लिया है. कुछ जगह पर लगता है कि मेकर्स का बोल्ड नजरिया आता, लेकिन वह खुल कर सामने नहीं आ पाया है. तो बेहतर होगा कि इसे एक राजनीति पर आधारित शो के रूप में देखा जाए, न ही इसके आधार पर बिहार की राजनीति के समीकरण को समझने की कोशिश की जाए, ऐसा हो तो सीजन दो में नवीन कुमार जो कि काल्पनिक रूप से नितीश कुमार पर आधारित है, उन पर एक अच्छी कहानी बन सकती है. यह भी बेहतर हो जब एक असली घटना पर शो नहीं बनाना है तो ऐसे विषय चुने ही न जाएँ, क्योंकि रियलिटी का रूप बदल देने से फिर शो बेवजह कम्पेरिजन में आता है. हालांकि सीरीज में सरसरी तौर पर ही सही इस बात को दिखाया है कि किस तरह से राजनीति में कुछ मठाधीश होते हैं जो परदे के पीछे से पूरी सत्ता को संभालते हैं. नेता,नक्सली, ढोंगी बाबा सबकुछ उनके कंट्रोल में है.

दृश्यों के संयोजन में तालमेल नहीं है वह बात भी अखरती है. परवेज़ आलम पहले एपिसोड में मुख्यमंत्री मैडम के कहने पर घोटालों को पर्दाफाश करने में जुटा है तीसरे में मुख्यमंत्री रानी भारती उससे मिलने जाती है और परवेज़ आलम से उनके काम के बारे में पूछती है. कहानी को दर्शाने का ऐसा ट्रीटमेंट शायद ही आम दर्शकों को पसंद आए. कहानी को जबरन खिंचा गया है. 8 एपिसोड्स में कहानी को खत्म किया जा सकता था.

अभिनय की बात करें तो हुमा कुरैशी को एक सशक्त किरदार निभाने का बेहतरीन मौका मिला है. उन्होंने मेहनत की है लेकिन वह ठेठ बिहारी अंदाज़ में नहीं जंच पाई हैं. उनके संवादों के उच्चारण में कमी रह गयी है. दमदार अंदाज़ में अमित सियाल और विनीत कुमार हैं. प्रमोद पाठक और सोहम शाह अपने अभिनय से किरदार को जीवंतता देने में कामयाब रहे हैं. बाकी के किरदारों का काम भी सराहनीय है.

कहानी में कई सारे दमदार संवाद हैं और बिहार के संदर्भ में कहे जाने वाले फ्रेज भी हैं. उमाशंकर सिंह ने शो में डायलॉग लिखे हैं और उन्होंने क्योंकि बिहार से हैं, तो बिहार को समझते हुए अच्छे संवाद लिखे हैं. सीरीज का लोकेशन और वेशभूषा भी बिहार के अनुरूप है. कुलमिलाकर कुछ खामियों और खूबियों के साथ यह वेब सीरीज मनोरजंन करने में कामयाब रही है खासकर महिला पात्र के ऊपर एक पॉलिटिकल ड्रामा सीरीज बनाने के लिए टीम की तारीफ करनी होगी. कहानी को अगले सीजन के लिए ओपन रखा गया हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें