Major Movie Review: इमोशनल कर जाती है रियल हीरो की रील फ़िल्म, पढ़ें रिव्यू
रुपहले पर्दे पर हम कई बार नायकों को देखते हैं ,मेजर असल ज़िन्दगी के नायक की कहानी है. मेजर फिल्म 26 /11 के आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने वाले भारतीय नायक मेजर उन्नीकृष्णन की कहानी है.
फ़िल्म-मेजर
निर्माता- महेश बाबू
निर्देशक-शशि किरण
कलाकार- अदिवी शेष,साई मांजरेकर,रेवती,प्रकाश राज, शोभिता धूलिपाल और अन्य
रेटिंग-ढाई
रुपहले पर्दे पर हम कई बार नायकों को देखते हैं ,मेजर असल ज़िन्दगी के नायक की कहानी है. मेजर फिल्म 26 /11 के आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने वाले भारतीय नायक मेजर उन्नीकृष्णन की कहानी है. यह फिल्म इस नायक के बहादुरी की सच्ची श्रद्धांजलि तो नहीं कही जा सकती हैं लेकिन अच्छी कोशिश ज़रूर करार दी जा सकती है.
फिल्म की कहानी की शुरुआत संदीप के बचपन से होती है , उन्हें हमेशा ही सोल्जर के यूनिफॉर्म से खासा लगाव था, जिस वजह से वह अपने माता-पिता के खिलाफ जाकर सोल्जर बनने का अपना सपना पूरा करते हैं. कहानी में उनके प्यार, माता पिता और उससे जुड़े जज्बातों को दिखाया है. सैनिक के साथ साथ इंसान के तौर पर उनके व्यक्तित्व को दर्शाया गया है.
मेजर की कहानी में इस बात को भी दिखाया गया है कि एक फौजी की ड्यूटी में उसके परिवार का भी बहुत बड़ा बलिदान देता है. जब वह अपने देश और देश वाशियों के लिए मौजूद रहता है तो अपने परिवार से दूर रहता है.आमतौर पर देशभक्ति की फिल्मों में जिन्गोइज़्म हावी होती है लेकिन यह फिल्म इनसबसे दूर है. संदीप की शहादत के बाद भी कोई भी भाषणबाज़ी यह फिल्म नहीं करती है. यह पहलु इस फिल्म को और खास बना देता है.
खामियों की बात करें तो फिल्म में ज़रूरत से ज़्यादा सिनेमैटिक लिबर्टी कई जगहों पर ली गयी है. जो फिल्म को थोड़ा ज़्यादा फ़िल्मी बना गया है. उससे लेखक और निर्देशक को थोड़ा बचना चाहिए था कहानी में संदीप के बचपन, पुणे ट्रेनिंग के बाद सीधे ताज हमले को जोड़ा गया है. संदीप की भारत के अलग अलग जगहों पर पोस्टिंग और उससे जुड़े पहलुओं को शामिल करने से फिल्म में विविधता आ सकती थी. संदीप के उनके दूसरे सैनिकों के साथ बॉन्डिंग या विवाद वाला पहलु भी फिल्म में अधूरा सा लगता है
अभिनय के पहलू पर आए तो अभिनेता अदिवि शेष ने मेजर उन्नीकृष्णन की भूमिका को बखूबी निभाने की कोशिश की है.अदिवि ने मेजर की कॉलेज बॉय की से लेकर एनएसजी कमांडर बनने के अलग अलग स्टेज को पूरी मेहनत के साथ निभाया है. रेवती और प्रकाश राज हमेशा की तरह उम्दा रहे हैं. फ़िल्म के आखिर में रेवती का अभिनय ना सिर्फ इमोशनल कर जाता है बल्कि अभिनय में उनकी रेंज को भी एक बार फिर से साबित कर देता है. साई मांजरेकर,शोभिता धूलिपाल,मुरली शर्मा अपनी भूमिकाओं में औसत रहे हैं.पाकिस्तानी आतंकी बनें एक्टर्स ठीक ठाक ही हैं.
फिल्म के दूसरे पहलुओं में इसका बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है फ़िल्म के पोस्ट प्रोडक्शन में खामियां रह गयी हैं. पाकिस्तानी एजेंट्स के विग से लेकर उनका जो कंट्रोल रूम फ़िल्म में दिखाया गया है.वो बहुत ही कमतर लगता है हाँ ताज का सेटअप ज़रूर अच्छा बन गया है. फिल्म का एक्शन सीन फिल्म के साथ न्याय करता है.
कुलमिलाकर कुछ खामियों के बावजूद यह फिल्म आपको भावुक कर जाती है. देश के इस सच्चे सपूत की अनसुनी कहानी सभी को देखनी चाहिए.