manav vij :अभिनेता मानव विज इनदिनों सोनी लिव की वेब सीरीज तनाव के दूसरे सीजन में नजर आ रहे हैं. नायक के तौर पर यह मानव का पहला शो है.इस वजह से वह इस शो को बेहद खास करार देते हैं. उनके इस शो और अब तक की अभिनय की जर्नी पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत
एक बार फिर से उसी किरदार को निभाना कितना आसान या मुश्किल रहता है ?
सबसे पहले तो मैं इसको खुशकिस्मती मानता हूं क्योंकि यह अब होने लगा है.पहले कहां ऐसा मौका मिलता था.मुझे इसमें बहुत ही अपनापन सा लगता है.लोग पहले से आपसे जुड़े हुए होते हैं.मुझे लगता है कि ओटीटी ने हमें जो सीजन का आशीर्वाद दिया है. वह बहुत खास है. किरदार एक ही होता है.ऐसा नहीं है.हर सीजन के साथ उसकी तासीर काफी बदलती रहती है.जहाँ तक निभाने की बात है तो हां दूसरी बार किरदार को करना ज्यादा आसान होता है,क्योंकि आप किरदार को पहले जानते हैं. उससे जुड़े इमोशंस को समझते हैं.मुझे लगता है कि दिक्कत तब होती है,जब आप सोचते हैं कि मुझे कुछ करके दिखाना है.अगर आप जो एक्टिंग का पाथवे होता है, जैसे कि स्क्रिप्ट और आपके निर्देशक का विजन उसको फॉलो करते जाओगे,तो आपको कोई दिक्कत नहीं होगी. मुझे लगता है कि जब भी आप इस रास्ते से अलग जाकर कुछ करना चाहते हो तो आप बुरे ही रहोगे.अगर आप पाथवे पर रहेंगे.तो आप अगर एवरेज भी रहोगे तो भी अच्छे लगोगे.
इन दिनों में भी चर्चा शुरू हो गई है कि ओटीटी पर कंटेंट काम और क्वांटिटी पर ज्यादा फोकस होने लगा है?
यह तो बाजारवाद का नियम है कि जब कोई चीज चलती है ,तो उसका मार्केट बड़ा हो जाता है. ऐसे में क्या हो जाता है कि कई लोग ऐसे भी आ जाते हैं ,जो सिनेमा नहीं प्रोजेक्ट बनाना चाहते हैं. इसको ले लो.उसको ले लो. बस हो गया प्रोजेक्ट. वह यह भूल जाते हैं कि कास्टिंग बहुत ही अहम होती है और अपने क्राफ्ट के लिए अगर आपको सच्चा होना है ,तो एक अच्छी कास्टिंग होनी बहुत जरूरी है.हां उससे पहले स्क्रिप्ट पर काम करो और फिर जो उस किरदार में फिट हो रहा है उसे मौके दो.ये स्टार।ये मार्किट वैल्यू है. इसपर सोचने से चीजें बिगड़ने लगती हैं.
अपनी अब तक की जर्नी को किस तरह से देखते हैं ?
मैं तो होम्योपैथी का डॉक्टर बनने वाला था. पांच से छह महीने महीने प्रैक्टिस भी की थी. अपनी आगे की पढ़ाई से भगाने के लिए मैंने एक्टिंग को चुना। सीरियलों से शुरुआत हुई.मैंने सास भी कभी बहू की थी, उसके बाद पंजाबी फिल्में की. लाल कप्तान में रहमत खान का रोल सभी को बहुत पसंद आया था. इसी बीच अंधाधुन आयी और वह कल्ट फिल्म बन गयी.पृथ्वीराज चौहान मेरी आखिरी फिल्म थी,जिसमें मैं विलेन बना था. लाल सिंह चड्ढा में भी मेरा निगेटिव से पॉजिटिव हो गया और तनाव सीरीज में मैं लीड के तौर मुझे ऑफर हो गयी (हंसते हुए )सभी कोई हीरो बनना चाहते हैं. मम्मी को थोड़ी ना बोल कर आया था कि मुझे विलेन बना है. तनाव मेरा पहला हीरो वाला प्रोजेक्ट है.
लेकिन आप ज्यादातर इंटेंस रोल में ही नजर आते हैं ?
मुझे इंटेंस किरदार करना बहुत पसंद है. मुझे कॉमेडी भी पसंद है. मैंने अंधाधुन फिल्म में कॉमेडी की थी,लेकिन हकीकत ये है कि मेरे पास जो मौके आएंगे। मुझे उनमें ही काम करना होगा. मेरे पास 10 से 12 प्रोजेक्ट आते हैं. उसमें से मैं दो से तीन ही कर सकता हूं. एक शो मुझसे 80 से 100 दिन लेकर जाता है. साल में दो प्रोजेक्ट ही कर सकता हूं क्योंकि मुझे अपने घर, पत्नी और पिता को भी समय देना पड़ता है. मुझे काम काम करना है,लेकिन अच्छा काम करना है. कई बार आप ज्यादा काम करने से अपने एक्सीलेंस से भी चूक जाते हैं क्योंकि आप किसी एक में बहुत अच्छा कर सकते हो,लेकिन अगर आप चार चीजें कर रहे हो,तो आप पूरे फोकस से कुछ भी नहीं कर पाएंगे. मुझे लगता है कि इंसान फोकस पर टिका हुआ है.
आप कई बड़ी फिल्मों का भी हिस्सा रहे हैं जैसे लाल सिंह चड्ढा और पृथ्वीराज क्या उनके ना चलने का नुकसान आपने भी झेला है ?
जब फिल्में चलती है तो और अच्छे प्रोजेक्ट मिलते हैं. मेहनताना भी बढ़ जाता है.इसमें कोई इनकार नहीं है ,लेकिन मैं यह भी सोचता हूं कि मुझे ऊपर वाले ने औकात से ज्यादा दिया है.उदाहरण के लिए मेरी पत्नी मेहर बहुत अच्छा टैलेंट है. गॉड गिफ्टेड एक्ट्रेस है.मैं धीरे-धीरे एक्टर बना हूं. थिएटर नहीं किया. बहुत ज्यादा फिल्में नहीं देखी है. मैं इंसान को जानता हूं. ह्यूमन साइड को जानता हूँ और उसके दर्द को.उसी के अनुसार मैं एक्टिंग कर लेता हूँ.
आपकी पत्नी मेहर भी एक्ट्रेस हैं क्या कभी प्रतिस्पर्धा की भावना भी हावी होती है ?
मेरी पत्नी मेरे को आप इंस्पिरेशन कह सकते हैं. बजरंगी भाईजान साइन की थी.उसके तुरंत बाद मैंने उड़ता पंजाब की थी. मुझे लगा कि मुझे यह बहुत अच्छे से करना ही है.मेरे मॉम डैड ने मुझे अच्छी परवरिश दी है.यह सिखाया है कि किसी के भी सिर पर मत चढ़ो. खाना पूछो. किसी दूसरे से नहीं खुद से प्रतिस्पर्धा करो. हां जब मेहर अपनी किसी फिल्म या शो में बहुत अच्छा करती है , तो मुझ पर भी अच्छा करने का प्रेशर बढ़ जाता है. दिमाग में ये बात आती है कि कल को लोग ये ना बोले कि वह इतनी अच्छी एक्ट्रेस है और ये तो मेहनत भी नहीं करता है.उसकी वजह से मैंने और ज्यादा मेहनत करनी शुरू कर दी. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि मेरे सारे किरदार मेहर ही चुनती है .वह क्रिटिक भी है और तारीफ़ करने से भी नहीं चूकती है. जिओ पर शॉर्ट फिल्म बिरहा आई थी.उसको देखकर वह फूट फूटकर रोने लगी थी. वह उसके दिल को इतना छू गया था.जिसके बाद उसे खुश करने के लिए मुझे उसे शॉपिंग पर ले जाना पड़ा.
आप पर फॅमिली शुरू करने का दबाव नहीं है?
मैं ये सब के बारे में नहीं सोचंता हूँ.वैसे भी फॅमिली शुरू करने का पूरा फैसला मेहर का है और जब उसे सही लगेगा तो ही सही समय इसके लिए होगा.
आपके आनेवाले प्रोजेक्ट
एक और अप्प्लॉज के साथ शो कर रहा हूं और उसके निर्देशक भी ई निवास हैं.