Manushi Chhillar Dream: मानुषी छिल्लर का खुलासा, कहा- शाहरुख खान के साथ करना चाहती हूं रोमांटिक फिल्म
विश्व सुंदर मानुषी छिल्लर जल्द ही फिल्म सम्राट पृथ्वीराज से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली है. एक्ट्रेस शाहरुख खान के साथ रोमांटिक फिल्म करना चाहती हुं.
विश्व सुंदर मानुषी छिल्लर हिंदी सिनेमा में फिल्म सम्राट पृथ्वीराज से अपनी शुरुआत करने जा रही हैं. इस फिल्म में अक्षय कुमार के अपोजिट नजर आनेवाली मानुषी का हमेशा से सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन तकदीर में उन्हें अभिनय से जोड़ दिया और अब वे इसी में अपना एक मुकाम बनाना चाहती हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
शूटिंग का पहला दिन आपको याद है, किस तरह से वह था
जो मैंने सोचा था उससे बिल्कुल अलग था. मुझे पहले ही दिन सेट पर हैवी सीन दे दिया गया था.जिसमें मैं अपने पिता से बहस कर रही हूं. मैंने डॉक्टर(चंद्र प्रकाश द्विवेदी) सर को बोला भी पहले ही दिन इतना हैवी सीन क्यों? उन्होंने कहा कि पहले दिन टफ सीन करने के बाद फिर तुम्हारे लिए सेट पर सबकुछ आसान हो जाएगा (हंसते हुए) हालांकि ऐसा हुआ नहीं. मुझे समझ आया कि कैमरे के सामने एक्टिंग करना आसान नहीं होता है. बहुत सारी तकनीकी बातें भी जुड़ी रहती हैं. उसमें लाइटिंग होती है. फोकस होता है. कैमरा आपके चेहरे का हर एक्सप्रेशन कैच करता है. जब आप सेट पर होते हैं तो आपको अपनी एनर्जी बचाकर रखनी होती है बहुत ही थका देने वाला अनुभव होता है. शूट खत्म होने तक मैं बहुत थक जाती थी.
भाषा सहित और किन चीजों पर पर काम करना पड़ा?
मैं दिल्ली से हूं तो मुम्बई वालों से मेरी हिंदी अच्छी ही है, लेकिन हां थोड़ा भाषा पर मुझे भी काम करना पड़ा. आमतौर पर बातचीत करते हुए हम कुछ शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. हमारी बोलचाल की भाषा का थोड़ा तरीका होता है.ये ऐतिहासिक फ़िल्म थी तो इसमें थोड़ा भाषा पर फोकस करना था. वैसे हमने भाषा सिंपल ही रखी है ताकि वह दर्शकों के समझ में आए. इसके अलावा मुझे कथक सीखनी पड़ी.बचपन में मैंने भरतनाट्यम डांस सीखा था, लेकिन कथक बिल्कुल अलग था तो उसपर काम करना पड़ा. मुझे किरदार को समझने के लिए आठ से नौ महीने गए थे.
आपने अक्षय कुमार के साथ एक बार टीवी शो में आयी थी तो क्या वहां से आपकी एंट्री फ़िल्म सम्राट पृथ्वीराज में हुई?
बिल्कुल भी नहीं, दरअसल मैंने मासिक धर्म और उससे जुड़ी स्वछता पर एक प्रोजेक्ट किया था. उस प्रोजेक्ट की वजह से जब मैं मिस वर्ल्ड बनी, तो मुझे ब्यूटी विद पर्पज कहा गया.उस वक़्त अक्षय सर की पैड मैन भी आयी थी, तो हमें एक टीवी शो में इस मुद्दे पर बात करने के लिए बुलाया गया था. वहां पर हमारे बीच सिर्फ हाय हेल्लो हुआ था.वो इस फिल्म में पृथ्वीराज की भूमिका में हैं, यह बात मुझे बहुत बाद में मालूम पड़ी थी. ऐसा ही उनके साथ हुआ था.
अक्षय कुमार के साथ शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
जब आप अक्षय सर जैसे स्थापित नाम के साथ काम करते हैं, तो उनसे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है,क्योंकि वो उस माहौल में बेहद सहज होते हैं. उन्होंने मुझे हर कदम पर गाइड किया. मैं उनकी 22 वीं कोएक्टर होउंगी,जिन्होंने उनके साथ डेब्यू किया है. अक्षय सर का फिल्म का हिस्सा होने से लोगों का जुड़ाव फ़िल्म से बढ़ जाता है. कोई भी सिर्फ मुझे देखने के लिए थिएटर में नहीं आएगा.इस बात से मैं वाकिफ हूं.
संयोगिता के किरदार से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती क्या था?
मेरे लिए सबसे मुश्किल बात ये बात माननी थी कि संयोगिता ने कभी पृथ्वीराज को सामने से नहीं देखा था.वो उनकी कहानियां और उनकी पेंटिंग्स देखकर उनसे प्यार करने लगी थी. लोग जब बोलते हैं कि उन्हें ऑनलाइन एक दूसरे से प्यार हो गया तो मुझे वो भी नहीं समझता था.वहां फिर भी चेहरा दिख सकता है.वीडियो कॉल में बात हो जाती है लेकिन मैं फिर भी उस तरह से प्यार नहीं कर पाऊंगी.संयोगिता का प्यार तो मुझे समझ ही नहीं आ रहा था. मैं डॉक्टर सर से बोलती भी थी कि जिसको देखा नहीं, मिली नहीं उसके लिए अपने पिता से कैसे विद्रोह कर सकती थी. मैं कभी भी प्यार के लिए अपने पिता के खिलाफ नहीं जा सकती हूं. डॉक्टर सर ने कहा कि तुम प्यार को फिर समझ नहीं रही हो. उन्होंने ये भी बताया कि संयोगिता अपने पिता नहीं अपने राजा के खिलाफ थी, जो उनके प्यार के खिलाफ था.
आपके माता पिता ने आपको कितना सपोर्ट किया?
उनके बिना मैं कभी भी इतनी दूर नहीं आ पाती थी.मैं जब डॉक्टर बनना चाहती थी तो भी उन्होंने मुझे सपोर्ट किया था.अब जब मैं एक्ट्रेस बनने के लिए दिल्ली से मुम्बई शिफ्ट होने वाली थी,तो मैंने उनको साफ कह दिया था कि मैं उनके बिना नहीं जाऊंगी तो वो मेरे साथ अपने कैरियर से समझौता कर मुम्बई शिफ्ट हुए.
आप किस तरह के रोमांस में यकीन करती हैं?
मैं गर्ल्स स्कूल और कॉलेज में पढ़ी हूं. मैं अपने काम और किताबों से हमेशा प्यार करती रही हूं. मुझे रोमांटिक किताबें बहुत पसंद रही हैं.मैं बीस साल की उम्र से काम कर रही हूं.प्यार के लिए मेरे पास समय ही नहीं रहा है.उम्मीद है कि मेरी भी प्रेम कहानी पृथ्वीराज और संयोगिता की तरह यादगार होगी. वैसे प्यार सिर्फ पार्टनर के साथ ही नहीं होता है .वो आपके माता पिता ,दोस्त किसी के साथ भी हो सकता है. प्यार हर तरह से खूबसूरत है.
ऑनस्क्रीन किस एक्टर के साथ रोमांस करना चाहेंगी?
हम आम भारतीय की तरह मैं भी शाहरुख खान की फिल्में देखकर बड़ी हुई हूं.उन्होंने अपनी फिल्मों से मुझे भी रोमांस के बारे में बताया है. उनके साथ रोमांस करना चाहूंगी. मैंने तो यशराज वालों से कहा कि मैं यशराज बैनर की हीरोइन बनी हूं, लेकिन मुझे साड़ी में स्विट्जरलैंड में एक भी सांग शूट नहीं करवाया गया है. जैसलमेर में आपलोग ने मेरी शूटिंग पूरी करवायी है. उम्मीद है कि अगली फिल्मों में मुझे यह मौका मिलेगा.
यशराज बैनर के साथ आपकी तीन फिल्मों की डील है?
हां, हमारी तीन फिल्मों की डील है लेकिन मैं दूसरे प्रोडक्शन हाउस की फिल्में करने के लिए भी ओपन हूं.
आपके डॉक्टर बनने के सपने को छोड़ एक्ट्रेस बनने का फैसला करने के पीछे का पूरा प्रोसेस क्या था?
मेरी पूरी फैमिली मेडिसिन फील्ड से है इसलिए शुरुआत से डॉक्टर बनने का फैसला करना मेरे लिए आसान था क्यूंकि मैं उस दुनिया को जानती हूं.अगर सामने से मुझे ऑफर्स नहीं आता तो शायद मैं कभी भी एंटरटेनमेंट फील्ड में नहीं आती थी. मेरी फैमिली और दोस्तों ने मुझे कहा कि मुझे यह मौका एक बार एक्सलोर करना चाहिए, अगर चीज़ें अच्छी नहीं लगी तो मैं वापस से मेडिसिन में जा सकती हूं.वैसे भी मैं पढ़ाई में अच्छी हूं.(हंसते हुए) इंटरनेट पर मेरे मार्क्सशीटस आपको मिल जाएंगे.वैसे एक्टिंग आसान नहीं है. मैं बहुत मेहनत कर रही हूं. हर दिन कुछ सीख रही हूं. मुझे यह अच्छा लग रहा है, तो फिलहाल मैं एक्टिंग पर ही पूरा फोकस करना चाहती हूं.
मिस वर्ल्ड का खिताब ने एक्टिंग की जर्नी में किस तरह से आपकी मदद की है?
सबसे पहले तो एक खास पहचान मिली है,जिससे पूरी इंडस्ट्री ने मुझे नोटिस किया. ताज के साथ बहुत सारी अच्छी चीज़ें आती हैं. एक टीम होती है.जो आपका खास ख्याल रखती है.आपका कौन सा फैसला कैरियर के लिए सही है या नहीं ये सब, तो एक आउटसाइडर होने के नाते अच्छा महसूस होता है. मिस वर्ल्ड होने के नाते लोगों की नज़रें हमेशा आप पर होती है.आपको कैमरा हर वक़्त फॉलो करता रहता है ऐसे में कैमरे के सामने आप एक्टिंग करते हुए सहज होते हैं. मिस वर्ल्ड के दौरान आपको इस तरह से तैयार करते हैं कि आपका प्रजेंस ऑफ माइंड बढ़ जाता है.जो एक्टिंग में भी काम आता है.
पेंडेमिक की वजह से इस फ़िल्म को बनने में तीन साल का वक्त लगा, कितना मुश्किल था?
बहुत मुश्किल था.जब आप युवा होते हैं और आप अपनी ज़िंदगी में बहुत कुछ करना चाहते हैं ,ऐसे में आपको घर पर बैठना पड़ जाए तो बुरा लगता है लेकिन जब आप देखते हैं कि पेंडेमिक में लोग अपनी नौकरी ही नहीं जिन्दगी भी खो रहे हैं तो आपको लगता है कि आपको घर पर बैठकर सिर्फ फिल्म की रिलीज का इंतज़ार करना है तो भी आपको शिकायत है, तो ये शिकायत अपने आप खत्म हो जाती है.