Marco movie:एक्टर कबीर सिंह दुहान ने बताया उस सीन के बाद 4-5 दिनों तक सो नहीं पाया

भारतीय सिनेमा की सबसे हिंसक फिल्म कही जा रही मार्को के विलेन कबीर सिंह दुहान ने इस इंटरव्यू में फिल्म के हिंसक दृश्यों की शूटिंग अनुभव को साझा किया है.

By Urmila Kori | January 3, 2025 10:29 PM
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marco movie: पुष्पा 2 की आंधी के बीच बॉक्स ऑफिस पर मलयालम फिल्म मार्को भी दर्शकों की जमकर वाहवाही बटोर रही हैं. इस फिल्म को भारतीय सिनेमा की सबसे हिंसक फिल्म कहा जा रहा है. उन्नी मुकुंदन स्टारर इस फिल्म में विलेन की भूमिका में अभिनेता कबीर सिंह दुहान ने भी अपनी छाप छोड़ी है. इस फिल्म में उनके डार्क किरदार , हिंसक दृश्यों की शूटिंग सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत

मार्को का रिस्पांस

बहुत ही कमाल का रिस्पांस मिल रहा है. मैं काफी समय से ऐसे रिस्पांस का इन्तजार कर रही थी. काफी समय से मैं साउथ इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं. मार्को से जो पहचान मिली है ,वह काफी समय से पेंडिंग थी. मुझे लगातार सायरस के किरदार में मेरे परफॉर्मेंस  और फिल्म के लिए फोन कॉल्स और मैसेज आ रहे हैं.मैं अब तक ऐसा एक्शन नहीं किया था. इससे पहले भी मेरी पैन इंडिया फिल्म में रिलीज हुई है,लेकिन जो इस फिल्म से पहचान मिली है. वह हर गली नुक्कड़ और चौराहे तक पहुंच गयी है. इस फिल्म ने पैन इंडिया के तौर पर मेरी पहचान खास बनाई  है.

सायरस जैसा डार्क किरदार करना था मुश्किल  

इस फिल्म में मेरा ज्यादा फाइटिंग सीन नहीं है. प्री क्लाइमेक्स में मेरा एक फाइटिंग सीक्वेंस है ,लेकिन उस तरह का हिंसक बनना आसान नहीं था. यह कैरेक्टर मेरे लिए करना आसान नहीं था. मैंने बहुत ही डार्क कैरेक्टर किये हैं, लेकिन इस तरह का कैरेक्टर कभी नहीं किया है. मैंने इस अपने किरदार में जाने के लिए कुछ फिल्में देखी. मैं काफी समय तक अकेला बैठा रहता था ताकि किरदार में जाने मुझे आसानी हो. बहुत ही डार्क फिल्म है. प्रेग्नेंट लेडी की हत्या करना वो सीन बहुत मुश्किल था. उसके बाद मैं चार -पांच रातों तक सो नहीं पाया था.

किरदार से निकलने के लिए मंदिरों के लगाए चक्कर

मैंने इससे पहले भी निगेटिव किरदार किया ,लेकिन इससे ज्यादा डार्क कभी नहीं किया था. जिस वजह से इस फिल्म की शूटिंग के तुरंत बाद में उत्तराखंड चला गया था. वहां पर मैंने कई मंदिरों के  दर्शन किए. जैसे नीम  करोली बाबा और ऊंचाई पर एक महादेव का मंदिर है. मैं वहां पर भी गया था. तीन से चार दिन में उत्तराखंड में ही था. मंदिरों को देखने के साथ-साथ मैंने मैडिटेशन भी किया. मुझे इस किरदार से निकलने में थोड़ा समय लगा

पैन इंडिया फिल्मों की पहचान है खास 

मुझे लगता है कि बहुत कम एक्टर है, जो पैन इंडिया लेवल पर काम कर रहे हैं. अब तक मेरी मलयालम फिल्म में एंट्री नहीं हुई थी,लेकिन पिछले साल मैंने तीन फिल्में की थी और तीनों बहुत ही ज्यादा सराही गयी हैं. तेलुगु में मैं पिछले 9 साल से कम कर रहा हूं. अब तक मैं 70 फिल्में कर ली है. तमिल में मैं 8 से 9 फिल्में में की है. मराठी में मैंने दो फिल्में की है. अभी मैंने एक पंजाबी फिल्म भी साइन की है. एक बांग्लादेशी फिल्म भी साइन की है. मैं खुश हूं कि हर जगह लोग मुझे पसंद कर रहे हैं. मुझे एक्सपेक्टेशन मिल रही है. बॉलीवुड से भी मुझे कॉल आ रहे हैं. मैं बॉलीवुड में भी अच्छा काम करना चाहता हूं. मैं बॉलीवुड में पॉजिटिव किरदार करना चाहता हूं. मैंने हाल ही में हिंदी की एक सीरीज पूरी की है,जिसमें आहना कुमरा मेरे साथ ऑपोजिट हैं. मेरी अगली फिल्म हरी हारा वीरा मल्लू साउथ सुपरस्टार पवन कल्याण के साथ रिलीज होगी.वह मेरी अब तक की सबसे बड़ी पैन इंडिया फिल्म होगी.

लकी हूं इतने बड़े सुपरस्टार्स के साथ काम कर रहा 

मैं खुद को लकी मानता हूं कि 37 की एज में इतने बड़े-बड़े सुपरस्टार्स के साथ काम कर रहा हूं.अजित सर, ममूटी सर, किच्चा सुदीप सर, पवन कल्याण सर इन सभी के साथ मैंने काम किया है.साउथ के ये सभी सुपरस्टार्स बहुत ही ज्यादा हंबल हैं. वह आपको बराबर का समझते हैं. मैं आपको एक उदाहरण देना चाहूंगा. मेरे करियर के शुरुआत में  एक फ़िल्म थी वेदालम. उसमें अजीत सर थे .वह तमिलनाडु के सुपरस्टार हैं. फिल्म की शूटिंग हम मिलान में कर रहे थे. सर का शूट ओवर हो चुका था. मेरा लास्ट शॉट चल रहा था. मैं सीन फिनिश करके आया. वह अपने प्लेट में खाना ले चुके थे. मुझे देखते हुए तुरंत उन्होंने अपने खाने की प्लेट मुझे ऑफर कर दी. कहा कि आप यह प्लेट खाने का ले लो क्योंकि अभी आप थक कर आए हो.आप आराम से खाना खा लो. कौन सुपरस्टार अपनी फिल्म के नवोदित कलाकार के साथ ऐसा करता है.

मैं साउथ की भाषाओं में संवादों को याद करता हूं 

मैं हरियाणा से हूं और हरियाणा को होने की वजह से मुझे साउथ की लैंग्वेज समझना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल थी, लेकिन वो कहते हैं ना चाहे तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है. मेरी पहली तेलुगू मूवी जिल थी. मैंने उसे फिल्म के हर डायलॉग को पूरा दिल से याद किया था. उस फिल्म में मेरे कुछ 22 सीन थे. निर्देशक सर ने मुझे साफ़ कह दिया था कि  आपके लिए कोई प्रॉम्प्टर नहीं होगा. कोई बोर्ड नहीं होगा. संवादों को हिंदी में बोलने वाला भी नहीं होगा. आपको अपने डायलॉग खुद से याद करने होंगे. मुझे खुद को साबित करना था, तो मैं डायलॉग याद करना शुरू कर दिया था. क्योंकि शुरुआत में मैंने मेहनत की थी,तो उसका फायदा मुझे अभी मिलता है. मैं अपनी फिल्मों की शूटिंग से पहले डायलॉग मंगवा लेता हूं.  कई बार फिल्म के जो एसोसिएट डायरेक्टर होते हैं,उनको बुला लेता हूं. उनसे मैं स्लैंग, प्रनंसीएशन सभी कुछ पूछ लेता हूं ताकि अगले दिन में उसको याद करके डिलीवर कर सकूं.

हरियाणा से हूं लड़ना आता है 

मुझे स्टाइलिश विलेन , पैन इंडिया एक्टर का खिताब मिल चुका है, लेकिन एक दशक की यह जर्नी उतार चढ़ाव से भरी भी रही है. मैं हरियाणा से हूं हमारे डीएनए में ही है लड़ाई लड़ना. हम कभी हार नहीं मान सकते हैं. गिव अप नहीं कर सकते हैं.असफलता को देखकर डिप्रेशन में नहीं जाते हैं. दो-तीन महीने आपको काम नहीं मिलेगा, लेकिन उसके बाद फिर आपको काम मिल ही जाता है. मैं अपने परिवार का शुक्रगुजार हूं.  उन्होंने हर कदम पर मुझे सपोर्ट किया है. 

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