1983 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच और विवियन रिचर्ड्स को लेकर मसाबा गुप्ता ने जताया अफसोस, तसवीर शेयर कर कही ये बात

बॉलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता की बेटी मसाबा गुप्ता ने अपने लेटेस्ट पोस्ट में बताया कि उन्हें जिंदगी में सबसे बड़ा अफसोस इस बात का है कि वो अपने पापा और वेस्टइंडीज के क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स को मैदान में खेलते हुए कभी देख नहीं पाईं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 24, 2021 8:24 PM

बॉलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता की बेटी मसाबा गुप्ता ने अपने लेटेस्ट पोस्ट में बताया कि उन्हें जिंदगी में सबसे बड़ा अफसोस इस बात का है कि वो अपने पापा और वेस्टइंडीज के क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स को मैदान में खेलते हुए कभी देख नहीं पाईं. इंस्टा स्टोरीज पर मसाबा ने भारत और वेस्टइंडीज के बीच 1983 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच की एक क्लिप साझा की. मैच में भारत ने वेस्टइंडीज की टीम को 43 रन से हराकर कप अपने नाम कर लिया था.

मसाबा गुप्ता ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि वह 1983 का फाइनल मैच नहीं देख पाई जिसमें विवियन रिचर्ड्स की टीम एक तरफ और दूसरी तरफ भारत की टीम थी. हालांकि विवियन ने वेस्टइंडीज टीम में अपने साथी खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा रन बनाए, लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम के तत्कालीन कप्तान कपिल देव के कैच ने उन्हें मैदान से बाहर कर दिया.

1983 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच और विवियन रिचर्ड्स को लेकर मसाबा गुप्ता ने जताया अफसोस, तसवीर शेयर कर कही ये बात 2

क्लिप्स को साझा करते हुए मसाबा ने लिखा, “जीवन में मेरा सबसे बड़ा अफ़सोस यह है कि मैं अपने पिताजी को स्टेडियम में खेलते हुए नहीं देख पाई- मैं बहुत छोटी थी. मैं हमेशा कहती हूँ कि मैं 6 साल बहुत देर से पैदा हुई थी. मुझे यह देखने को नहीं मिला. आइकॉनिक मैच-एक तरफ मेरे पिता और दूसरी तरफ मेरा देश.”

इसके साथ ही मसाबा गुप्ता ने इस वर्ल्ड कप पर बनी हालिया रिलीज 83 के बारे में लिखा, “# 83 फिल्म का ट्रेलर मेरे रोंगटे खड़े कर रहा है और मैं इसे देखने के लिए थिएटर में लौटने का इंतजार नहीं कर सकती, यह इतना अद्भुत है कि मेरी मां भी इसका एक हिस्सा हैं-यह पूर्ण सर्कल. सभी को दिल से शुभकामनाएं.”

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फ़र्स्टपोस्ट के साथ 2012 के एक इंटरव्यू में मसाबा गुप्ता ने अपने पिता के बारे में बात की थी. उन्होंने कहा था, “मेरे माता-पिता दोनों के लिए मेरे मन में गहरा सम्मान और प्यार है. वे दोनों अपनी तरह के लोग हैं, सफल हैं और फिर भी झुंड के साथ नहीं चल रहे हैं. उस समय के दौरान जब मैं 8 से 14 साल की थी, मुझे अपने पिता के साथ अपनी छुट्टियां याद हैं वह कमेंट्री में बहुत सक्रिय थे, दुनिया की यात्रा करते हुए, और वह अक्सर भारत आते थे. मैं उनके साथ कभी नहीं रही, लेकिन माँ और मैं उनके साथ छुट्टियों के लिए जाते थे. “

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