आपके अब तक के करियर की बात करें तो आपने काफी रियल किरदार और कहानियों को चुना है क्या वजह रही जो आपने परियों की कहानी जैसा सीरियल तेरे बिना जिया जाए ना को इस बार चुना
सीरियल को रियल या अनरियल एक्टिंग बनाती है. वैसे यह सीरियल इतना भी अनरियल नहीं है. हर लड़की चाहती है कि उसे राजकुमार मिले. मेरी माँ भी यही चाहती है कि मुझे सपनों का राजकुमार मिले तो यह इतना भी अनरियल नहीं है. जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि किरदार को रियल या अनरियल एक्टिंग बनाता है. यह एक्टर के हाथ में हैं. अगर आपने मेरे अब तक के किरदार को देखा है तो आपको मालूम पड़ेगा कि मैं रियल जोन में ज़्यादा खेलती हूं. मैं हमेशा से चाहती हूं कि दर्शक मेरे किरदार से जुड़ाव महसूस करें और क्रिशा भी ऐसा किरदार होगा जहाँ दर्शक वो महसूस करेंगे
किरदार को लेकर आपकी तयारी क्या थी
गिरना पड़ना बहुत पड़ा. क्रिशा ऐसी है कि एक चीज़ करने जाएगी तो दो चीज़ गिराएगी. तैयारियों की बात करूं तो क्रिशा मैं करके नहीं बल्कि हम करके बात करती है. इसके साथ ही चूँकि शो का बैकड्रॉप राजस्थान है तो थोड़े बहुत राजस्थानी स्लैंग भी मुझे सीखने पड़े.
रियल लाइफ में आप इस शो का टाइटल किसके लिए कहना चाहेंगी
मेरी माँ के लिए मैं ये टाइटल कहना चाहूंगी. मेरी मान सिंगल पैरेंट हैं लेकिन उन्होंने कभी भी किसी चीज़ की कमी मुझे महसूस नहीं होने दी है. मुझे पिथौरागढ़ के बेस्ट स्कूल में उन्होंने भेजा था. मेरे एक्टिंग के सपने को भी उन्होंने बहुत सपोर्ट किया. मां के साथ साथ मेरे मामाजी का भी सपोर्ट रहा है. मुंबई में मेरी माँ और मैं उन्ही के साथ रहते हैं.
यह एक रोमांटिक शो है क्या निजी ज़िंदगी में भी कोई खास है
फिलहाल तो सिंगल हूँ लेकिन कोई अच्छा मिलेगा तो ज़रूर मैं प्यार में पढ़ना चाहूंगी लेकिन एक शर्त है कि मेरे साथ मेरी माँ का भी उसको सम्मान करना होगा क्यूंकि मैं अपनी मां को छोड़ने वाली नहीं हूँ
आपका पिछला शो सरगम की साढ़े साती दर्शकों को उतना कनेक्ट नहीं कर पाया था
कनेक्ट नहीं कर पाया मैं इस बात को नहीं मानती हूँ क्यूंकि आज भी मुझे उस शो के लिए इतने सारे मैसेज आते हैं. लोग पूछते हैं कि शो का क्या सेकेंड सीजन आएगा. मैं किसी को दोष नहीं दूंगी लेकिन हमें दो महीने का भी समय नहीं दिया गया था और शो को बंद कर दिया गया जबकि शो में अच्छा खासा स्कोप था
आप आउटसाइडर हैं ऐसे में आपकी अब तक की जर्नी कैसी रही है
मैं किसी एक्टिंग स्कूल नहीं गयी हूँ. कोई वर्कशॉप भी नहीं किया था तो मुझे पता भी नहीं था कि प्रोफाइल कैसे देते हैं तो बहुत कुछ मैंने सीखा है. पहला यही था कि किसको अप्रोच करूं. ये भी डर रहता है कि कहीं किसी गलत को अप्रोच ना कर लूं. इस बात को कहने के साथ मैं ये भी कहूँगी कि हर इंडस्ट्री में गलत लोग होते हैं लेकिन यहाँ ज़्यादा दिखता है क्यूंकि इससे मीडिया भी जुड़ा रहता है. धीरे धीरे सब सीखा. कास्टिंग एजेंसी को संपर्क किया. इस दौरान बहुत सारे रिजेक्शन्स को भी झेला है. वो सब को झेलते हुए मैं यहाँ तक पहुंची हूं. हम एक्टर्स के साथ दिक्कत ये होती है कि हम फाइनल स्टेज में पहुंचकर फिर रिजेक्ट हो जाते हैं. आपके डेट्स लॉक्ड हो जाते हैं. पैसों पर भी बात पक्की हो जाती है फिर आपको मालूम पड़ता है कि कोई और ये शो कर रहा है
आम तौर पर कहा जाता है कि टीवी एक्टर्स का शेड्यूल इतना हेक्टिक होता है किउनके पास अपने लिए समय नहीं होता है
मैं टाइम निकलकर सब कर लेती हूँ अगर वो टाइम मुझे नहीं मिलता या मेरा काम मुझे ख़ुशी नहीं देता था तो मैं खुद ही नहीं करती थी. मैं लगातार काम करुं. ये मैं चाहती थी अब मिल रहा है तो मैं इसकी शिकायत कैसे कर सकती हूँ. वैसे मुझे घर में बैठना बिलकुल भी पसंद नहीं है. मैं दो दिन भी घर पर बैठती हूँ तो मुझे लगता है कि मैं अपनी लाइफ के साथ क्या कर रही हूँ. मैं यहाँ पर अपने परिवार के साथ रहती हूँ तो रात का ही सही एक वक़्त का खाना मैं उनलोगों के साथ ही खाती हूँ तो उतना टाइम जो मिल जाता है. मैं उसमें ख़ुश हूँ.
पिछले कुछ समय से ओटीटी ख़ासा लोकप्रिय माध्यम बन चुका है क्या कभी लगा कि टीवी से ब्रेक लेकर ओटीटी पर फोकस करना चाहिए
सरगम की साढ़े साती के बाद मैंने सोचा था कि मैं ओटीटी में काम करूंगी लेकिन मैंने गलत समय चुना था चूँकि वो कोविड का समय था इसलिए दो वेब शोज के लिए जो मैं फाइनल हुई थी वो दोनों ही पोस्टपोन हो गयी. जैसा कि मैंने कहा कि मुझे काम करना पसंद है तो जब इस सीरियल का ऑफर आया तो मैंने मना नहीं किया वैसे भी आते हुए काम को मना नहीं करना चाहिए. एक बड़ी स्टारकास्ट वाली वेब सीरीज में एक छोटा सा रोल करने से अच्छा है कि सीरियल की लीड होना.