mirzapur में मुन्ना त्रिपाठी के साथ इस सीन को सुनकर डिम्पी की भूमिका के लिए राजी हुई थी हर्षिता गौर..खुद किया खुलासा 

mirzapur की एक्ट्रेस हर्षिता गौर ने डिम्पी के किरदार,मिर्जापुर को पहले ना फिर हां कहने की वजह सहित कई पहलुओं पर बातचीत की

By Urmila Kori | July 9, 2024 10:05 AM

mirzapur के तीसरे सीजन में एक बार डिम्पी की भूमिका को अभिनेत्री हर्षिता गौर निभाती नजर आ रही हैं.टेलीविज़न से ओटीटी की तरफ रुख करने वाली हर्षिता की मानें तो इस शो ने अभिनेत्री के तौर पर उनके नजरिये को काफी बदला है कि सिर्फ हीरोइन नहीं बल्कि किरदार भी बहुत अहमियत रखते हैं. मिर्जापुर की अब तक की जर्नी और उससे जुड़े अनुभवों पर उर्मिला कोरी से हुई खास बातचीत 


डिम्पी के किरदार की सबसे खास बात आपको क्या लगती है ?

डिंपी के डिसीजन मेरे लिए काफी स्ट्रेंथ वाले हैं. मिर्जापुर की दुनिया में वह चुनती है कि उसे हिंसा की तरफ नहीं जाना है. यह जानते हुए कि कल को कोई भी आकर गन चला सकता है.फिर भी वह गन नहीं चलाने का फैसला करती है.यह अपने आप में बहुत बड़ा फैसला है. पंडित परिवार की वह अकेली है,जो अपने पिता के उसूलों पर चली है.मुझे उस किरदार की सबसे खास बात यही लगती है.डिम्पी और रोबिन के प्यार को भी दर्शकों ने बहुत पसंद किया.मिर्जापुर के दलदल में डिंपी और रॉबिन का प्यार एक कमल की तरह है.यह टैग हमें मिर्जापुर के फैन्स ने ही दिया था. इतने वायलेंस के बीच उनका प्यार एक सुकून लेकर आता है.

यह बात सुनने को मिलती है कि पहले आप इस सीरीज का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी ?

हां यह बात सही है.जैसा की सभी लोग सोचते हैं.मैं भी उसी  कैटेगरी में थी कि मुझे हीरो की बहन का किरदार नहीं निभाना है. जिस वजह से शुरुआत में मैंने शो को मना भी किया था,लेकिन इस शो को करते हुए मैंने यह बात जाना कि  ओटीटी की दुनिया अलग होती है. यहां हर किरदार का अपना महत्व है.अगर उसे क्रिएट किया गया है तो कहानी में प्रभाव छोड़ेगा ही.मिर्जापुर सिर्फ पुरुषों की दुनिया नहीं है.सिर्फ मेरा ही नहीं. मुझे लगता है कि मिर्जापुर में हर औरत की बहुत ही स्ट्रैंथ भरी कहानी है.चाहे वह बीना का किरदार हो, जरीना का या फिर गोलू का या फिर माधुरी यादव का.

फिर क्या वजह रही जो शो करने को आप राजी हो गयी ?

मैं जब उन लोगों से मिलने गई और उन्होंने मुझे शो की कहानी बताई. मुझे वह सीन बताया गया, जिसमें मुन्ना मुझे उठा ले जाते हैं. उस सीन में डिम्पी गन पड़कर ,जो स्ट्रेंथ दिखाती है कि गाड़ी रोको नहीं,तो ठोक देंगे. मुझे वह सीन बहुत ही अपील कर गया.किरदार का नरेशन था कि स्वीट है. सिंपल है. पापा की बात मानती है,लेकिन मैंने पाया ये सब तो है मगर जब बात उसके मोरल ग्राउंड पर आएगी,तो वह गन भी उठा लेगी.किरदार की इस खासियत के साथ-साथ मुझे टीम भी बहुत अच्छी लगी. मुझे लगा करना चाहिए. मैंने ऑडिशन दिया और मैं चुन ली गयी. मैं बताना चाहूंगी कि मेरा किरदार पहले कोई और करने वाला था. पूरी सीरीज की कास्टिंग चार महीने पहले लॉक हो चुकी थी. सब एक्टर अपने – अपने किरदार की तैयारी भी शुरू कर चुके थे.मेरा जो किरदार था,उसके ब्रीफ में कुछ चेंज आया तो शायद पिछली एक्ट्रेस को रिप्लेस करना पड़ा और शो में मेरी एंट्री हुई.निर्देशक को यह डर था कि कर भी पाउंगी या नहीं क्योंकि मुझे ज्यादा समय नहीं मिला था,लेकिन जब उन्होंने मुझे कॉस्ट्यूम में देखा तो उन्हें यकीन हो गया.

डिम्पी के किरदार में वापस से जाने का आपका प्रोसेस क्या होता है ?

मैं पुराने सीजन को नहीं देखती हूं. मेरे पास एक डायरी होती है, जिसमें मेरे द्वारा निभाए गए किरदारों के बारे में मैं लिखती हूं,तो शूट पर जाने से पहले मैं उसको पढ़ लेती हूं.उसके बाद टीम आपका काम आसान कर देती है. ख़ुशक़िस्मती से तीनों सीजन के डायरेक्टर, डीओपी, एचओडी एक ही हैं.पुराने माहौल में आप चले जाते तो आपके पास पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं,तो फिर आप आसानी से किरदार में चले जाते हैं. 

सभी के साथ ऑफ स्क्रीन आपकी बॉन्डिंग कैसी है ?

अली, श्वेता, निर्देशक गुरु और डी ओपी संजय कपूर ये लोग मेरे लिए परिवार की तरह हैं. और कुछ का पता नहीं इस शो से मुझे मेरी एक और फैमिली दे दी है.यह बात इस शो ने मेरे लिए और खास कर दी है.इस परिवार के साथ – साथ सोशल मीडिया में भी इस शो की वजह से मेरे फोल्लोवेर्स की अच्छी खासी तादाद हो गयी है.पहले वह इतनी नहीं थी.खुद से बनाने जाती थी तो ना जाने कितने साल लग जाते थे लेकिन अकेले इस शो ने वह दे दिया.


आपकी फैमिली की इस शो पर क्या प्रतिक्रिया है?

मेरी मां को यह शो पसंद है. मैं इस बात को मानती हूं कि इसमें वायलेन्स है. सेक्सुअल कंटेंट है ,लेकिन उसपर उतना ध्यान नहीं जाता है क्योंकि वो सब बहुत अच्छी कहानी और किरदार के साथ  बुने गए हैं. मुझे लगता है कि मिर्जापुर ऐसा शो है, जिसे क्लासी और बेहद आम लोग दोनों बहुत पसंद करते हैं.

आपका परिवार डॉक्टर्स का है. आपकी अब तक की जर्नी से कितने खुश हैं. क्या प्लान बी रखने का प्रेशर भी डालते हैं ?

अब तो एक्टिंग में दस साल से ऊपर हो चुके हैं. पहले वह बोलते थे. मैंने इंजीनियरिंग की डिग्री उन्ही की वजह से ली.वरना मैं तो हमेशा से एक्ट्रेस बनना चाहती थी, लेकिन उन्होंने कहा कि इस फील्ड का कोई भरोसा नहीं है, तो कम से कम तुम्हारे पास एक डिग्री अच्छी होनी चाहिए ताकि तुम कभी भी वापसी कर सको . मेरे करियर से वह खुश हैं. वे मेरे सबसे बड़े चीयरलीडर्स हैं और क्रिटिक भी.


मिर्जापुर से जुड़ने के बाद ऑफर्स में कितना इजाफा आया है ?

मुझे हर तरह के रोल के लिए टेस्ट किया जाता है.यह बहुत बड़ी बात है.


तो फिर क्या वजह है कि आप बहुत कम प्रोजेक्ट में नजर आती हैं?

मैं चूजी हूं ,लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है कि आप हर चीज को मना कर देते हो. प्रोजेक्ट की हां ना दोनों साइड से होती है. कई बार मैंने ना कह दिया तो कई बार सामने वाले ने.इस बात को कहने के साथ में यह भी कहूंगी कि इस  साल और आने वाले  साल में दर्शक मुझे कई सारे प्रोजेक्ट में देखेंगे.उसमें से एक का बहुत ही दिलचस्प कनेक्शन मिर्जापुर से है.फिलहाल मैं इतना ही बता पाउंगी.

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