फ़िल्म-छतरीवाली
निर्देशक -तेजस द्वेस्कर
कलाकार – रकुलप्रीत सिंह, सुमित व्यास, राजेश तैलंग, राकेश बेदी, डॉली अहलूवालिया, सतीश कौशिक, प्राची शाह
प्लेटफार्म -जी 5
रेटिंग -तीन
पिछले कुछ समय से कंडोम, यौन शिक्षा, सेफ रिलेशनशिप जैसे जरूरी मुद्दों पर लगातार फिल्में बन रही हैं. ओटीटी प्लेटफार्म जी 5 की ही बात करें, तो इस मुद्दे पर उनकी यह तीसरी फिल्म पिछले डेढ़ सालों में है. हेलमेट, जनहित में जारी और आज रिलीज हुई फिल्म छतरीवाली. वैसे यह विषय इतना जरूरी है कि इस पर लगातार फिल्में बनती रहनी चाहिए, जब तक कि कंडोम, सेफ रिलेशनशिप, यौन शिक्षा वर्जित विषयों की तरह ट्रीट होना ना बंद हो जाए. हालांकि यह लड़ाई बहुत लम्बी है, लेकिन यह फिल्म बहुत ही सहज ढंग से इन विषयों को सामने लेकर आती हैं. कुछ खामियों के बावजूद यह फिल्म हास्य और हल्के फुल्के पलों के साथ गहरी बात कह गयी है.
Chhatriwali Review: हल्के फुल्के अंदाज में यौन शिक्षा का पाठ पढ़ाती है
फिल्म की कहानी का बैकड्राप हरियाणा है. फिल्म की कहानी सान्या (रकुलप्रीत) की कहानी है. जो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है. उसे एक अच्छी नौकरी की तलाश है और वह तलाश एक कंडोम फैक्ट्री में कंडोम टेस्टर की नौकरी पर आकर खत्म होती है. मजबूरी उसे वह नौकरी लेने को मजबूर तो कर देती है, लेकिन वह इस नौकरी के बारे में किसी से कुछ जाहिर नहीं करती है. अपने पति (सुमित व्यास) तक से भी, लेकिन हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि सबसे इस नौकरी को छिपाने वाली सान्या ना सिर्फ अपने ससुराल और मोहल्ले में बल्कि स्कूलों में भी जाकर कंडोम की बड़ी जरूरत से लेकर यौन शिक्षा पर सभी को जागरूक करने का मुहिम शुरू कर देती है. क्या सान्या की राहें आसान रहेंगी. उसकी सोच में यह बदलाव कैसे आया है. यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखना होगा.
Chhatriwali Movie Review: कैसी है फिल्म की कहानी
यह फिल्म जब शुरू होती है, तो लगता है कि जनहित में है जारी की गलियों से ही यहां भी कहानी गुजरने वाली है. शुरुआत वहीं से होती भी है कि यहां भी नायिका अपने जॉब को सभी से छिपा रही है. फिर बात पुरुष सुरक्षित यौन सम्बन्ध को समझें तक भी पहुंचती हैं, लेकिन फिर जल्द ही यह फिल्म मूल समस्या पर काम करना शुरू कर देती है कि आखिर पुरुषों में ऐसी मानसिकता क्यों हैं और महिलाएं हर दर्द को चुपचाप से क्यों झेल रही है. फिल्म समस्या की जड़ पर आ जाती है कि एक उम्र के बाद स्कूलों में यौन शिक्षा क्यों जरूरी है. यह सब बातें हल्के -फुल्के अंदाज में फिल्म में कहीं गयी है. सिचुएशन अच्छे बन पड़े हैं, जिससे यह फिल्म के प्रभाव को बढ़ा गयी है. फिल्म का सेकेंड हाफ काफी उम्दा है. फिल्म की सिनेमाटोग्राफी कहानी के अनुरूप है.
Chhatriwali Movie Review: यहां रह गयी है चूक
खामियों की बात करें फिल्म में रकुल के किरदार पर ज्यादा फोकस किया गयी है. सुमित व्यास, डॉली, प्राची शाह इन किरदारों पर थोड़ा और काम करने की जरूरत थी. फिल्म का फर्स्ट हाफ दूसरे के मुकाबले थोड़ा कमजोर रह गया है. फिल्म का गीता संगीत हो या बैकग्राउंड यहां मामला औसत वाला रह गया है.
Chhatriwali Review: चमकी हैं रकुलप्रीत सिंह
यह फिल्म रकुलप्रीत सिंह के कंधों पर है. वह फिल्म का चेहरा हैं और उन्होंने इसे बखूबी निभाया है. उन्होने यह साबित किया है कि वह बड़ी जिम्मेदारियों के लिए पूरी तरह सक्षम हैं. राजेश तेलंग आए दिन कई ओटीटी प्रोजेक्ट में नजर आते रहते हैं, लेकिन इस फिल्म में वह अपने चित परिचित अंदाज में अलग नजर आए हैं. सतीश कौशिक भी अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं. सुमित व्यास, डॉली अहलुवालिया सहित बाकी के कलाकारों ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.
Chhatriwali Movie Review: देखें या ना देखें
यौन शिक्षा की अहमियत को समझाती यह फिल्म सभी को देखनी चाहिए. जो संदेश देने के साथ साथ मनोरंजन भी करती है.