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Devara Part 1 Movie Review:जूनियर एनटीआर की सशक्त मौजूदगी वाली इस कहानी में नएपन की है भारी कमी

जूनियर एनटीआर, सैफ अली खान और जाह्नवी कपूर की इस पैन इंडिया फिल्म में क्या है खास और कहां खायी मात.. जानते हैं इस रिव्यु में 

फ़िल्म :देवरा पार्ट वन

निर्देशक:कोरटला शिवा 

कलाकार: जूनियर एनटीआर,सैफ़ अली ख़ान,जाह्नवी कपूर,रामेश्वरी, मुरली शर्मा, अभिमन्यु सिंह, प्रकाश राज और अन्य  

प्लेटफार्म:सिनेमाघर

रेटिंग: ढाई 

devara part 1 movie review:इस साल की बहुप्रतीक्षित पैन इंडिया फिल्म देवरा पार्ट वन ने आज सिनेमाघर में दस्तक दे दी है.इस फिल्म से जूनियर एनटीआर की रुपहले परदे पर छह सालों बाद वापसी हुई है.इस पैन इंडिया फिल्म से सैफ अली खान और जाह्नवी कपूर ने साउथ फिल्मों में अपनी शुरुआत की है. फिल्म की कास्टिंग खास है और फिल्म के एक्शन पर भी काफी खर्च किया गया है ,लेकिन कहानी घिसी पिटी ही रह गयी है.जिसको देखते हुए आपको यह शाहरुख़ खान की फिल्म जवान की कई बार याद आ जाती है और फिल्म अपने क्लाइमेक्स तक – तक पहुँचते बाहुबली पार्ट वन के मोड़ तक पहुंच जाती है, जो इस फिल्म को और कमजोर बना गया है. इसके साथ ही कहानी में खलनायक के किरदार को वह मजबूती भी नहीं दी गयी है, जो इस कहानी की जरुरत थी. कुल मिलाकर अगर आप जूनियर एनटीआर के काम को पसंद करते हैं, तो एक बार इस कमजोर कहानी वाली फिल्म को देख सकते हैं.

जवान फिल्म की राह चलते चलते कहानी बाहुबली वाले ट्विस्ट पर खत्म होती है  
फिल्म की कहानी की बात करें तो इसकी शुरुआत मुंबई से होती है.भारत क्रिकेट वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहा है और उसे सही ढंग से करने के लिए सरकार येति नाम के एक क्रिमिनल को सलाखों के पीछे चाहता है. येति की तलाश पुलिस को मुंबई से साउथ पहुंचा देती है. जहां इन पुलिस वालों को 12 साल पुरानी देवरा (जूनियर एनटीआर )की कहानी मालूम पड़ती है. समुन्दर के पास एक तट पर चार गांव बसे हुए हैं.उस गांव में रहने वाले सभी लोग उन शूरवीर योद्धाओं के वंशज है,जो पहले राजाओं की मदद उनके राज्यों को सुरक्षित रखने के लिए करते थे, फिर देश की रक्षा अंग्रेजों से  करते आये थे लेकिन अब वह अपना और अपनों का पेट पालने के लिए कुछ प्रभावशाली लोगों के हाथ की कठपुतली बन गए हैं,जो समुन्द्र के रास्ते हथियारों की तस्करी करवाने के लिए इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. चंद पैसों के लिए वे लोग लुटेरे बन चुके हैं.एक दिन अपनी गलतियों का एहसास होने के बाद देवरा सभी गांव वालों को इस बुरे काम को छोड़ने को कहंता है, लेकिन भैरा (सैफ अली खान )और दूसरे गांव के लोग नहीं मानते हैं,लेकिन देवरा सभी लोगों को चेतावनी देता है कि जो भी समुन्द्र में लूटमार के इरादे से जाएगा।समुन्द्र उसके खून से लाल हो जाएगा।उसके बाद देवरा का आतंक सभी गांव वालों में फ़ैल जाता है.देवरा समुन्द्र का रक्षक बन गया है, लेकिन वह गांव से दूर हो गया है.उसे सालों से किसी ने देखा नहीं है,लेकिन उसकी चेतावनी सभी को याद है और जो भी उसकी चेतावनी को नजरअंदाज करता है. देवरा उसे सजा देता है.12 साल बीत चुके हैं. भैरा ने युवा लड़कों का एक गिरोह बनाया है, जिससे वह देवरा को चुनौती देना चाहता है.उसे देवरा की तलाश है.आखिर 12 साल पहले देवरा ने गांव क्यों छोड़ दिया। गांव से दूर होने के बावजूद वह कैसे समुन्द्र की रक्षा कर पा रहा है.इन सब सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.


फिल्म की खूबियां और खामियां

जूनियर एनटीआर ने फिल्म के ट्रेलर लांच में निर्देशक कोरटला शिवा की तारीफ करते हुए कहा था कि वह सबसे अधिक कहानी को अहमियत देते हैं.यही बात उन्हें निर्देशक और लेखक के तौर पर ख़ास बनाती है, लेकिन ढाई घंटे से अधिक समय की इस फिल्म को देखते हुए इसकी सबसे बड़ी खामी इसकी कहानी और स्क्रीनप्ले ही दिखती है. फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जो रोमांच को बढाए.कहानी से जुड़ा अहम सस्पेंस पहले से ही मालूम पड़ जाता है.फिल्म की कहानी में नयेपन की भारी कमी है.फिल्म का पहला भाग खींचता है. दूसरे भाग में खूब सारा एक्शन ही भर दिया गया है, जैसे कहानी थोड़ा संभलती है.क्लाइमेक्स आ जाता है और दूसरे पार्ट के लिए कहानी को छोड़ दिया गया है.फिल्म के संवाद लार्जर देन लाइफ वाले हैं,लेकिन कुछ भी यादगार जैसा नहीं बन पाया है.फिल्म का एक्शन प्रभावशाली है गीत संगीत की बात करें तो वह कहानी और किरदारों के साथ न्याय करते हैं. बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा बन पड़ा है और सिनेमेटोग्राफी भी फिल्म के साथ बखूबी न्याय करती है. 

हर फ्रेम में है जूनियर एनटीआर 

यह फिल्म जूनियर एनटीआर की है. फिल्म में उनका डबल रोल है, तो वह फिल्म के हर फ्रेम में मौजूद हैं.वह अपने चित परिचित अंदाज में नजर आये हैं.उन्होंने स्वैग के साथ अपने किरदार को जिया है.सैफ अली खान अपने अभिनय से किरदार के साथ न्याय करते हैं.अगर कहानी में सैफ का किरदार प्रभावशाली ढंग से लिखा गया होता तो वह जूनियर एनटीआर पर अपने अभिनय से भारी पड़  सकते थे.जाह्नवी कपूर इस फिल्म को घर वापसी जैसा करार दिया था, लेकिन इस फिल्म में उनके करने के लिए कुछ भी नहीं है.फिल्म में इंटरवल के बाद उनकी एंट्री हुई है और एक गाने के अलावा वह गिने -चुने दृश्यों में ही नजर आयी हैं.अभिमन्यु सिंह,मुरली शर्मा अपने चित परिचित अंदाज में नजर आये हैं. बीते दौर की अभिनेत्री रामेश्वरी को एक अरसे बाद परदे पर देखना सुखद है.प्रकाश राज फिल्म में नरेटर की भूमिका में उनके करने को कुछ खास नहीं था. बाकी के किरदारों ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.—

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