Fateh movie review:साइबर क्राइम की इस कहानी में सोनू सूद ने एक्शन से किया इम्प्रेस

सोनू सूद की डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म फतेह सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. फिल्म को देखने का प्लान कर रहे हैं तो इससे पहले पढ़ लें ये रिव्यु

By Urmila Kori | January 10, 2025 6:04 PM

फिल्म -फतेह 

निर्माता और निर्देशक -सोनू सूद

कलाकार -सोनू सूद, जैकलीन फर्नांडीज,नसीरुद्दीन शाह, विजय राज,शिव ज्योति राजपूत , दिब्येंदु भट्टाचार्य , प्रकाश बेलावड़ी, शीबा, आकाशदीप और अन्य 

प्लेटफार्म :सिनेमाघर

रेटिंग :ढाई 


fateh movie review :इंडस्ट्री में ऐसे अभिनेताओं की लम्बी फेहरिस्त है, जो अभिनय के साथ -साथ निर्देशन की जिम्मेदारी को संभालते आये हैं.राज कपूर से लेकर अजय देवगन तक कई इसका उदाहरण रहे हैं. इस शुक्रवार इस फेहरिस्त में फिल्म फतेह से सोनू सूद का नाम भी जुड़ गया है.इस फिल्म में अभिनय के साथ -साथ लेखन और निर्देशन की जिम्मेदारी भी सोनू सूद ने ही संभाली है.साइबर क्राइम के थीम पर बनी इस फिल्म का विषय अनूठा है, लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले फिल्म को प्रभावी नहीं बनने दिया है.सोनू सूद ने अपने एक्शन और जबरदस्त स्क्रीन प्रजेंस से फिल्म को आधार दिया है.जिस वजह से यह फिल्म एक बार देखी जा सकती है.

साइबर क्राइम के खिलाफ जंग की है कहानी 

फिल्म की शुरुआत फतेह (सोनू सूद) के हॉलीवुड स्टाइल एक्शन से होती है, लेकिन फिर कहानी कुछ महीने पीछे जाते हुए पंजाब के मोगा में पहुंच जाती है. फतेह गांव में एक सीधा साधा जीवन जी रहा है. उसकी एक डेयरी फार्म है, लेकिन साइबर क्राइम की वजह से उसके आसपास के लोगों की जिंदगी पर बन आती है, जिसके बाद फतेह साइबर क्राइम के सिंडिकेट के खात्मे के मिशन पर निकल पड़ता है, जिसमें उसका साथ एथिकल हैकर खुशी ( जैकलीन )देती है.इस दौरान यह बात भी सामने आती है कि गांव में सीधी साधी जिंदगी जी रहा फतेह  एक वक्त देश के एक सीक्रेट स्पेशल टास्क फोर्स का जांबाज ऑफिसर था. क्या वह इस मिशन में भी कामयाब होगा.आगे की यही कहानी है.

फिल्म की खूबियां और खामियां 

साइबर क्राइम पर आधारित फिल्म का विषय समायिक है. कर्ज बांटने वाले सोशल एप आम लोगों के लिए मौत का फंदा बन चुके हैं. ये बात अब किसी से छिपी नहीं है.फिल्म में डीपफेक का भी जिक्र है.मौजूदा दौर में ऐसे विषयों पर और फिल्में बननी चाहिए ताकि आम लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक हो सकें.फिल्म का विषय अच्छा है ,लेकिन लेखन में गहराई की कमी है. साइबर क्राइम के मुद्दे को  थोड़ा और डिटेल में दिखाने की जरूरत थी,तो फिल्म की स्क्रिप्ट से जुड़ा इमोशनल पहलु भी प्रभावी नहीं बन पाया है. निम्रत (शिवज्योति )और फतेह के बीच वह बॉन्डिंग स्थापित नहीं की गयी है कि फतेह उसके लिए मोगा से निकलकर दिल्ली, दुबई होते हुए खूनी जंग शुरू कर उसके सभी गुनहगारों को अंजाम तक पहुंचा सके. फिल्म में जितना ताकतवर विलेन होगा कहानी का रोमांच उतना ही बढ़ता है, लेकिन इस फॉर्मूले को फिल्म के स्क्रीनप्ले में पूरी तरह से नकारा गया है. फिल्म के शुरुआत में नसीरुद्दीन शाह और विजय राज के किरदार को बहुत ही महिमामंडन के साथ प्रस्तुत किया गया था, लेकिन कहानी में उनके हिस्से करने को कुछ खास नहीं था. जो फिल्म को भी कमजोर बनाता है. फिल्म का ट्रीटमेंट हॉलीवुड स्टाइल वाला है. फिल्म कई दृश्यों में हॉलीवुड के पॉपुलर फिल्मों की याद दिलाते हैं. इससे इंकार नहीं है.फिल्म की सिनेमेटोग्राफी उम्दा है.फिल्म के एक्शन दृश्यों के लिए इसकी तारीफ बनती है.फ़ास्ट एंड फ्यूरियस फेम ली व्हिटेकर इससे जुड़े हुए हैं. जॉन विक से लेकर एनिमल तक की छाप है. गीत संगीत की बात करें तो गानों को भरकर फिल्म की लम्बाई को भी बढ़ाया नहीं गया है.फिल्म के आखिर में हनी सिंह का गाना आता है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक इसे सपोर्ट करता है.इस एक्शन थ्रिलर फिल्म में संवाद चुटीले हैं.

सोनू सूद का वन मैन आर्मी वाला है अंदाज

अभिनय की बात करें तो यह फिल्म सोनू सूद की है. उन्होंने बखूबी इस फिल्म को अपने कन्धों में उठाया है. एक्शन दृश्यों में वह वन मैन आर्मी दिखें हैं.अपनी उम्दा फिटनेस की वजह से वह हर फ्रेम में विश्वसनीय भी नजर आते हैं. जैकलीन फर्नांडीज एक अरसे बाद स्क्रीन पर नजर आयी हैं. अभिनय के मामले में वह फिर औसत रह गयी हैं.नसीरुद्दीन शाह और विजय राज अपने किरदार के सीमित आर्क को  भी अपने अभिनय से मजबूती देते हैं.दिब्येंदु और प्रकाश  समर्थ अभिनेता हैं, लेकिन कहानी उनके किरदार के साथ न्याय नहीं पायी है.शिव ज्योति ने अपने सीमित स्क्रीन स्पेस में अच्छा काम किया है. बाकी के किरदारों का काम ठीक ठाक है. 

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