फ़िल्म- फ्रेडी
निर्देशक -शशांक घोष
कलाकार-कार्तिक आर्यन, अलाया एफ,सज्जाद और अन्य
प्लेटफार्म -डिज्नी प्लस हॉटस्टार
रेटिंग- 3
अभिनेता कार्तिक आर्यन बतौर एक्टर खुद को फ़िल्म दर फ़िल्म साबित करते जा रहे है. अब उनकी ख्वाहिश सिर्फ मास क़े हीरो बने रहने भर की नहीं रह गयी है बल्कि वह क्लास क़े भी एक्टर हैँ,इसलिए मसाला फिल्मों क़े साथ- साथ वे प्रयोगवादी फिल्मों को भी प्रमुखता दे रहे है. जहाँ वह नायक क़े चित- परिचित अंदाज़ से इतऱ किरदारों में नज़र आए और अभिनय की एक नयी ऊंचाई को छुए. डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई उनकी फ़िल्म फ्रेडी इसका एक बेहतरीन उदाहरण बनकर सामने आयी है.
फ़िल्म का शीर्षक फ्रेडी है जिससे यह बात साफ हो जाती है क़ि यह फ्रेडी (कार्तिक आर्यन ) की ही कहानी होगी. फ्रेडी एक सफल डेंटिस्ट हैँ, लेकिन निजी ज़िन्दगी में असफल मतलब अकेला है. वह बीते पांच सालों से मैट्रिमोनियल साइट पर अपनी सोलमेट की तलाश कर रहा है, लेकिन लड़कियां फ्रेडी से दूर भागती है क्यूंकि वह बहुत डरा और सहमा सा है. उसके पीछे की वजह उसके बचपन से जुडी है. लड़कियों को वह बहुत अनकूल टाइप का लगता है. लगातार लड़कियों से रिजेक्ट होते होते एक दिन उसकी ज़िन्दगी में कायनाज (अलाया एफ )की एंट्री होती है. वह फ्रेडी को उसकी सोलमेट का एहसास दे जाती है, लेकिन दिक्कत यह है कि वह शादीशुदा है. वह एक बुरी शादी में फंसी हुई है.फ्रेडी, कायनाज को इस बुरी शादी से निकालने और अपनी ज़िन्दगी में शामिल करने क़े लिए उसके पति को मारने का प्लान बनाता है और वह इसमें कामयाब भी हो जाता है. क्या फ्रेडी और कायनाज एक हो जाएंगे या कहानी कोई और मोड़ लेगी. इसके लिए आपको यह फ़िल्म देखनी होगी.
फ़िल्म का पहला भाग स्लो है. फ्रेडी क़े किरदार को बिल्ड करने में थोड़ा ज़्यादा समय दिया गया है. कहानी में जो कुछ भी ट्विस्ट एंड टर्न आते हैँ, वो कहीं ना कहीं आपको पता होते हैँ. जिससे फ़िल्म का ट्विस्ट एंड टर्न आपको रोमांचित नहीं कर पाता है. . पुलिस की सीरियस जांच पड़ताल को भी स्क्रिप्ट से दूर ही रखा गया है और ये भी अपने बचपन क़े ट्रामा से फ्रेडी ने किस तरह से उबारा.फ़िल्म क़े स्क्रीनप्ले पर थोड़ा और काम करने की ज़रूरत थी.जिससे यह एक उम्दा फ़िल्म बन सकती थी.स्क्रिप्ट से जुडी स्माइल की बात करें तो कहानी में यह बात भले ही समझ आ जाती है कि अब क्या होगा, लेकिन जिस तरह से यह कहानी कही गयी है. वह बहुत दिलचस्प है. फ्रेडी बदला लेगा ये बात पता होती है, लेकिन कैसे लेगा वो खास है. फ्रेडी सहमा, संकोची सा है,लेकिन प्यार में धोखा खाने क़े बाद जिस तरह से वह बदला लेने का मास्टर प्लान बनाता है. वह आपको इस फ़िल्म से पूरी तरह से जोड़े रखता है. आप जानना चाहते हैँ कि फ्रेडी ये सब अकेले कैसे कर लेगा. इसके अलावा फ़िल्म में गिने -चुने किरदार हैँ, लेकिन जिस तरह से वह रंग बदलते हैँ. वह इस फ़िल्म की कहानी दिलचस्प बनाते है.बदले इस कहानी में हास्य क़े रंग भी हैँ.जो कहानी को ज़रूरत से ज़्यादा इंटेंस नहीं होने देता है.
फ़िल्म का कैमरावर्क बेहतरीन है.जिस तरह से कहानी को कहाँ गया है.वह इसमें एक अलग रंग भरता है. फ़िल्म क़े गीत संगीत की बात करें तो यह कहानी और किरदार क़े हालात दोनों को मजबूती से बयां करता है. खासकर फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक फ़िल्म क़े नरेटिव क़े साथ बखूबी जाता है. फ़िल्म क़े संवाद भी कहानी क़े साथ न्याय करते हैँ.
अभिनय की बात करें तो यह फ़िल्म पूरी तरह से कार्तिक क़े कंधों पर है और उन्होने इसे बखूबी निभाया भी है. अपने बचपन से जुड़े दर्द, महिलाओं क़े प्रति आकर्षण, अपनी झिझक, आत्मविश्वास की कमी, अपने किरदार से जुड़े हर पहलू को उन्होने पूरी शिद्दत क़े साथ अपनी बॉडी लैंग्वेज, संवाद अदाएगी और चेहरे क़े हाव -भाव क़े साथ जिया है.जिसके लिए उनकी तारीफ बनती है. एक्टर क़े तौर पर यह फ़िल्म उन्हें एक पायदान ऊपर ले जाती है. अलाया फर्नीचर वाला का किरदार भी दिलचस्प है. जिस तरह से उन्होंने अपने किरदार को कहानी में ट्रांसफार्म किया है. वह अच्छा बन पड़ा है. सज्जाद भी अपनी भूमिका में जमे है. पारसी लहजा उन्होने बखूबी किरदार में जोड़ा है.
यह रोमांचक फ़िल्म कार्तिक आर्यन क़े जानदार परफॉरमेंस की वजह से देखी जानी चाहिए.