Kaun Banegi Shikharwati Review: मनोरंजन नहीं बोर करती है कौन बनेगा शिखरवती
Kaun Banegi Shikharwati Review: नसीरुद्दीन शाह, रघुबीर यादव,लारा दत्ता, सोहा अली खान की सीरीज कौन बनेगा शिखरवती रिलीज हो गई है. इसमें से ड्रामा औऱ इमोशन नदारद है.
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वेब सीरीज: कौन बनेगा शिखरवती
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निर्माता: अप्पलॉज एंटरटेनमेंट
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निर्देशक: गौरव चावला और आन्या बनर्जी
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प्लेटफार्म: ज़ी फाइव
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कलाकार: नसीरुद्दीन शाह,रघुबीर यादव,लारा दत्ता,सोहा अली खान,कृतिका कामरा,
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रेटिंग: * * (2/5)
नए साल की शुरुआत में तीसरे परदे यानी ओटीटी ने अपनी भागीदारी वेब सीरीज कौन बनेगा शिखरवती से दर्शायी है. ज़ी 5 प्लेटफार्म, निर्माता अप्पलॉज और कलाकारों में नसीरुद्दीन शाह, रघुबीर यादव,लारा दत्ता, सोहा अली खान जैसे नाम शामिल थे लेकिन कमज़ोर कहानी, बेढंगे स्क्रीनप्ले और लचर संवाद ने इस सीरीज को पूरी तरह से बोझिल बना दिया है.
कहानी राजा मृत्युंजय शिखरवत (नसीरुद्दीन शाह) की है. जो अपने दिवालिया पर है। प्रॉपर्टी टैक्स 32 करोड़ के पार जा चुका है. अगर वो कुछ दिनों में नहीं भरा गया तो महल नीलाम हो जाएगा. मृत्युंजय की ज़िंदगी में यही एक परेशानी नहीं है. उनकी चार बेटियां छह साल पहले उन्हें छोड़कर जा चुकी है. बहनों में आपस में बनती नहीं है. अपने पिता मृत्युंजय को वे अपना दुश्मन मानती हैं. मृत्युंजय अपने सलाहकार मिश्रा जी (रघुबीर यादव)के साथ मिलकर ऐसा प्लान बनाते हैं जिससे उनकी बेटियां उनके पास आ जाए और टैक्स की रकम भी भर दी जाए. बेटियों की अपनी अपनी जिंदगियों की परेशानियां उन्हें शिखरवती पहुंचा देती है. राजा मृत्युंजय एक और नाटक रचते हैं. प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं. जिसमें विजेता होने वाली बेटी को शिखरवती का राजा बनाने का एलान करते हैं. क्या राजा बेटियों से सुलह कर अपने परिवार को एक कर शिखरवती को बचा पाएंगे. कौन बनेगी शिखरवती.
यही आगे की कहानी है. जो इस उबाऊ सीरीज को और बोझिल बना देती है.सीरीज का पूरा ट्रीटमेंट कॉमेडी है लेकिन मुश्किल से किसी दृश्य में हंसी आती है. सीरीज से ड्रामा औऱ इमोशन भी नदारद है. एक भी किरदार से आप कनेस्ट ही नहीं हो पाते हैं. कहानी के एक सिरे में खजाना भी कुछ लोग ढूंढने में लगे हैं लेकिन थ्रिलर एलिमेंट कहानी से जुड़ नहीं पाया है. लॉजिक भी हर चीज़ की तरह गायब है.
बहुत सारे टैक्स शेखावती पर लगे हुए हैं. राजा के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. प्रजा के पास रोजगार नहीं है. सभी शेखावती रोजगार के लिए मेवाड़ जा रहे हैं. जब राजा और राज्य की हालत इतनी खस्ताहाल है तो ऐसे में राजा के पास इतने बड़े नौकरों की फौज कैसे है. वह उनके खर्चें किस तरह से मैनेज कर रहे हैं. इसके साथ ही वह अपने अजीबोगरीब नखरों को किस तरह से पाल रहे हैं. वेब सीरीज के किरदार गेम खेलते हुए नेटफ्लिक्स की पॉपुलर वेब सीरीज स्क्विड गेम के कपड़े पहने दिखें हैं लेकिन इस वेब सीरीज में जिस तरह के गेम दिखाए गए हैं. वह स्क्रीनप्ले को और भी बेतुका कर गए हैं. मौजूदा समय में नौटंकी, लाइट ऑफ करके डराने वाला गेम भला कैसे कोई कैसे खेल सकता है. वेब सीरीज का स्क्रीनप्ले ज़िन्दगी के नौ रसों की बात करता है लेकिन एक भी रस इस वेब सीरीज का हिस्सा नहीं बन पाया है. परदे पर कॉमेडी के नाम पर जो कुछ भी नज़र आ रहा है. वह बेवकूफी से कम नहीं है.
अभिनय की बात करें तो फ़िल्म में अभिनय के कई दिग्गज और पॉपुलर चेहरे शामिल हैं.नसीरुद्दीन शाह, रघुबीर यादव, लारा दत्ता,सोहा अली खान लेकिन कमज़ोर स्क्रीनप्ले औऱ लचर संवाद उन्हें कुछ भी परदे पर प्रभावी करने नहीं दे पाया है.
वेब सीरीज के कुछ गिने चुने अच्छे पहलुओं की बात करें तो नसीरुद्दीन शाह और रघुबीर यादव की जुगलबंदी अच्छी बन पड़ी है. सारा अली खान की बेटी बनी बाल कलाकार पद्मा बेहतरीन रही हैं. वेब सीरीज का लोकेशन भी अच्छा है। फ़िल्म का म्यूजिक भी बाकी पहलुओं की तरह कमज़ोर रह गया है. कुलमिलाकर इस वेब सीरीज से दूर रहने में ही समझदारी है.