फिल्म- मेरी क्रिसमस
निर्देशक- श्रीराम राघवन
कलाकार- विजय सेतुपति, कैटरीना कैफ, राधिका आप्टे, संजय कपूर, विनय पाठक, अश्विनी कलसेकर और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग- तीन
अंधाधुंन की जबरदस्त कामयाबी के बाद निर्देशक श्रीराम राघवन एक और थ्रिलर फिल्म मेरी क्रिसमस के साथ आए हैं. थ्रिलर के साथ-साथ इस फिल्म में विजय सेतुपति और कैटरीना कैफ की अनयुजवल जोड़ी चर्चा में थी. दोनों के शानदार अभिनय, दिलचस्प ट्विस्ट एंड टर्न और जबरदस्त वन लाइनर इस फिल्म को शुरू से अंत तक रोचक के साथ-साथ एंटरटेनिंग भी बनाती है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि फिल्म के क्लाइमेक्स पर थोड़ा और काम करने की जरूरत थी.
एक रात की है कहानी
फिल्म के पहले ही सीन से दो मिक्सर में दो लोगों की दुनिया को जोड़ दिया गया है. जिसने एक में मसाला पीस रहा होता है, तो दूसरे में दवाईयां इनका आपस में क्या कनेक्शन है. कहानी क्रिसमस इव की एक शाम में बॉम्बे कहे जाने वाले वक्त में पहुंच जाती है. अंधेरी रात में जगमगाते एक सड़क पर अल्बर्ट (विजय सेतुपति) और मारिया (कैटरीना) दोनों अजनबी हैं. कुछ समय पहले ही उनकी मुलाकात हुई है. बातचीत के साथ परते खुलती हैं. मारिया अपनी शादी से खुश नहीं है. अल्बर्ट सात साल बाद दुबई से मुंबई आया है. अपनी मां को खो चुका है. दोनों एक दूसरे के साथ में कुछ समय के लिए ही सही सुकून पाना चाहते हैं. मारिया अपने साथ अल्बर्ट को अपने घर ले जाती है, लेकिन पाती है कि उसके पति जेरोम ने आत्महत्या कर ली है और कहानी एक नया मोड़ ले लेती है. यही आगे की कहानी है.
फिल्म की खूबियां और खामियां
फिल्म फ़ेड्रिक दा के फ्रेंच उपन्यास ला मोंटे चार्ज पर आधारित है. इस थ्रिलर फिल्म का मूड पहले ही सीन से सेट कर दिया गया है. यह एक थ्रिलर फिल्म है, लेकिन फिल्म का ट्रीटमेंट बहुत ही हल्के फुलके अन्दाज में किया गया है. फिल्म के जबरदस्त वन लाइनर पूरे समय आपको गुदगुदाते रहते है. श्रीराम राघवन की छाप पूरी फिल्म में आपको देखने को मिलेगी. डार्क थीम, पुरानी फिल्मों के रेफ़्रेंस को एक बार फिर उनकी इस फिल्म का भी हिस्सा हैं. ट्विस्ट एंड टर्न लगातार फिल्म में आते रहते हैं .खामियों की बात करें तो फिल्म का क्लाइमेक्स थोड़ा कमजोर रह गया है. उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया है. यह बात भी अखरती है कि अल्बर्ट जेरोम की मौत को जान चुका है इसके बावजूद मारिया परेशान क्यों नहीं होती है. उसे क्यों लगता है कि वह उसके खिलाफ नहीं जाएगा. इसके साथ ही हत्या हुए एक घर में किसी पुलिस वाले को क्यों नहीं रोका गया. पुलिस की जांच बहुत ढीली है. फिल्म के गीत संगीत जी बात करें तो वह पूरी तरह से सिचुएशन के साथ मेल खाते हैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी इस फिल्म की थीम को और दिलचस्प बनाती है.
विजय सेतुपति की यादगार परफॉरमेंस
अभिनय की बात करें तो सेतुपति एक दमदार अभिनेता हैं. एक बार फिर उन्होंने अपने परफॉरमेंस से इस फिल्म में साबित किया है. वे हंसाते हैं, गुदगुदाते हैं, डराते हैं, मासूम भी लगते हैं और कई मौकों पर चकित भी कर जाते हैं. उनका लाजवाब अभिनय ही है, जो आपका ध्यान उनकी थोड़ी कमजोर हिन्दी पर जाने नहीं देता है. इस फिल्म में जब विजय के साथ कट्रीना की जोड़ी बनी थी तो यही सवाल जेहन में था कि क्या कैटरीना अपने परफॉरमेंस से मेल खा पाएंगी और उन्होंने ने यहां बहुत अच्छी कोशिश की है. मारिया के किरदार में पूरे समय कई तरह की भावनाओं से गुजरती है. उन्होंने पर्दे पर हर इमोशंस को बखूबी सामने लाया है. फिल्म में संजय कपूर मेहमान भूमिका में अपनी उपस्थिति दर्शाने में कामयाब रहे हैं. विनय पाठक और प्रतिमा काजमी अपनी मौजूदगी से फिल्म को रोचक बनाते हैं. टीनू आनंद, राधिका आप्टे और अश्विनी कलसेकर छोटी भूमिकाओं में याद रह जाते हैं. बच्ची की भूमिका में नजर आयी चाइल्ड आर्टिस्ट ने भी अपने अभिनय से फिल्म को रोचक बनाया है.