22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Rocket Boys 2 review: इस बार भी रॉकेट बॉयज की रही है ऊंची उड़ान, यहां पढ़ें रिव्यू

सोनी लिव की बहु प्रतीक्षित वेब सीरीज राकेट बॉयज 2 ने दस्तक दे दी है. आधुनिक भारत की नीव रखने वाले महान वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा और विक्रम साराभाई की यह कहानी है. पहला सीजन जहां से खत्म हुआ था वहां से दूसरा सीजन शुरू होता है.

वेब सीरीज- रॉकेट बॉयज 2

निर्देशक -अभय पन्नू

कलाकार – जिम सर्भ, इश्वाक सिंह, रेजिना कैसेंड्रा, सबा आज़ाद, दिब्येंदु भट्टाचार्य, अर्जुन राधाकृष्णन, चारू और अन्य

प्लेटफार्म – सोनी लिव

रेटिंग -साढ़े तीन

सोनी लिव की बहु प्रतीक्षित वेब सीरीज राकेट बॉयज 2 ने दस्तक दे दी है. आधुनिक भारत की नीव रखने वाले महान वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा और विक्रम साराभाई की यह कहानी है. पहला सीजन जहां से खत्म हुआ था वहां से दूसरा सीजन शुरू होता है. स्क्रीनप्ले की कुछ खामियों को नजरअंदाज़ कर दें, तो यह सीरीज एक बार फिर से जानकारी देने के साथ साथ मनोरंजन करने में कामयाब हुई है और एक बार फिर से इस सीरीज से जुड़े कलाकारों ने उम्दा काम किया है. कुलमिलाकर यह सीरीज उम्मीदों पर खरी उतरती है.

भारत को न्यूक्लियर पावर बनाने की है कहानी

रॉकेट बॉयज यानी होमी भाभा (जिम) और विक्रम (इश्वाक) अपने-अपने प्रोजेक्ट पर अलग- अलग से काम कर रहे हैं. होमी भाभा परमाणु बम बनाने में व्यस्त हैं, और विक्रम साराभाई शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. होमी के भारत को न्यूक्लियर पावर बनाना आसान नहीं है. संसाधन की कमी के साथ -साथ अमेरिका भी मुसीबत बना हुआ है. अमेरिका भारत को परमाणु सम्पन्न राष्ट्र नहीं बनने देना चाहता है. वह इसके लिए कुछ भी करने को तैयार है, लेकिन होमी किसी भी हालत में इस मिशन को रोकना नहीं चाहते हैं. वह अलग -अलग तरकीबें अपनाकर मिशन को जारी रखे हुए हैं, लेकिन उन्हें इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है.

होमी का परमाणु सम्पन्न देश के सपने से विक्रम सारा भाई को पहले ऐतराज था, ऐसे में वह किस तरह से होमी के सपने से जुड़ते हैं और 18 मई 1974 को बुद्धा मुस्कुराये से आधुनिक भारत की शुरुआत होती है. यह सीरीज उसी ऐतिहासिक घटना को परदे पर जीती है. सीरीज की कहानी की एक अहम धुरी इस बार राजनीति भी बना है. राजनीति में भी काफी कुछ बदल गया है ,क्योंकि प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद अब उनकी बेटी इंदिरा गांधी सत्ता में है. एक महिला होने के नाते उसपर खुद को साबित करने की चुनौती है. यह सीरीज भारतीय राजनीति के उथल पुथल को नेहरू, शास्त्री और बाद में इंदिरा गांधी के जरिए दर्शाती है. यह भी बताता है कि राजनेताओं के लिए भी कई बार उनके निजी स्वार्थ से ज़्यादा देश हित रहा है.

स्क्रिप्ट की खूबियां और खामियां

सीरीज को काफी एंगेजिंग तरीके से लिखा गया है. शुरूआती के पांच एपिसोड्स कहानी पूरी तरह से आपको बाँधकर रखती है. पर्दे पर जो कुछ भी चल रहा होता है , वही पूरी तरह से आपको बांधे रखता है. सीरीज की कहानी और संवाद हर पात्र की जिंदगी की गहराइयों में जाकर भी झांकते हैं. इस सीरीज का लगभग हर चरित्र बेहद खास है, लेकिन मेकर्स ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि उनकी पीड़ा, शिकायतों और कमियों को भी उजागर किया जाए. वे विजनरी साइंटिस्ट थे , इसका मतलब ये नहीं कि उनकी ज़िन्दगी में इंसानों वाले भाव का अभाव थे.

मेकर्स ने इस बात का पूरा ध्यान दिया है कि वे पहले इंसान थे , उनके महान अचीवमेंट की लाइट में उनकी इंसानी कमियों को नज़रअंदाज नहीं किया है. दोनों के बीच में बहुत ही खूबसूरती के साथ बैलेंस बनाया है. सीरीज की कमियों की बात करें तो लेखन में थोड़ा मामला कमज़ोर रह गया है खास कर आखिर के तीन एपिसोड उस तरह से प्रभावी नहीं बन पाए हैं ,जैसे ज़रूरत थी. सबकुछ जल्दीबबाजी में किया जैसा लगता है.

एक्टिंग में फिर बना शो की अहम यूएसपी

अभिनय की बात करें तो जिम सरभ और इश्वाक इस सीजन भी अपने किरदार को उसी बारीकी से जीते हैं. अपने अभिनय क्षमता को इन दोनों कलाकारों ने बयान किया है. उन्हें देखकर स्क्रीन पर लगता नहीं है कि वह किरदार कर कर रहे हैं, बल्कि लगता है कि वह किरदार ही हैं.

चारु शंकर सीरीज में भारत की पूर्व दिवंगत पीएम इंदिरा गांधी की भूमिका में हैं और सबसे अच्छी बात यह है कि वह उनकी मिमिक्री नहीं करती हैं. जैसा आमतौर पर इंदिरा गांधी के किरदार को निभाते हुए देखा जाता है. चारु शंकर ने एक अलग तरह से इस भूमिका के साथ न्याय किया है.डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम के रूप में अर्जुन राधाकृष्णन की कास्टिंग दिलचस्प है. एक्टर ने सीमित स्क्रीन स्पेस में भी अपनी छाप छोड़ी है. दिब्येंदु भट्टाचार्य के उम्दा परफॉरमेंस के लिए उनकी तारीफ बनती है.रेजिना कैसेंड्रा ने इस सीजन फिर से अपनी चमक बिखेरी है. सबा आज़ाद के लिए इस बार करने को कुछ खास नहीं था. बाकी के किरदारों ने भी अपने हिस्से के किरदारों को बखूबी जिया है.

Also Read: Zwigato Movie Review: कपिल शर्मा की यह फ़िल्म दिल तक डिलीवर नहीं हो पायी है, पढ़ें रिव्यू
ये पहलू भी हैं बेहद खास

वेब सीरीज के संवाद उम्दा हैं. जो कर किरदार की ज़िंदगी और उसके नज़रिये को गहरे तरीके से सामने लेकर आती है. पिछले सीजन की तरह इस सीजन भी 60 और 70 के दशक को पर्दे पर पूरी बारीकी के साथ सेटअप में लाया गया है. सीरीज म्यूजिक कहानी में एक अलग रंग भरता है. बाकी दूसरे पहलु भी शो के साथ पूरी तरह से न्याय करते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें