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Ulajh Movie Review:जान्हवी कपूर का अभिनय ही नहीं कहानी भी है कमजोर 

ulajh movie आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी है. जाह्नवी कपूर की इस फिल्म को देखने जाने का प्लान है,तो पढ़ लें यह रिव्यु

फिल्म – उलझ

निर्माता – विनीत जैन

निर्देशक -सुधांशु सरिया 

कलाकार – जाह्नवी कपूर , गुलशन देवैया , रोशन मैथ्यू, राजेश तैलंग , राजेंद्र गुप्ता,रुशद राणा, हिमांशु मल्लिक और अन्य 

प्लेटफार्म – सिनेमाघर 

रेटिंग – दो 

ulajh movie जाह्नवी कपूर के करियर की उन फिल्मों में से हैं, जिनकी कहानी का आधार उनका ही किरदार है.हिंदी सिनेमा में अभिनेत्रियों को कई दशक बिताने के बाद ऐसे मौके मिलते हैं, लेकिन 2018 से  फिल्मों में अपनी शुरुआत करने वाली जाह्नवी को यह मौका लगभग उनकी हर फिल्म लगातार दे रही है , लेकिन उनका अभिनय कहानी को वह आधार अब तक नहीं दे पाता है, जो किसी फिल्म की सबसे बड़ी जरुरत होती है.इसकी अगली कड़ी उलझ भी बनती है.स्पाई थ्रिलर  जॉनर की इस कहानी में जाह्नवी का अभिनय ही नहीं बल्कि कहानी और स्क्रीनप्ले में भी ढेरों कमियां हैं.

कांसेप्ट में मजबूत लेकिन कहानी है कमजोर 
उलझ की कहानी सुहाना भाटिया (जाह्नवी कपूर ) की है,जिसके दादा भारत देश के प्रसिद्ध डिप्लोमेट्स रहे हैं और अब पिता भी भारत के बड़े डिप्लोमेट्स हैं.इतने बड़े परिवार से ताल्लुकात रखने की वजह से उसपर खुद को साबित करने का दबाव है.वह चाहती है कि उसके पिता उस पर प्राउड करे.आखिर वह अपने परिवार को प्राउड करवाते हुए देश की सबसे युवा  डिप्टी हाई कमिश्नर  बन जाती है और उसकी पोस्टिंग लंदन में हो जाती है.वहां पर उसकी मुलाकात नकुल (गुलशन देवैया )से होती है और दोनों एक दूसरे के करीब आ जाते हैं,लेकिन जल्द ही नकुल के इरादे सामने आ जाते हैं.वह सुहाना के अश्लील वीडियो दिखाकर उससे देश के खुफिया कागजात लीक करवाता है.सुहाना धीरे – धीरे नकुल के जाल में फंसती जाती है.यह बात भी सामने आती है कि सुहाना की पोस्टिंग भी एक साजिश के तहत हुई थी.सुहाना किस तरह से इस साजिश का पर्दाफाश खुद को बेगुनाह साबित कर देश को भी बड़ी मुसीबत से बचाती है और क्या उसके पिता उस पर प्राउड करते हैं.यही फिल्म की आगे की कहानी है.


फिल्म की खूबियां और खामियां 

फिल्म की खूबियों की बात करें तो इस स्पाई थ्रिलर फिल्म की कहानी का आधार महिला पात्र है , जिसके लिए मेकर्स की तारीफ की जानी चाहिए, लेकिन कहानी का कांसेप्ट ही मजबूत भर है.यह फिल्म के स्क्रीनप्ले  में ढेर सारी  खामियां हैं. फिल्म में जाह्नवी आईएफएस ऑफिसर हैं , लेकिन जिस तरह से वह गुलशन देवैया के किरदार के प्यार के  ट्रैप में पहली ही मुलाकात में फंस जाती हैं , वह किसी टीनएज स्कूल गर्ल की याद दिलाता है.फिल्म में एक्शन सीन में इस बात को कई बार याद दिलाया गया है कि आईएफएस में फिजिकल ट्रेनिंग नहीं दी जाती है , लेकिन क्या मेन्टल ट्रेनिंग भी नहीं होती है कि आप किसी अनजान देश में किसी अनजान से पहली मुलाकात में ही उसके इतने करीब हो जाएं।यह फिल्म राजनीतिक साजिश की कहानी की बात करती है लेकिन सवा सौ से अधिक फिल्मों की तरह  कहानी यहां भी  भारत , काठमांडू और लंदन से होते हुए पाकिस्तान पर ही पहुंच  गयी है.भारत की जमीं पर पाकिस्तान के वजीर ए आजम की हत्या की साजिश. 2024 की यह फिल्म है , लेकिन स्नाइपर से ही इस साजिश पर निशाना लगाया गया है, जो हम अब तक सौ से अधिक फिल्मों में देख चुके है और हमेशा की तरह जैसे  हीरो अकेले साजिश को नाकामयाब करता है.यहां भी वही हुआ है,लेकिन चूंकि यहां हीरो हमारी हीरोइन है,तो वह ही यह करेगी और किसी को करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है.यह बात भी समझ नहीं आती कि पाकिस्तानी प्राइम मिनिस्टर के साथ भारत के प्रधानमंत्री बजाय रक्षा मंत्री हर जगह कैसे मौजूद हैं.शायद यह हिंट देने के लिए कि हमला कब करना है.फिल्म का प्रोटोकॉल्स से दूर – दूर तक कोई नाता नहीं है. राजेश तैलंग का किरदार नेगेटिव था या पॉजिटिव ये बात भी फिल्म खत्म होने के बाद भी समझ नहीं आयी. हिमांशु मलिक के किरदार और रक्षा मंत्री वाले प्रसंग को संवादों के बजाय कुछ सीन्स के जरिये दर्शाया जा सकता था कि आखिर पाकिस्तानी आतंकी को किस तरह से भारत से भगाया गया था. फिल्म के संवाद औसत है. गीत -संगीत कहानी के अनुरूप है.


जाह्नवी फिर रह गयी हैं कमजोर 

अभिनय की बात करें तो यह फिल्म जाह्नवी कपूर के लिए बनायी गयी है. उन्होंने कोशिश तो की है,लेकिन उनकी कोशिश परदे पर कामयाब नहीं हुई है. किरदार भले ही अलग – अलग उन्हें करने को मिल रहे हैं, लेकिन उनका अभिनय लगभग हर फिल्म में एक जैसा ही लगता है.उन्हें अभी खुद पर और काम करने की जरुरत है खासकर संवाद अदाएगी और इमोशनल दृश्यों पर. जाह्नवी के बाद इस फिल्म की कहानी में जिसे महत्व दिया गया है, वो अभिनेता गुलशन देवैया हैं और उन्होंने अपने किरदार को हर फ्रेम में बखूबी जिया है.उनका किरदार जिस तरह से बदलता है.उनका अभिनय भी उसी तरह से बदलता है.एक अच्छे अभिनेता की यही खासियत होती है.रोशन मैथ्यू भी अपनी भूमिका में छाप छोड़ते हैं.मियांग चांग, राजेश तैलंग, रुशद राणा सहित बाकी के किरदार अपनी – अपनी सीमित भूमिका के साथ न्याय करते हैं.

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