फ़िल्म – यू टी 69
निर्माता – राज कुंद्रा
निर्देशक – शाहनवाज़ हुसैन
कलाकार – राज कुंद्रा और अन्य
रेटिंग -एक
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
साल 2021 में पोरोनोग्राफी केस में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा की गिरफ्तारी हुई थी. गिरफ्तारी के लगभग दो महीने बाद राज कुंद्रा को जमानत मिली थी. जिसके बाद वे हमेशा अपने चेहरे को मास्क में छिपाए नज़र आते थे. यूटी 69 फिल्म की घोषणा के बाद उन्होंने अपने चेहरे के मास्क को भी हटा दिया. जिसके बाद लगा कि राज कुंद्रा अपनी इस फिल्म से पोर्नोग्राफी केस, अपने चेहरे को लगभग एक साल तक मास्क के पीछे छिपाने की वजहों सहित कई और पहलुओं को फिल्म में दिखाएंगे, लेकिन यह फिल्म इन सवालों के जवाब नहीं देती है. फिल्म के मेकर्स का यह एक्सक्यूज़ हो सकता है कि मामला निर्माणधीन है लेकिन फिर सवाल यह आता है कि आखिरकार राज कुंद्रा ने इस फिल्म को बनाने का फैसला ही क्यों किया था. सहनुभूति पाने के लिए या फिर अपनी इमेज को साफ़ करने के लिए अगर उन्होंने इस मंशा से फिल्म बनायीं है, तो वह इसमें पूरी तरह से नाकामयाब हुए हैं.
फिल्म की कहानी की बात करें तो यह फिल्म जेल में राज कुंद्रा के 67 डेज की कहानी को दो घंटे की पूरी फिल्म में बयां किया गया है. जेल में किस तरह से वह दयनीय स्थिति में थे. उनके बर्थडे पर उन्होंने सोनपापड़ी का केक काटा था. जेल के ख़राब खाने को खाया था. जिससे उनका पेट ख़राब हो जाता था. वह बिस्कुट खाकर रहते थे और जेल की कैंटीन से पानी खरीदकर पीते थे. कई सौ कैदियों के बीच में राज कुंद्रा को सोना पड़ता था. वाकई यह मुद्दा था,जिस पर फिल्म बनाने की ज़रूरत थी.फिल्म के हर दूसरे सीन में टॉयलेट का सीन उससे जुडी आवाज़ें हैं, जिनसे हंसी नहीं उलटी आती है. फिल्म दूसरे विचारधीन कैदियों की दयनीय स्थिति को दिखाने की बस कोशिश भर करती है , लेकिन फिल्म में ऐसा कुछ नहीं दिखा पायी है, जो आपके दिल को छू जाए. जेल में शारीरिक शोषण सहित कई दूसरे पहलुओं को कई फिल्मों और वेब सीरीज में बहुत ही संवेदनशील तरीके से इसे दिखाया गया है.यह फिल्म बस उन्हें सरसरी तौर पर छू कर चली जाती है. हालांकि फिल्म के अंत में यह परदे पर ज़रूर लिखा आता है कि राज कुंद्रा विचारधीन कैदियों के बारे कुछ करना चाहेंगे. इस फिल्म में शिल्पा शेट्टी की मौजूदगी है , वह अपने रियलिटी शो के फुटेज के ज़रिये फिल्म में आती जाती रहती है. फिल्म में उनकी आवाज़ भी सुनाई देती है, लेकिन वह इस फिल्म में कुछ खास नहीं जोड़ पायी हैं.
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अभिनय की बात करें तो फिल्म राज कुंद्रा की है. कहानी उनकी है और फिल्म में पैसे भी उनके लगे हुए हैं, तो वह शुरू से आखिर तक हर फ्रेम में है. फिल्म की कहानी बुरी है और उसका ट्रीटमेंट भी लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वह पर्दे पर सहज हैं. फिल्म के बाकी के किरदारों ने भी अपनी-अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.