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Zara Hatke Zara Bachke Review: टुकड़ों में ही मनोरंजन कर पाती है यह कमजोर स्क्रीनप्ले वाली फिल्म

Zara Hatke Zara Bachke Movie Review in Hindi: सारा अली खान की फिल्म जरा हटके जरा बचके सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. फिल्म मनोरंजन का वह प्रभाव बड़े पर्दे पर नहीं ला पायी है, जिससे मामला यादगार वाला बन पाता था. फिल्म की कहानी को और अधिक गहराई की जरूरत थी, जो फिल्म की कमजोर पटकथा नहीं दे पायी है.

फ़िल्म -जरा हटके जरा बचके

निर्देशक – लक्ष्मण उतेकर

कलाकार -सारा अली खान,विक्की कौशल,राकेश बेदी,नीरज सूद, इनामुल हक,शारीब हाशमी और अन्य

प्लेटफार्म – सिनेमाघर

रेटिंग – ढाई

Zara Hatke Zara Bachke Movie Review: लुकाछिपी और मिमी के बाद निर्देशक लक्ष्मण उतेकर एक और पारिवारिक कॉमेडी फिल्म ज़रा हटके ज़रा बचके लेकर आए हैं. उनकी पिछली दोनों फिल्मों की तरह यह भी एक पारिवारिक मनोरंजक फ़िल्म है, जो आपको बोर, तो नहीं करेगी लेकिन पिछली दोनों फिल्मों की तरह मनोरंजन का वह प्रभाव भी पर्दे पर नहीं ला पायी है, जिससे मामला यादगार वाला बन पाता था. फिल्म की कहानी को और अधिक गहराई की जरूरत थी, जो फिल्म की कमजोर पटकथा नहीं दे पायी है.

परिवार से फिर से लुका छिपी वाली है कहानी

निर्देशक लक्ष्मण उतेकर की यह कहानी भी लुका छिपी वाली है, जिसमे परिवार से कुछ छिपाने की जद्दोजहद है. सिंपल शब्दों में कहानी पर आए, तो फिल्म की कहानी इंदौर के रहने वाले कपिल दुबे (विक्की कौशल) और उसकी पत्नी सौम्या चावला दुबे (सारा अली खान) की है. वे अपने संयुक्त परिवार के साथ एक छोटे घर में रहते हैं. यही इनकी दिक्कत भी है. बड़ा परिवार है और घर छोटा. ऐसे में सौम्या की ख्वाहिश अपना घर लेने की है. घर लेने की इस ख्वाहिश में कपिल दुबे और सौम्या तलाक लेने का नाटक करते हैं, लेकिन परिवार से इस नाटक को छिपाना है, लेकिन परिवार को जल्द ही यह ड्रामा पता चल जाता है, लेकिन वह उन्हें यह असल लगता है. सिर्फ यही नहीं जल्द ही कपिल और सौम्या के रिश्ते में असल में दूरियां आ जाती हैं. क्या उनका रिश्ता इन दूरियों को मिटा पाएगा. यही आगे की कहानी है.

स्क्रिप्ट की खूबियां खामियां

फिल्म फर्स्ट हाफ तक एंगेज करती है, लेकिन कहानी सेकेंड हाफ में बिखर गयी है. फिल्म में जो लुका छिपी का खेल फर्स्ट हाफ में शुरू हुआ था. सेकेंड हाफ में उसमे कुछ करने को बचा नहीं था.सौम्या और कपिल के बीच मनमुटाव की वजह भी वाज़िब तरीके से कहानी में सामने से नहीं आयी है.फिल्म सरकारी आवास योजनाओं की धांधली की बात तो करती है, लेकिन कहानी में एक वक़्त के बाद उस पर फोकस नहीं हुआ है, जितना कहानी की जरूरत थी. फिल्म के सेकेंड हाफ में मेलोड्रामा ज़्यादा हो गया है और क्लाइमेक्स भी कमज़ोर रह गया है.इस एंटरटेनमेंट फिल्म में कॉमेडी कई जगहों पर जबरदस्ती थोपी हुई भी हो गयी है.जिससे फिल्म मनोरंजन करने में कमतर रह गयी है.इसके अलावा सेकेंड हाफ पूरी तरह प्रेडिक्टेबल भी है.

सह कलाकारों का शानदार अभिनय

अभिनय की बात करें तो इस रोमांटिक कॉमेडी फिल्म में विक्की कौशल ने सधा हुआ अभिनय किया है. वह एक छोटे शहर के मिडिल क्लास युवक की भूमिका में जमे हैं. सारा अली खान औसत रही हैं, उन्हें अपने अभिनय पर और काम करने की जरूरत है खासकर इमोशनल और अपने क्रोध को जाहिर करने वाले दृश्यों में वह चूक गयी है.इस फिल्म के सह कलाकारों की टोली ने अपने अभिनय से प्रभावित किया है राकेश बेदी,नीरज सूद, इनामुल हक,शारिब हाशमी, विक्की के माता पिता और उनके वकील दोस्त सहित सभी ने अपने अभिनय से पर कमज़ोर पटकथा वाली इस फिल्म को मजबूती दी है.

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दूसरे पहलू में मामला है जमा

फिल्म की एक अहम यूएसपी इसके गाने हैं. संगीतकार सचिन जिगर और गीतकार अमित भट्टाचार्य ने फिल्म के यादगार गीत – संगीत फिल्म से जोड़ा है. फिल्म की सिनेमाटोग्राफी भी फिल्म के साथ पूरी तरह से न्याय करती है. फिल्म की शूटिंग इंदौर में हुई है, तो यह पूरी तरह से कहानी से मेल ख़ाता है. कलाकारों की भाषा में भी वहां की छाप बखूबी तौर पर सामने आयी है.

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