Movies on friendship: फ्रेंडशिप डे पर देखें ये बॉलीवुड फिल्में, पुरानी यादें ताजा करें

फ्रेंडशिप डे पर इन बॉलीवुड फिल्मों को देखकर दोस्ती का असली मतलब समझें और पुरानी यादें ताजा करें. ये फिल्में दोस्ती की मिसाल हैं.

By Sahil Sharma | August 3, 2024 9:25 PM

Movies on friendship: हर साल अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है. इस दिन को खास बनाने के लिए बॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं जो दोस्ती का असली मतलब समझाती हैं. दोस्ती जिंदगी का सबसे कीमती रिश्ता होता है. ये खून का रिश्ता नहीं होते हुए भी बहुत खास होता है. हिंदी सिनेमा में कई फिल्में और सीरीज बनी हैं जिन्हें देखकर लोग आज भी अपने दोस्तों को याद करते हैं. ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’, ‘थ्री इडियट्स’ और ‘छिछोरे’ जैसी फिल्में हैं, जिनमें दोस्ती के रिश्ते को बहुत अच्छे से दिखाया गया है.

‘थ्री इडियट्स’ की प्यारी दोस्ती

‘थ्री इडियट्स’ फिल्म में रणछो, फरहान और राजू की दोस्ती ने सबका दिल जीत लिया. तीनों इंजीनियरिंग कॉलेज में मिलते हैं और एक-दूसरे की करियर गोल्स पर फोकस करने में मदद करते हैं. आमिर खान, आर माधवन और शर्मन जोशी की इस फिल्म को देखने के बाद आपको अपने कॉलेज के दोस्त याद आ जाएंगे.

‘छिछोरे’ की अलग कहानी

फिल्म ‘छिछोरे’ में भी दोस्ती को बहुत ही अलग तरीके से दिखाया गया है. इस फिल्म को बेस्ट हिंदी फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी मिला है. नितेश तिवारी की इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत, श्रद्धा कपूर और वरुण शर्मा ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

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जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ की यात्रा

‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ फिल्म में तीन दोस्तों – ऋतिक रोशन, फरहान अख्तर और अभय देओल की दोस्ती दिखाई गई है. तीनों अपनी जिंदगी का पूरा मजा लेने के लिए स्पेन की यात्रा पर जाते हैं. यह फिल्म 2011 में आई थी और इसे ज़ोया अख्तर ने डायरेक्ट किया था.

‘क्वीन’ की अद्भुत कहानी

कंगना रनौत की ‘क्वीन’ एक आइकॉनिक फिल्म है, जो एक लड़की की कहानी बताती है जो खुद को खोजने के लिए विदेश यात्रा पर निकलती है. अपनी यात्रा के दौरान, वह कई नए लोगों से मिलती है और नए दोस्त बनाती है. इनमें से एक दोस्ती कंगना और लिसा हेडन के किरदार के बीच दिखाई गई है.

‘ये जवानी है दीवानी’ की सच्ची दोस्ती

2013 में आई ‘ये जवानी है दीवानी’ फिल्म ने दोस्ती के अच्छे और बुरे पहलुओं को असली तरीके से दिखाया है. कबीर, अदिति और अवि कॉलेज के बाद अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाते हैं. कबीर विदेश चला जाता है अपने सपनों को पूरा करने के लिए, जबकि अवि अपनी जिंदगी में आगे बढ़ता है. दूरी बढ़ जाती है, लेकिन फिल्म ने दिखाया कि दोस्तों के बीच की कोई भी दूरी उनके बंधन से बड़ी नहीं होती है और अंत में वे अपने मुद्दों को सुलझा लेते हैं और पहले से ज्यादा मजबूत हो जाते हैं.

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