फ़िल्म: निकम्मा
निर्माता और निर्देशक: शब्बीर खान
कलाकार: अभिमन्यु दसानी, शिल्पा शेट्टी, शर्ली सेतिया, समीर सोनी और अन्य
प्लेटफार्म: सिनेमाघर
रेटिंग: दो
निकम्मा दो साल पहले शूटिंग फ्लोर पर गयी थी,लेकिन पेंडेमिक की वजह से यह फ़िल्म भी अटक गयी थी, अब जब फ़िल्म रिलीज हुई है, तो टिकट खिड़की का पूरा गणित बदल चुका है. साउथ की हिंदी रिमेक फिल्में सफलता का फॉर्मूला नहीं रह गयी हैं,बल्कि साउथ की फिल्में सीधे दर्शक देख रहे हैं. निकम्मा तेलगु की सुपरहिट फिल्म मिडिल क्लास अब्बाई का हिंदी रिमेक है. अभिनेता नानी की जर्सी के साथ इस फ़िल्म को भी दर्शकों ने पेंडेमिक में कई बार देख लिया है,ऐसे में निकम्मा के लिए परेशानी शुरुआत से शुरू हो गयी है.
कहते हैं कि नकल में भी अक्ल चाहिए.फ़िल्म का कांसेप्ट अगर अपील कर गया है,तो आप उस कांसेप्ट को लेकर नए तरीके से कहानी कहकर दर्शकों को एंगेज कर सकते हैं,लेकिन यहां मामला कट कॉपी पेस्ट वाला ही रहा है,जो अब तक बॉलीवुड साउथ के हिंदी रिमेक में करता आया है.
कहानी देवर आदी ( अभिमन्यु दसानी) और भाभी अवनि ( शिल्पा शेट्टी) की है. फ़िल्म का शीर्षक निकम्मा है, तो हीरो आदी ही निकम्मा होगा.उसकी ज़िन्दगी का कोई मोटिव नहीं है,बस वह अपनी जिंदगी आराम से जीना चाहता है.भाभी शिल्पा शेट्टी हैं,तो देवर का भला ही चाहेंगी,तो भाभी अवनि चाहती है कि आदि अपनी ज़िन्दगी में कुछ कर जाए. जिससे शुरुआत में देवर भाभी के बीच दूरियां बढ़ती हैं,लेकिन हीरो है,तो उसको अक्ल आनी ही है,तो थोड़े बहुत ड्रामे के बाद अक्ल आ जाती है.अब आदि के लिए उसकी भाभी ही मां है.कहानी में ड्रामे के अलावा ट्विस्ट भी ज़रूरी है.भाभी आईपीएस अफसर है,एक मिशन पर है और उसका एक बड़े गुंडे(अभिमन्यु सिंह) के साथ बड़ा वाला पंगा हो जाता है. जिससे यह बात भी तय हो जाती है कि निकम्मा आदि अब हीरो बनने वाला है.फिर वही होता है,जो आप सोच रहे हैं. साउथ वाली फिल्म में स्क्रीनप्ले बहुत ही सटल ढंग से थी,जबकि यहां मामला पूरी तरह से ओवर द टॉप वाला हो गया है. फ़िल्म की स्क्रीनप्ले में रोमांटिक एंगल ठीक से स्थापित नहीं हो पाया है.
अभिमन्यु दसानी अपनी फिल्मों में प्रयोग करते रहे हैं,इस बार उन्होंने कमर्शियल फ़िल्म को चुना है.उनकी कोशिश अच्छी रही है बस कहीं कहीं पर वो लाउड हो गए हैं. शर्ली और समीर सोनी को फ़िल्म में करने को कुछ खास नहीं था. शिल्पा शेट्टी अच्छी रही हैं, लेकिन साउथ वाली फिल्म में भूमिका चावला के अभिनय से तुलना करें, तो थोड़ी कमतर रह गयी है.अभिमन्यु सिंह ऐसे किरदार में अब तक कई बार दिख चुके हैं.
फ़िल्म से जुड़े दूसरे पहलुओं की बात करें तो फ़िल्म में एक्शन हैं लेकिन उसमें कुछ नयापन नहीं है,तो वहीं डायलॉग पर और काम करने की ज़रूरत थी.
आखिर में अगर आपको फ़िल्म देखनी ही है,तो ओरिजिनल वाली ही देखने में समझदारी है.ओटीटी पर वह फ़िल्म उपलब्ध भी है.