नयी दिल्ली: वेबसीरीज ‘हंसमुख’ में कथित तौर पर वकीलों की खराब छवि दिखाने को लेकर दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने नेटफ्लिक्स से उसका रूख पूछा. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. दिल्ली उच्च न्यायालय उस अर्जी पर सुनवायी की जिसमें याचिकाकर्ता ने ऑनलाइन मीडिया-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स को उसकी वेब सीरीज ‘हंसमुख’ को प्रसारित करने से रोकने का अनुरोध किया है.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि इसमें वकीलों की छवि और प्रतिष्ठा कथित रूप से धूमिल की गई है. एक अधिवक्ता द्वारा दायर वाद को सोमवार को न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा के समक्ष सुनवायी के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
अधिवक्ता आशुतोष दुबे द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि वेब सीरीज के एपिसोड नम्बर चार में वकीलों को चोर, बदमाश, गुंडे और बलात्कारी के तौर पर बताया गया है. उच्चतम न्यायालय में वकालत करने वाले दुबे ने दावा किया है कि ‘‘बयान (सीरीज में) अत्यधिक अपमानजनक और कानून के पेशे और वकीलों को आम जनता की नज़र में बदनाम करने वाले हैं.”
वाद में वेब सीरीज के निर्माता, निर्देशक और लेखक को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे ‘‘अधिवक्ता समुदाय की छवि को धूमिल करने के लिए बिना शर्त माफी मांगें जिसमें न्यायाधीश भी शामिल हैं क्योंकि वे भी कभी वकील रहे हैं.’ इसमें यह भी मांग की गई है कि ‘हंसमुख’, विशेष रूप से वेब सीरीज के एपिसोड चार से ‘‘बयानों और सामग्री को हटाया जाए.”
बता दें कि पिछले दिनों व्हाट्सऐप और ट्विटर पर कई लिंक शेयर कर दावा किया जा रहा है कि लॉकडाउन की अवधि तक नेटफ्लिक्स अपना सब्सक्रिप्शन फ्री में ऑफर कर रही है. हालांकि इस बारे में नेटफ्लिक्स ने लोगों को आगाह किया है और कहा है कि कंपनी इस तरह का कोई फ्री सब्सक्रिप्शन नहीं दे रही है और अगर किसी को ऐसे मैसेज मिलते हैं तो उन पर हरगिज भरोसा ना करें.
आपको बता दें कि पछिले कुछ समय में नेटफ्लिक्स जैसे ऑनलाइन स्ट्रीमिंग ऐप्स के यूजर्स तेजी से बढ़े हैं. ऐसे में लॉकडाउन के बीच घर बैठे नेटफ्लिक्स पर फिल्मों या वेब सीरीज का मजा ले रहे हैं, तो एकदम लगे रहिए, लेकिन इस फेक मैसेज से खुद भी सावधान रहिए और अपने जाननेवालों को भी सतर्क कर दीजिए क्योंकि एक छोटी सी गलती भी भारी पड़ सकती है.