Pankaj Udhas Death: पंकज उदास की ‘चिट्ठी आई है’ सुनकर रो पड़े थे राज कपूर, पहली बार गाने पर मिले थे सिर्फ 51 रूपये
Pankaj Udhas Death: चांदी जैसा रंग है तेरा, ना कजरे की धार, चिट्ठी आई है जैसे सिपरहिट गीतों को गाने वाले पंकज उधास का आज 26 फरवरी 2024 को निधन हो गया. उन्होंने एक लंबे अरसे तक इंडस्ट्री पर राज किया था. यहां जानें उनके जीवन के अनसुने पहलुओं के बारे में
Pankaj Udhas Death: चिट्ठी आई है, न कजरे की धार, मत कर इतना गुरूर, आदमी खिलौना है से लेकर जीए तो जीए कैसे जैसे ढेरों सुपरहिट गाने देने वाले पंकज उधास का आज 26 फरवरी को निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. वे 72 साल के थे.
Pankaj Udhas Death: मशहूर गजल गायक पंकज उधास का निधन हो गया है. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. पंकज उधास ने गजल गायिकी की दुनिया में कदम रखा और 1980 में अपना पहला एल्बम ‘आहट’ लॉन्च किया. पहला एल्बम लॉन्च होने के बाद उन्हें बॉलीवुड से सिंगिंग के ऑफर मिलने लगे और वह धीरे-धीरे घर-घर में छा गए.
Pankaj Udhas Passes Away: गजल गायक पंकज उधास का लंबी बीमारी के बाद निधन, जानें उनके बारे में सबकुछ
पंकज उधास का जीवन परिचय
आपको बता दें गजल गायक पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के राजकोट के जेतपुर नवागढ़ में हुआ था. तीन भाइयों में सबसे छोटे पंकज उधास के पिता का नाम केशुभाई उधास और मां का नाम जीतूबेन उधास है. पंकज उदास की ही तरह उनके दोनों बड़े भाई भी ग़ज़ल गायक के रूप में जाने जाते हैं.
ऐसे हुई थी पंकज उदास के करियर की शुरूआत
पंकज उधास के बड़े भाई मनहर उधास रंगमंच अभिनेता थे. इन्हीं की मदद से पंकज संगीत की दुनिया में आए. सबसे पहले इन्होंने रंगमंच गायक के रूप में संगीत की दुनिया में कदम रखा. भारत चीन युद्ध के दौरान इन्होंने स्टेज पर ‘ ए मेरे वतन के लोगों’ गीत गाया जो दर्शकों को काफी पसंद आया और इन्हें इनाम के तौर पर ₹51 दिए गए. पंकज उदास के भाई मनहर उधास ने ‘राम लखन’ का ‘तेरा नाम लिया’, ‘हीरो’ का ‘तू मेरा हीरो है’, ‘जान’ का ‘जान ओ मेरी जान’, ‘कुरबानी’ का ‘हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे’ से लेकर ‘कर्मा’ का ‘दे दारू’ समेत कई सुपरहिट गाने गाए हैं.
‘चिट्ठी आई है’ गाना हुआ था सुपरहिट, सुनकर रो पड़े राज कपूर
आपको बता दें पंकज उदास ने नाम फिल्म का सुपरहिट गाना चिट्ठी आई है गाया था, जिसे सुनकर दिग्गज अभिनेता और शो मैन के रूप में मशहूर हुए निर्माता, निर्देशक राज कपूर कपूर की आंखों में आंसू आ गया और उन्होंने कहा कि यह गाना बहुत बड़ा हिट होगा और राज कपूर की भविष्यवाणी सच साबित हुई. आपको बता दें नाम फिल्म के निर्माता इसके एक हीरो कुमार गौरव के पिता राजेंद्र कुमार थे. एक दिन राजेंद्र कुमार ने राज कपूर को डिनर पर बुलाया और गाना चला दिया.
हासिल किए कई अवार्ड्स
संगीत की दुनिया में पंकज उधास ने कई अवार्ड अपने नाम किए हैं. साल 2006 में इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. इसके अलावा संगीत की दुनिया में गायकी को मिलने वाले अवार्ड के एल सहगल अवार्ड से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. साल 1985 से लेकर 2006 तक उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं.
धर्म की दीवार तोड़कर पंकज उदास ने हासिल किया था प्यार
पंकज उधास की प्रेम कहानी भी काफी . बताया जाता है कि जब पंकज ग्रैजुएशन कर रहे थे, तब उनकी नजर पड़ोस में रहने वाली फरीदा पर पड़ी और इश्क में दिल लुटा बैठे.उस समय फरीदा एक एयर होस्टेस थीं. दोनों में पहले दोस्ती हुई और धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आ गए. फरीदा और पंकज की एक बात तो पक्की थी कि अलग धर्म के होने के बावजूद दोनों फैमिली के आशीर्वाद से ही शादी करना चाहते थे.
शादी के लिए ऐसे माने फरीदा के घरवालें
हुआ यूं था कि पंकज के परिवार वालों को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था, लेकिन फरीदा के परिवार को ये रिश्ता मंजूर नहीं थीं, क्योंकि वे लोग नहीं चाहते थे कि उनके घर की लड़की किसी दूसरे धर्म में शादी करे. इसके बाद फरीदा ने पंकज से बात की और उनको अपने घर बुलाया, जिसके बाद पंकज ने फरीदा के पिता से शादी की बात की. फरीदा के पिता रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर थे. इस वजह से पंकज बहुत डरे हुए थे, लेकिन उन्होंने अपनी बातों से उनका दिल जीत लिया. फरीदा के पिता दोनों की शादी के लिए मान गए, जिसके बाद दोनों की शादी हुई और उसके बाद दो बेटियां.
शादी के लिए ऐसे माने फरीदा के घरवालें
हुआ यूं था कि पंकज के परिवार वालों को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था, लेकिन फरीदा के परिवार को ये रिश्ता मंजूर नहीं थीं, क्योंकि वे लोग नहीं चाहते थे कि उनके घर की लड़की किसी दूसरे धर्म में शादी करे.. वह पारसी थीं और इस कम्युनिटी में उन्हें कहीं बाहर शादी करने कि अनुमति नहीं थी. फिर भी दोनों ने यही सोचा कि शादी तब ही होगी तब दोनों के माता-पिता की सहमति होगी. पारिवारिक सहमति के बिना दोनों शादी नहीं करना चाहते थे. इसलिए दोनों ने ये तय किया जब परिवार वाले राजी हो जाएंगे तभी वो शादी के बंधन में बंधेंगे. अंत: दोनों के घरवालों ने उनके रिश्ते को अपना लिया इसके बाद दोनों ने शादी की.