Parth Samthaan interview : टीवी का लोकप्रिय चेहरा पार्थ समथान (Parth Samthaan) ने ऑल्ट बालाजी की हालिया रिलीज वेब सीरीज मैं हीरो बोल रहा हूं से डिजिटल प्लेटफार्म पर अपनी शुरुआत की है. वे डिजिटल को रियलिस्टिक करार देते हैं और अपने कैरियर की अब प्राथमिकता भी. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
एक बार फिर लॉक डाउन से हम जूझ रहे हैं किस तरह से खुद को मोटिवेट कर रहे हैं?
घर पर ही हूं. दिक्कतें हो रही हैं. काम धंधा रुका पड़ा है. सबकुछ रुका पड़ा है लेकिन हम यही आशा कर सकते हैं कि सब पहले की तरह नॉर्मल हो जाए. इससे ज़्यादा हमारे हाथ में कुछ नहीं है.
इस वेब सीरीज से क्या उम्मीदें हैं?
मैं हीरो बोल रहा हूं इस वेब सीरीज से बहुत सारी उम्मीदें हैं. टीवी पर मेरी इमेज कसौटी की वजह से चॉकलेट बॉय हीरो की रही है. आदर्श बेटा, आदर्श प्रेमी लेकिन इस सीरीज में मैं एंटी हीरो के किरदार में हूं. उम्मीद करता हूं कि कसौटी से बनी इमेज को यह वेब सीरीज तोड़ दे. एकता कपूर ने भी यही कहकर मुझे ये वेब शो आफर किया. यह एक छोटे से शहर से आया है,जो मुम्बई पर राज करना चाहता है. इस वेब सीरीज की अच्छी बात है कि यह 90 के दशक में आधारित वेब सीरीज सिर्फ अंडरवर्ल्ड या गैंगस्टर की बात नहीं करता है बल्कि इसमें बॉलीवुड का भी कनेक्शन हैं, जो 90 के दशक में था भी.
किरदार को पर्दे पर उतारने के लिए क्या कुछ तैयारियां करनी पड़ी?
इस सीरीज के लिए मैंने स्मोकिंग शुरू किया, जो मैंने आज तक कभी नहीं किया था. कोविड की वजह से इस सीरीज को बनने में ज़्यादा समय लगा जिस वजह से स्मोकिंग को छोड़ने में मुझे दिक्कत हुई क्योंकि वो आदत में शुमार हो गया था. मुझे समझ आया कि स्मोकिंग छोड़ना कितना कठिन होता है. मैंने बाल बढ़ाए. आठ महीने तक बाल नहीं कटवाए. बाल की वजह से मुझे एक घंटा रेडी होने में लगता था. मैंने लड़कियों के दर्द को भी समझा. भाषा के लिए मैंने सत्या, वास्तव और कंपनी जैसी फिल्में देखी.
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क्या किरदार के लिए किसी खास हीरो को फॉलो किया?
किसी एक का नाम बता पाना मुश्किल है क्योंकि सभी ने बहुत अच्छा किया है. कंपनी में विवेक ओबेरॉय, वन्स अपॉन ए टाइम में अजय देवगन,वास्तव में संजय दत्त इन सभी की जो इंटेंसिटी थी. एक्टिंग करते हुए जिस तरह से अपनी आंखों से खेलते थे. जिस तरह से डायलॉग डिलीवरी करते थे. मैंने वो सब उनसे सीखा.
क्या टीवी और ओटीटी के दर्शक अलग हैं?
हां दोनों के दर्शक एक नहीं हैं. मुझे लगता है कि ओटीटी के दर्शक आफिस में काम करने वाले हैं. जो घर और ऑफिस आने जाने में अपने मोबाइल पर कभी भी भी अपना मनोरंजन देख लेते हैं. टीवी वाले दर्शक घरेलू होते हैं. जो घर पर ही होते हैं. टीवी फैमिली के साथ बैठकर देखने वाली चीज है. इस बात को कहने के साथ मैं ये भी कहूंगा कि धीरे धीरे टीवी के दर्शकों का रुझान ओटीटी कंटेंट की ओर भी बढ़ रहा है.
इस नए मीडियम में शुरुआत को लेकर कोई डर है क्या?
मैंने अपना सौ प्रतिशत दिया है लेकिन इसके साथ ही ये डर भी है कि क्या दर्शकों को मेरा ये नया अवतार पसंद आएगा क्योंकि उन्होंने मुझे ऐसे कभी नहीं देखा है. एक एक्टर के तौर पर मुझे ये करने में बहुत मज़ा आया. ओटीटी बहुत रीयलिस्टिक है इसलिए करके मज़ा आया. टीवी में एक सीक्वेंस 17 एपिसोड तक खींचा जाता है.
क्या अब आप ओटीटी पर ही फोकस करना चाहेंगे?
ओटीटी और फिल्में मेरा फोकस हैं. इस साल मैं एक फ़िल्म की भी शूटिंग करने वाला हूं. जिसमें आलिया भट्ट लीड में हैं. इससे ज़्यादा मैं फिलहाल कुछ नहीं बता सकता हूं. कोविड की वजह से शूटिंग खिंच गयी है.
ओटीटी काफी बोल्ड माना जाता है,आप उसमें कितना सहज हैं?
मुझे लगता है कि एक्टिंग का मतलब ही है कि जो किरदार की मांग हो. वो आपको करना पड़ेगा भले ही मैं निजी जिंदगी में उसे करना चाहता हूं या नहीं. आप नहीं कर रहे मतलब आपका कोई डर है.
कसौटी ज़िंदगी की शो अचानक ही बंद हो गया था क्या उसका अफसोस हुआ?
हाँ दुख तो हुआ था. कसौटी एक बहुत बड़ा शो था. एक टेलीविज़न शो से बहुत लोगों की जिंदगियां चलती रहती हैं लेकिन क्या कर सकते हैं. कोविड की वजह से उस शो को बन्द करना पड़ा था. चैनल का भी वही फैसला था. मुंबई की खासियत है. आपको आगे बढ़ना पड़ता है.