Priyanshu Painyuli Interview: छलका दर्द, कहा- रॉबिन की मौत की तरह इस फिल्म के डिब्बाबंद होने पर था निराश
priyanshu painyuli ने इस इंटरव्यू में बताया कि रॉबिन की मौत वाले सीन में जिस प्रॉस्थेटिक मेकअप का इस्तेमाल हुआ है.वैसा किसी भारतीय शो में पहली बार हुआ है और भी बहुत सी बातें उन्होंने इस इंटरव्यू में शेयर की.
Priyanshu Painyuli Interview : हालिया रिलीज वेब सीरीज मिर्जापुर 3 में रॉबिन की भूमिका को आखिरी बार निभाते दिखें।प्रियांशु मानते हैं कि यह उनकी अब तक की सबसे लोकप्रिय भूमिका थी. रॉबिन के आइकोनिक संवाद ये भी ठीक है को वह हमेशा याद रखेंगे. इस किरदार से उनके जुड़ाव, मौत वाले सीन सहित कई दूसरे पहलुओं पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत
रॉबिन की मौत मिर्जापुर के फैंस के लिए बहुत बड़ा झटका थी, आपको बताया गया था तो आपका क्या रिएक्शन था?
सीरीज रिलीज के बाद जितने लोग भी मुझसे मिले हैं. मेरे दोस्त हो या फैंस या यूं ही रास्ते पर कोई. उन सभी का यही कहना है कि यह ठीक नहीं है. इस बार यह भी ठीक है की जगह यह ठीक नहीं है.सब कह रहे हैं. वैसे जब मुझे मालूम पड़ा तो निश्चित तौर पर बुरा लगा ही था कि इतने अच्छे आईकॉनिक शो को छोड़ रहा हूं . निर्देशक गुरमीत से मेरी बात भी हुई.उन्होंने कहा कि गुड्डू के एंगल को दिखाने के लिए जरूरी है क्योंकि वह और किसी को भी मारता तो लोगों को लगता कि जस्टिफाई है. कहानी में उनको एक ऐसा शॉक वैल्यू चाहिए था, जो किसी भी तरह से जस्टिफाई ना लगे और यह रॉबिन की मौत से ही संभव था. हम कभी भी किसी मेकर्स से इस बारे में वाद विवाद नहीं कर सकते कि कहानी कहां जानी चाहिए क्योंकि वह उनका काम है. एक्टर का काम है किरदार को अपने परफॉर्मेंस से यादगार बनाना, जो हम करते रहते हैं और मैंने वही किया।
रॉबिन के मौत वाले सीनसीन की बात की जाए तो कितनी मुश्किल उसकी शूटिंग थी?
जिस दिन ये सीन शूट हुआ था. मेरा बर्थ डे था.केक काटा गया फिर शूटिंग शुरू हुई. सीन की बात करूं तो हर तरह से वो सीन मुश्किल था क्योंकि उसमें आपको एक्शन भी करना था. इमोशन भी डालना था. अगर गौर करेंगे तो वह सीन धीरे-धीरे बिल्ड अप हुआ है. अगर वह सिर्फ एक्शन सीन होता होता कि गुड्डू गुस्से में आया और रॉबिन को मार कर चला गया,तो लोगों को इतना प्रभावित नहीं करता था, जिस तरह से धीरे-धीरे इमोशनली सीन हुआ. उसकी सबसे बड़ी खासियत वही थी. हमने 1 दिन में ही वह सीन पूरा शूट कर लिया था. इस सीन में मेकअप टीम का भी बहुत बड़ा योगदान है. इसके लिए मैं खास तौर पर शिप्रा का नाम लेना चाहूंगा. उन्होंने एन वी ट्रिक्स प्रोस्थेटिक का इस्तेमाल किया है. जो बॉडी बाद में दिखाई गई है वह मैं हूं लेकिन प्रोस्थेटिक एनिमेटेड से. वो खुद बॉडी मशीन से मूव हो रही है.तकनीकी तौर पर भी वह सीन काफी मजबूत है.
रियल लाइफ में आप रॉबिन से किस तरह का जुड़ाव पाते हैं?
पहले जब मैं रॉबिन का किरदार पढ़ा था, तो उसका जो सीरियस पार्ट है.वह मुझे बहुत ही अच्छा लगा था. क्या सोच रहा है और क्या बात बोल रहा है.ये बात मुझे बहुत ही रोचक लगी थी. मेरा भी कभी-कभी ऐसा होता है, मेरे अंदर होता कुछ है और जो मैं दिखा रहा होता हूं.वह दोनों अलग होता है. कई बार मेरे दोस्तों को लगता है कि मैं तारीफ कर रहा हूं या उनकी खिंचाई. रोबिन की तरह निजी जिंदगी में मैं भी वायलेंस के खिलाफ हूं. अपने स्कूल या कॉलेज के दिनों में मैंने कभी भी मारपीट नहीं की है. मुझे लगता है कि शब्द ज्यादा घायल कर जाते हैं. रोबिन के किरदार से मैंने बहुत कुछ सीखा भी है. मुझ पर कलरफुल या प्रिंटेड कपड़े जंचते हैं.ये मुझे पहले पता नहीं था. रोबिन के किरदार को करने के बाद यह मैंने जाना.
मिर्जापुर 3 को लेकर क्या बातें भी लगातार सामने आई है कि यह सीजन पिछले दो सीजनों के मुकाबले कमजोर है?
कोई सीरीज जब हिट होने लगती है, तो उसको लेकर दर्शकों के बीच में अलग-अलग थ्योरी शुरू हो जाती है कि ऐसा दिखाएंगे.अब ऐसा होगा. किरदार ऐसा जाएगा. यह मेकर का फैसला होता है कि कहानी कहां जाएगी. मिर्जापुर कई तरह से एक्सप्लोर हो सकता है. सीरीज के निर्देशक गुरु ने कई बार या बात कही है कि मैं किरदारों के माध्यम से 400 अलग-अलग माध्यम से कहानी कह सकता हूं तो जो उनको सही लगता है. वो उस एंगल को चुनते हैं वैसे अगर दर्शक नाराजगी भी जाता रहे हैं तो इसका मतलब भी यही है कि वह इस शो से अटैच हैं। तभी वह बारीकी से इसको देख रहे हैं.
आपने बताया कि रोबिन के किरदार के खत्म हो जाने का आपको दुख हुआ, क्या किसी फिल्म में आपका किरदार काटा भी गया है ?
सीन तो हर एक्टर के संघर्ष के दिनों में कटे ही हैं.वैसे सीन कटने से ज्यादा मुझे इस बात का दुख हुआ था, जब विशाल भारद्वाज जी के साथ मेरी फिल्म डिब्बा बंद हो गयी थी. विशाल सर मिडनाइट चिल्ड्रन किताब पर मुझे, वामिका और सिद्धांत गुप्ता को लेकर फिल्म बना रहे थे. मैं बहुत ज्यादा ही उत्साहित था कि मैं विशाल भारद्वाज की फिल्म का लीड हूं, लेकिन वह फिल्म कभी शुरू नहीं हुई.जिसका मुझे बहुत बेहद अफ़सोस है.
मिर्जापुर का मतलब सीधे तौर पर सोशल मीडिया पर फॉलोवर्स का बढ़ता है, आप इस पर कितना ध्यान देते हैं?
मैं सोशल मीडिया को ज्यादा महत्व नहीं देता हूं. मेरे लिए यह एक मैगजीन की तरह है, जहां पर लोग जाकर मेरे काम को देख सकते हैं. थोड़ा बहुत मेरी पर्सनल लाइफ को बस. हां बीच में मैंने यह बात सुनी थी कि सोशल मीडिया में फॉलोअर्स देखकर लोगों को कम दिया जा रहा है, वह टेंपरेरी होगा.यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं क्योंकि आपको फिल्मों में एक्टिंग करनी ही पड़ेगी अगर आप एक्टिंग नहीं कर पाएंगे तो आपको सोशल मीडिया पर जाकर रील ही बनाना पड़ेगा. वैसे मैं मुंबई सोशल मीडिया में फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए नहीं आया हूं. मुझे बड़ी-बड़ी कहानियां का हिस्सा बनना है. अलग-अलग किरदार करने हैं.
अब आपका संघर्ष क्या है?
एक बड़ा हिट शो,जो पूरी तरह से आपके कंधे पर हो. बैक टू बैक हिट होता है तो फिर निर्देशक आपको अलग-अलग किरदार में अप्रोच करते हैं. मैं कॉमेडी , रोमांटिक कॉमेडी और एक्शन के जॉनर में कुछ करना चाहता हूं. भावेश जोशी से लेकर अब तक मेरा काम क्रिटिकली एक्लेम ज्यादा हो रहा है. बॉक्स ऑफिस सक्सेस मुझे अभी तक मिली नहीं है.मैं चाहता हूं कि मेरी फिल्म का निर्देशक ही नहीं निर्माता भी खुश हो कि हां यह मुझे पैसे लाकर देगा.
आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स ?
वैसे तो दो से तीन चीजें पाइपलाइन में है, लेकिन मैं अभी बात एक ही शो की कर सकता हूं.पान पर्दा जर्दा मेरा एक शो आ रहा है, जिसके निर्देशक गुरमीत ही है.(हंसते हुए ) मैं उनको कहता भी रहता हूं तुमने मिर्जापुर में मार दिया लेकिन थैंक गॉड यहां पर लीड दे दिया.भोपाल की कहानी को दिखाया गया है.इसमें मोना सिंह, सुशांत सिंह,मनु ऋषि जैसे नाम शामिल है.