सोनी लिव पर निर्माता निर्देशक विशाल भारद्वाज की वेब सीरीज चार्ली चोपड़ा एंड दी मिस्ट्री ऑफ़ सोलंग वैली जल्द ही स्ट्रीम करने जा रही है. इस सीरीज में अहम भूमिका में अभिनेता प्रियांशु पेन्युली भी नजर आनेवाले हैं. वे सीरीज से जुड़ने को एक और ख्वाहिश को पूरा होना करार देते हैं. इस सीरीज और करियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत.
चार्ली चोपड़ा से निर्देशक विशाल भारद्वाज का नाम जुड़ा है क्या इस सीरीज से जुड़ने की वजह ये काफी थी?
विशाल भारद्वाज अपने आप में बड़ी वजह है. उनके साथ हमेशा से काम करना था. मेरे ड्रीम डायरेक्टर्स की विशलिस्ट में हमेशा से रहे हैं. जब से सीरियस होकर मैंने फ़िल्में देखनी शुरू की है. थिएटर में ओमकारा देखी थी, उसी वक़्त मन था कि इनके साथ एक मौका मिलना चाहिए. कई बार मौका आया लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी. एक शो में सब फाइनल हो गया, लेकिन वह शो शुरू ही नहीं हुआ. अब ये मौका मिला तो उसी वक़्त तय कर लिया कि ये करना है. इस बार मामला सोने पर सुहागा वाला हो गया क्योंकि विशाल सर तो थे ही इस सीरीज की कहानी अगस्था क्रिस्टिनी की बुक पर आधारित है. इसके साथ ही जासूसी के स्पेस में हमने ज़्यादा कुछ देखा नहीं है और यह सीरीज उस स्पेस में है और कास्टिंग और बहुत खास है, तो देर आए दुरुस्त वाला मामला है.
विशाल भारद्वाज के कौन से प्रोजेक्ट्स का आप हिस्सा बनते – बनते रह गए?
मिडनाईट चिल्ड्रेन बनने वाली थी, लेकिन वो बनते -बनते रह गयी. उसके लीड मैं और वामिका ही थे. सिद्धांत भी हमारे साथ थे. शो जब नहीं हुआ तो हम बहुत दुखी हुए थे हालांकि सर ने कहा कि हम साथ में ज़रूर काम करेंगे और उनकी बात सही साबित हुई.
विशाल भारद्वाज जैसे निर्देशक से जुड़ना क्या एक एक्टर के तौर पर आपके वैल्यू को बढ़ा जाता है?
हां,एक्टर के तौर पर आप खुद महसूस करते हैं कि अरे मेरे अभिनय की स्किल में ये भी है. नाटक में हम अलग – अलग किरदार करते हुए हम थोड़ा सा खुल जाते हैं, जितना आप खुलते हैं, उतना आप दूसरे किरदार में आसानी से फिट हो जाते हैं. इस सीरीज की बात करुं तो सीताराम में मुझे एक्सपेरिमेंट करने का मौका मिला. मुझे हिमाचली का एक्सेन्ट पकड़ने का मौका मिला. उसको अलग से एक कॉमिक टच दिया, इसके साथ ही उनमें एक कमीनापन भी है.
मनाली का शूटिंग अनुभव कितना चुनौतीपूर्ण था?
बहुत ज़्यादा टफ था. मैंने इससे पहले माइनस थ्री डिग्री में कभी शूटिंग नहीं की थी. जब हम इंस्टाग्राम पर फोटो ड़ालते थे, तो लोगों का कहना था कि कितनी सुन्दर जगह पर शूटिंग कर रहे हो, लेकिन सच कहूं तो वो एक दो घंटे के लिए ही सुंदरता अच्छी लगती है. हमारे सामने टूरिस्ट आकर सेल्फी ख़ुशी ख़ुशी खिंचकर जा रहे थे. हम तो बारह घंटे वही खड़े रहते थे.भारी बर्फीबारी, हाथ पांव जम जाते थे. बर्फ से कई बार हाथ कट जा रहे थे और भी चोट शरीर में लग जा रही थी. सीरीज से जुड़े क्रू की उस मुश्किल वक़्त में भी अथक मेहनत मुझे बहुत मोटिवेट कर रही थी कि ये इतनी ज़्यादा मेहनत कर रहे हैं, तो मैं तो कर ही सकता हूं.
निजी जिंदगी में आप जासूसी कहानियों को कितना पसंद करते हैं?
बचपन में मुझे स्कूबी डू कार्टून पसंद था, लेकिन मेरा आल टाइम फेवरेट टिनटिन था. टिनटिन खुद एक डिटेक्टिव था. उसकी कहानियां मुझे बहुत पसंद आती थी. मैंने व्योमकेश बक्शी और करमचंद के भी सारे एपिसोडसे फ़ॉलो किये हैं.
सीरीज़ में अभिनय के कई खास नाम हैं, जिनमे नसीरुद्दीन शाह का नाम भी जुड़ा है, उनके साथ शूटिंग का अनुभव कैसा था?
नसीर सर के साथ पहला दिन जब था, तो मैं बहुत ही नर्वस था. विशाल सर कैमरे के पीछे बैठे हैं. कैमरे के इस तरफ नसीर सर के साथ सीन है. पेट में एक अजीब सा कुछ महसूस हो रहा था. नसीर सर एफर्ट लेस एक्टर हैं. कैमरा ऑन होते ही किरदार में आ जाते हैं. जैसे कट वह फिर अलग हैं. बहुत कुछ आप उनसे सीख जाते हैं.
इस सीरीज़ में एक्टर्स की लम्बी चौड़ी फ़ौज हैं क्या ऐसे में स्पेस कम मिलेगा ये असुरक्षा की भावना भी आती है?
दूसरे सीरीज में हो सकता था, लेकिन यहां ऐसा नहीं था. यह सीरीज मैं विशाल सर के लव की वजह से कर रहा था. जिनके काम के साथ आपको प्यार है. उनके साथ काम करने का मौका मिल रहा है. मुझे लगता है कि इससे मेरा काम और सुन्दर होगा. चार्ली चोपड़ा में मैंने ज़्यादा कुछ सोचा ही नहीं. इसमें नसीर सर, गुलशन ग्रोवर सर, लारा दत्ता, रत्ना मैम और नीना मैम के साथ आपको काम करने का मौका मिल रहा है. इनसे आप कितना कुछ सीख सकते हैं और फिर कोई बात क्यों सोचूं.
क्या आप अपने पसंदीदा निर्देशकों को काम के लिए अप्रोच करते हैं?
सुनता हूं कि लोग करते हैं, लेकिन मेरे से होता नहीं है. जिनके साथ काम कर चुका हूं उनको तो बोल देता हूं, लेकिन जिनके साथ काम नहीं किया उनको नहीं बोल पाता हूं. मेरा मानना है कि मेरा काम देखकर लोग मुझे अप्रोच करें, तो वो ज़्यादा सही रहेगा.
एक्सट्रैक्शन के बाद क्या कोई और इंटरनेशनल सीरीज या फ़िल्म करने वाले हैं?
ऑडिशन तो दे रहा हूं, देखते हैं कि चीज़ें कब फाइनल होती हैं.
साउथ इंडस्ट्री में काम करने को लेकर क्या ओपन हैं?
साउथ में काम करने का मन है. बीते साल एक तेलेगु फ़िल्म ऑफर हुई थी, लेकिन डेट्स की वजह से नहीं कर पाया था, लेकिन मैं करना चाहूंगा. मैं भाषा जल्दी पकड़ता हूं. बैंगलोर में काफी समय बिताया है, तो भाषा को लेकर बहुत सहज हूं. मणिरत्नम सर के साथ काम करने की दिली ख्वाहिश है.
मिर्जापुर 3 की क्या स्थिति है?
शूट हम कर चुके हैं. इस बार भी कहानी बहुत सारे ट्विस्ट और ड्रामे के साथ चौकाने वाली है. फिलहाल पोस्ट प्रोडक्शन का काम चल रहा है. नये साल के शुरुआत में सीरीज दस्तक दे सकती है.
आनेवाले प्रोजेक्ट्स
मिर्जापुर से पहले अमेजॉन पर शहर लकोट सीरीज आ रही है. इसके अलावा फ़िल्म पिप्पा भी रिलीज होगी. थिएटर या ओटीटी वो मैं नहीं बता पाऊंगा. हालांकि यह फ़िल्म थिएटर के लिए है. रियलिटी पर आधारित कहानी है.
मौजूदा दौर में जिस तरह की लार्जर देन लाइफ फ़िल्में चल रही हैं क्या इससे रियलिस्टिक फिल्मों को थिएटर में जगह मिलने में मुश्किल होंगी और इस ट्रेंड को आप कैसे देख रहे हैं?
दर्शक थिएटर में आ रहे हैं. सिनेमा के लिए यह बहुत ज़रूरी है. वैसे जवान फ़िल्म की बात करुं तो जिस तरह से शाहरुख़ खान पहले करते थे और अभी कर रहे हैं. उसमे काफी फर्क आ गया है. कभी हमने सोचा था क्या कि हम शाहरुख़ खान को स्क्रीन पर बिना बालों के देखेंगे या सफ़ेद बालों में देखेंगे. उस स्पेस में भी सब नया – नया कर रहे हैं. आज हर एक्टर को नया करना पड़ रहा है.