कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav) आज हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी विरासत हमेशा बनी रहेगी. कॉमेडी सर्किट में एक लोकप्रिय नाम राजू श्रीवास्तव का जन्म दिसंबर 1963 में उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था. प्रसिद्ध कवि रमेश चंद्र श्रीवास्तव के पुत्र राजू बचपन से ही एक अच्छे मिमिक्री आर्टिस्ट थे. कथित तौर पर कॉमेडियन अपने स्कूल के दिनों में अपने टीचर्स की नकल किया करते थे.
हालांकि राजू के कॉमेडी और मिमिक्री उनके रिश्तेदारों को कुछ खास पसंद नहीं आई. साल 2020 में कॉमेडियन ने बचपन की एक घटना को याद करते हुए खुलासा किया था कि कैसे उनके माता-पिता को बोला गया था कि राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी से परिवार का अपमान होगा. न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, “मेरे रिश्तेदारों ने मेरी कॉमेडी से अपमानित महसूस किया. वे सोचते थे कि बच्चों को पढ़ने की जरूरत है न कि दूसरे के घरों में चुटकुले सुनाने की. वे मेरे माता-पिता से शिकायत करते थे. कहते थे इससे परिवार का अपमान होगा. उन्होंने इसका विरोध किया.” लेकिन राजू को कोई नहीं रोक सका!
राजू श्रीवास्तव, अमिताभ बच्चन से प्यार करते थे और उन्होंने खुद भी खुले तौर पर स्वीकार किया था कि कैसे वह अपने बचपन के दिनों में भी बिग बी की नकल करते थे. उन्होंने इंटरव्यू में कहा था, “जब मैंने अमिताभ बच्चन की दीवार देखी तो मैं मिमिक्री और कॉमेडी का प्रशंसक बन गया. मैं उनका इस हद तक फैन हो गया था कि मैं उनके पोस्टर बनवाकर अपने घर लगा लेता था. मैंने उनका हेयरस्टाइल बनाया और उसकी नकल करने लगा. राजू ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि लोग मुझे बिग बी कहकर संबोधित करते थे.”
अगर बिग बी उनके पसंदीदा अभिनेता थे, तो वे भी अभिनेता के पसंदीदा कॉमेडी एक्टर थे. दोनों ने एक मैत्रीपूर्ण बंधन साझा किया. यह राजू के अंतिम दिनों के दौरान भी दिखा था जब अमिताभ बच्चन ने उन्हें एक वॉयस नोट भेजा था. जिसमें उन्होंने कहा, “उठो, अभी बहुत काम करना है.”
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साल 2017 के एक इंटरव्यू में राजू श्रीवास्तव ने खुलासा किया था कि कैसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी मिमिक्री को इंज्वॉय करते हैं. “उन्होंने मुझसे कहा, ‘अगर आप चाहते हैं, तो आप मेरी नकल कर सकते हैं, बस ध्यान रखें कि भीड़ का मनोरंजन हो.’ उनका मानना है कि मिमिक्री एक कला है. मोदी जी ने वास्तव में कहा था कि कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए, शक्तिशाली लोगों का मज़ाक नहीं उड़ाया जाता है, और केवल बाकी वर्ग ही हास्य का विषय होते हैं.”