ऑटो ड्राइवर से गजोधर भैया तक, रोचक है राजू श्रीवास्तव का सफर, 50 रुपये में करते थे शो
राजू श्रीवास्तव ने एक साक्षात्कार में कहा था कि शुरुआती दिनों में उन्होंने मुंबई में काफी संघर्ष किया था. एक शो करने के उन्हें केवल 50 रुपये मिलते थे. उस दौर में कॉमिडियन की ज्यादा पूछ नहीं होती थी. राजू श्रीवास्तव ने बताया था कि वह केवल जॉनी लिवर को देखकर खुद को संभालते थे.
लोकप्रिय अभिनेता-कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastav)का निधन हो गया है. उनको 10 अगस्त को दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद से उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की गहन देखभाल इकाई में रखा गया है. अभिनेता की उसी दिन एंजियोप्लास्टी हुई थी जिस दिन उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. राजू श्रीवास्तव कॉमेडी के बेताज बादशाह रहे हैं. देश में स्टैंड-अप कॉमेडी का जनक राजू श्रीवास्तव को माना जाता है. आइये उनके संघर्ष की कहानी पर एक नजर डालें.
ऑटो ड्राइवर थे राजू श्रीवास्तव
राजू श्रीवास्तव का जन्म 25 दिसंबर 1963 को कानपूर में हुआ था. माया नगरी मुंबई में राजू श्रीवास्तव आये तो थे अपने सपनों को साकार करने के लिए. लेकिन उन्हें शुरुआती दिनों काफी संघर्ष करना पड़ा था. उनके पास पैसों की कमी हो गयी और उन्हें शुरुआती दिनों में अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए ऑटो चलाना पड़ा. हालांकि ऑटो चलाने के बाद भी उन्होंने अपना पहला प्यार कॉमेडी को जारी रखा. ऑटो चलाने के दौरान उनकी किस्मत ने अचानक करवट ली और उन्हें कॉमेडी शो से बुलावा आया. वहीं से राजू श्रीवास्तव की जिंदगी बदल गयी. उन्होंने वापस पीछे मुड़कर नहीं देखा. डीडी नेशनल चैनल में उन्हें शो करने का मौका मिला. फिर उन्होंने ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज पर हिस्सा लिया और उपविजेता बने. यहीं से गजोधर भैया का भी जन्म हुआ.
एक शो के मिलते थे केवल 50 रुपये
राजू श्रीवास्तव ने एक साक्षात्कार में कहा था कि शुरुआती दिनों में उन्होंने मुंबई में काफी संघर्ष किया था. एक शो करने के उन्हें केवल 50 रुपये मिलते थे. उस दौर में कॉमिडियन की ज्यादा पूछ नहीं होती थी. राजू श्रीवास्तव ने बताया था कि वह केवल जॉनी लिवर को देखकर खुद को संभालते थे. एक दिन उनकी जिंदगी बदलेगी. उन्होंने साक्षात्कार में बताया था कि एक शो करने के लिए उन्हें केवल 50 रुपये मिलते थे.
कई बॉलीवुड फिल्मों में नजर आये राजू श्रीवास्तव
राजू श्रीवास्तव ने कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया. उन्होंने सबसे पहले 1988 में तेजाब में काम किया. उसके बाद 1981 में मैंने प्यार किया. 1993 में बाजीगर और मिस्टर आजाद में काम किया. उसके बाद 1994 में अभय, 2001 में आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया, 2002 में वाह! तेरा क्या कहना, 2003 में मैं प्रेम की दीवानी हूं. 2006 में विद्यार्थी: द पावर ऑफ स्टूडेंट्स, 2007 में बिग ब्रदर और बॉम्बे टू गोवा, 2010 में भावनाओं को समझो और बारूद: द फायर – अ लव स्टोरी’ और आखिरी फिल्म 2017 में टॉयलेट: एक प्रेम कथा में नजर आये.
राजनीति में भी राजू श्रीवास्तव ने कदम रखा
राजू श्रीवास्तव ने अभिनय के साथ-साथ राजनीति में भी कदम रखा. 2014 लोकसभा चुनाव में उन्हें समाजवादी ने कानपुर सीट से उतारा. लेकिन उन्होंने इसलिए टिकट वापस कर दिया क्योंकि उन्हें पार्टी के स्थानीय इकाइयों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है. हालांकि 19 मार्च 2014 को वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनाया.