Ramayana में रामानंद सागर ने की थी एक्टिंग, इस किरदार में राम-सीता का किया था गुणगान
Ramanand Sagar भगवान के गेटअप में राम-सीता का गुणगान करते नजर आए थे. यह सीन तब का है, जब राम-सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष का वनवास काटने के बाद अयोध्या नगरी वापस आते हैं.
कोरोना वायरस के कारण देश को लॉकडाउन कर दिया गया है. जनता की मांग पर रामायण (Ramayana) और महाभारत (Mahabharat) जैसे बेहतरीन शो दोबारा से दर्शकों को देखने मिला. रामानंद सागर (Ramanand Sagar) की रामायण ने फिर से लोगों के दिलों में जगह बनाई और दूरदर्शन पर टीआरपी के नये रिकॉर्ड कायम कर दिये. ऐसे में क्या आप जानते है रामानंद सागर ने रामायण का सिर्फ निर्देशन ही नहीं बल्कि उसमें एक्टिंग भी की थी?
Also Read: क्या ओरिजिनल कॉपी को एडिट करके हुआ Ramayan का प्रसारण? चैनल हेड ने दी सफाईरामायण के एक सीन में देवी-देवताओं और प्रजा भगवान राम और सीता का गुणगान करते हैं और गीत गाते हैं. इसी सीन में रामानंद सागर भगवान के गेटअप में राम-सीता का गुणगान करते नजर आए थे. यह सीन तब का है, जब राम-सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष का वनवास काटने के बाद अयोध्या नगरी वापस आते हैं.
दूरदर्शन ने रामायण के लोकप्रिय भजन ‘हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की’ का एक वीडियो ट्वीट किया है, जिनमें रामानंद सागर देखे जा सकते हैं.
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
— Doordarshan National (@DDNational) April 19, 2020
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की…
Watch #UttarRamayan on @DDNational NOW pic.twitter.com/rBpHH3bDGv
रामानंद सागर ने ‘रामायण’ बनाने का फैसला उस वक्त किया था जब छोटे पर्दे पर इतनी बड़ी सीरीज बनाने का चलन नहीं था. शुरुआत में रामानंद सागर को ‘रामायण’ के निर्माण के लिए फंड्स जुटाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा था. लेकिन जब उन्होंने 1986 में ‘विक्रम और बेताल’ शो बनाया और वह हिट रहा तो उन्हें फाइनेंसर्स मिलने लगे थे. ‘रामायण’ का टीवी पर पहली बार प्रसारण साल 1987 को हुआ था. जिसके बाद इस शो ने अपनी अलग पहचान बनाई और काफी लोकप्रिय रहीं.
बता दें कि 87 वर्ष की आयु में रामानंद सागर का निधन हो गया था. रामानंद ने 32 लघुकथाएं, 4 कहानियां, 1 उपन्यास, 2 नाटक लिखे हैं. वहीं, रामानंद सागर की रामायण इतने सालों बाद भी दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हो रही है. सीरियल से जुड़े हर किरदार ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं, फिर चाहे वो अरुण गोविल हों या हो सुनील लहरी. उनकी पहचान घर-घर में होने लगे.