Ramyug Review : निराश करती है रामयुग
Ramyug Review : बीते साल कोरोना की वजह से देशव्यापी बन्द के दौरान रामानंद सागर निर्देशित रामायण के प्रसारण को शुरू किया गया था. इस सीरियल ने छोटे परदे पर टीआरपी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे.
Ramyug Review
वेब सीरीज : रामयुग
ओटीटी प्लेटफार्म : एमएक्स प्लेयर
निर्देशक : कुणाल कोहली
कलाकार : दिगांत मनचले, ऐश्वर्या ओझा,अक्षय डोगरा, कबीर सिंह दुहान, विवान भटेना,अनूप सोनी,दिलीप ताहिल, टिस्का चोपड़ा और अन्य
रेटिंग : डेढ़
बीते साल कोरोना की वजह से देशव्यापी बन्द के दौरान रामानंद सागर निर्देशित रामायण के प्रसारण को शुरू किया गया था. इस सीरियल ने छोटे परदे पर टीआरपी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. छोटे परदे पर अब तक कई बार रामायण की कहानी को कई निर्माताओं ने समय समय पर दिखाया है. बुराई पर अच्छाई की जीत वाली रामायण की कहानी अब ओटीटी प्लेटफार्म पर पहुँच गयी है.
कुणाल कोहली ने रामायण की कहानी को रामयुग वेब सीरीज के ज़रिए आधुनिक रूपांतरण में प्रस्तुत किया है. जिसमे आधुनिकता सिर्फ कलाकारों के लुक में ही दिखी है. राम दाढ़ी में है. लक्ष्मण,भरत के बाल आधुनिक हेयर कट लिए है. कहानी और प्रस्तुतिकरण में आधुनिकता गायब है.
कहानी तो रामायण की हम सभी को मालूम है लेकिन जिस तरह से इस सीरीज में उसका प्रस्तुतिकरण हुआ है. वह एकदम बोझिल है. कहानी अतीत और वर्तमान में आती जाती रहती है. कई दृश्यों का दोहराव है तो कई दृश्य अधूरे से लगते हैं. आठ एपिसोड वाले यह सीरीज लगभग पांच घंटों की है. हर एपिसोड को बेवजह खींचा गया है और जमकर भाषणबाजी भी हुई है.
इस सीरीज का एक ही पहलू है जो अच्छा है. वह लोकेशन्स हैं जो आंखों को सुकून देते हैं. गीत संगीत कहानी के अनुरूप हैं. एक्शन सीक्वेंस में बाहुबली का हैंगओवर नज़र आता है. संवाद लेखक के तौर पर इस वेब सीरीज से कमलेश पांडेय का नाम जुड़ा है. उन्होंने युवाओं से कहानी को जोड़ने के नाम पर किरदारों को कुछ भी संवाद दे दिया है, जो बेहद अटपटे से सुनने में लगते हैं.
अभिनय की बात करें तो राम और सीता के किरदार में नज़र आ रहे दिगांत और ऐश्वर्या प्रभावहीन रहे हैं तो रावण बनें कबीर सिंह दुहान ज़्यादा फिल्मी हो गए है. बाकी के किरदारों में टिस्का चोपड़ा,विवान भटेना ने ज़रूर सीरीज में अच्छा काम किया है.
कुलमिलाकर रामायण की महागाथा को आज की युवा पीढ़ी के अनुरूप पेश करने के नाम पर बहुत ही छिछली चीज़ परोस दी गयी है, जो ना तो मूल्यों और मर्यादा की सीख दे पाती है और ना ही मनोरंजन ही कर पायी है.