कॉमेडी,संजीदा,ग्रे हर तरह के किरदार में नज़र आ चुके अभिनेता रणवीर शौरी जल्द ही जी फाइव की वेब सीरीज सन फ्लावर में नज़र आनेवाले हैं. उनकी इस वेब सीरीज,ओटीटी माध्यम और छोटी फिल्मों के लिए बढ़ती चुनौती पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत
रंगबाज़,लूटकेस के बाद एक बार फिर इस सीरीज में आप पुलिस के किरदार में हैं ?
हमारी फिल्मों में दो तरह की फिल्में होती हैं या तो जेनेरिक होगा या एकदम केरीकेचर टाइप का. एकदम सख्त होगा या फिर कॉमिक अंदाज़ वाला. मैं ऐसे किरदार में यकीन नहीं करता हूं. मेरी कोशिश होती है कि जो भी किरदार हो उसको अलग अलग पहलू दूं. किरदार इंसान की तरह लगना चाहिए।सनफ्लॉवर का पुलिस का किरदार भी रियल है. कंपल्सिव प्रॉब्लम सॉल्वर है. अपने केस के अलावा के अलावा उसको कुछ नहीं सूझता है.
आपका पसंदीदा पुलिस वाले का किरदार कौन सा रहा है ?
ये मैं पहले भी कह चुका हूँ कि ओम पुरी साहब का अर्द्ध सत्य वाला किरदार मेरा पसंदीदा है. वो रियल था बाकी तो कैरीकेचर या जेनेरिक टाइप ही थे.
इस सीरीज का चेहरा सुनील ग्रोवर है,जिनका फिल्मों या सीरीज में अभिनय में अनुभव आपसे कम रहा है ?
मेरे करियर में कभी ये चाह नहीं रही है कि मैं हीरो का रोल ही करूं. मैंने लीड भी किया है सपोर्टिंग भी. हमेशा से मेरा फोकस कहानियां रही हैं. मेरा किरदार कितना अहम है. लीड है या सपोर्टिंग मेरे लिए मायने नहीं रखता है. कोई भी लीड करें बस में अपने किरदार से कहानी में क्या खास दे पा रहा हूं. यही मेरे लिए मायने रखता है. वैसे सुनील ग्रोवर को मैं काफी सालों से जानता हूं. जो रोल है वो उनसे बेहतर कोई नहीं कर सकता था.
फ़िल्म में सुनील,आप,आशीष विद्यार्थी जैसे कई उम्दा कलाकार है, बेहतरीन कलाकारों का साथ होने से चीज़ें कितनी आसान हो जाती हैं ?
जब इतनी अच्छी कास्टिंग हो तो आपको ये भरोसा होता है कि ये जो स्क्रिप्ट में सीन लिखें हैं उनसे बेहतर वे स्क्रीन पर आएंगे. इसके साथ ही बेहतरीन कास्टिंग हो तो आप पर ज़्यादा लोड नहीं होता है. सभी में काम बंटा होता है. इसके साथ ही अच्छाई और बुराई भी शेयर हो जाती है.
फ़िल्म या किसी प्रोजेक्ट में जब कभी आपके अभिनय की आलोचना होती है तो क्या परेशान होते हैं ?
होना नहीं चाहता हूं लेकिन होता हूं. यही वजह है कि मैं अपने काम को लेकर चूजी रहा हूं कि ऐसे किसी प्रोजेक्ट का हिस्सा ना बनूँ जिसको लेकर बाद में अफसोस ना हो लेकिन इसके बावजूद गलत प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बना हूं कभी हालात की वजह से कभी पहचान वालों को ना नहीं कह सका. ऐसे प्रोजेक्ट्स इक्का दुक्का ही रहे हैं.
मौजूदा हालात ने एक नयी चर्चा शुरू कर दी है कि थिएटर शुरू होने पर केवल बड़े स्टार्स की बड़ी फिल्में ही थिएटर में रिलीज होंगी. छोटी फिल्मों को अब ओटीटी पर ही रिलीज होना होगा ?
मुझे इसमें नयी बात नहीं लगती है।छोटी फिल्में हमेशा ही संघर्ष करती रही हैं. पहले भी कहां छोटी फिल्मों को इतनी जगह थिएटर में मिल रही थी।दस साल पहले इंडिपेंडेंट फिल्मों की रिलीज का ट्रेंड शुरू हुआ था लेकिन फिर उसमें भी बड़े स्टूडियो उतर आए और स्टार्स को लेकर छोटी फिल्में बनाने लगें. असली छोटी फिल्में तब भी स्ट्रगल ही कर रही थी. ओटीटी छोटी फिल्मों के लिए देवों का दिया गया वरदान है. थिएटर में फिक्स शोज हैं इसलिए मारपीट होती है. पॉलिटिक्स होती है. ओटीटी डेमोक्रेटिक माध्यम है. उसमें एक बड़ी फिल्म आ रही है तो इसका मतलब ये नहीं कि छोटी फ़िल्म को हटाना पड़ेगा।दोनों वहां मौजूद रहेगी. दर्शक जब चाहे जैसे चाहे देख सकते हैं.
अभी बड़े सुपरस्टार्स और प्रोडक्शन हाउसेज भी ओटीटी से जुड़ने लगे हैं क्या आपको लगता है कि मामला डेमोक्रेटिक वाला बरकरार रह पाएगा ?
वो डर मुझे हमेशा रहता है जो मौजूदा सिस्टम को कंट्रोल करने वाला पावर होता है. वो नया सिस्टम आने पर भी उसे कंट्रोल करने की कोशिश करता रहा है. ऐसा इतिहास रहा है। बस उम्मीद ही कर सकता हूं कि ओटीटी इस मनमानी से बच जाए.
आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स ?
संतोष शिवन जी के साथ फ़िल्म मुम्बईकर,रजत कपूर की फ़िल्म आरके आरके जिसमें मल्लिका शेरावत हैं.
शूटिंग अभी भी शुरू नहीं हुई है ऐसे में खुद को कैसे बिजी रख रहे हैं ?
पिछले साल के लॉकडाउन से जो प्रैक्टिस हुई है।वही कर रहे हैं. थोड़ी एक्सरसाइज,थोड़ी रिडिंग ,बच्चे के साथ समय बिताना क्योंकि उसकी भी छुट्टियां चल रही हैं. पहले क्या होता था कि बच्चे स्कूल में हैं तो आपके पास छह से आठ घंटे फ्री हैं. अब नहीं अगर ऑनलाइन क्लासेज भी हैं तो उसमें भी आपको मदद करनी पड़ती है.