Mahakumbh Mela 2025 : रवि किशन की अपील माता पिता के साथ युवा महाकुंभ से जुड़ें
अभिनेता और सांसद रवि किशन ने महाकुंभ से जुड़ी अपनी पुरानी यादों को इस इंटरव्यू में साझा किया है.
mahakumbh mela 2025 :कुंभ आस्था, विश्वास और परम्परा का पर्व है. कुंभ से अपने जुड़ाव पर अभिनेता और सांसद रवि किशन ने उर्मिला कोरी से अपनी यादों के साथ -साथ इस बार की तैयारियों पर भी बात की है. बातचीत के प्रमुख अंश
सीधे शिव से जुड़ता हूं
पिछले कुंभ में मैंने अपने ग्रुप के साथ शिव तांडव किया था. उसका अनुभव अद्भुत था.मैं 13 जनवरी को इस बार कुंभ में शामिल होऊंगा. पिछली बार की तरह इस बार भी मेरा शिव ताण्डव का लाइव मचंन है. इसके अलावा शिव पाठ भी मैं करने वाला हूं. मैं एक परफ़ॉर्मर हूं. यह बात सभी जानते हैं, लेकिन कुंभ में परफॉर्म करते हुए मुझे सीधे तौर भगवान शिव से जुड़ाव महसूस होता है.वहां का माहौल ही ऐसा होता है. हर हर गंगे, हर हर महादेव के जयकारों से एक अलग ही माहौल बना रहता है.साधु ,संतों और अघोरियों का जमावड़ा होता है.पूजा, पाठ, प्रवचन सबकुछ एक साथ चलता रहता है, जो आपको आपके आराध्य के और करीब पहुंचा देता है.
बचपन में पिताजी के साथ आता था कुंभ
महाकुंभ से जुड़ी मेरी कई यादें रहे हैं. सभी को पता है कि मेरे पिताजी पुजारी रहे हैं, तो पूजा पाठ का बचपन से ही मेरे घर में बहुत महत्व रहा है. मेरे बचपन में जब भी कुंभ लगा था, तो परिवार समेत सभी लोग गंगा में डुबकी लगाने के लिए आते थे. उस वक्त मौजूदा समय की तरह कुंभ में अच्छी व्यवस्था नहीं होती थी.हम बहुत दिक्कतों से गुजरते थे, लेकिन मां गंगे का आशीर्वाद मिल रहा है. हम बस इसी बात से खुश रहते थे. मां गंगे प्यार से सहला रही है ऐसा अनुभव हर डुबकी के साथ होता था. मुझे यकीं है कि इस बार भी जब संगम में मैं डुबकी लगाऊंगा तो यही अनुभव रहने वाला है. कहते हैं कि कुंभ में स्नान करने से जीवित मोक्ष की प्राप्ति होती है.गंगा में डुबकी लगाने के बाद वाकई मन बहुत हल्का हो जाता है.
मैं आध्यात्मिक हूं
अपनी बात करूं खुद को धार्मिक नहीं आध्यात्मिक मानता हूं. मुझे लगता है कि अभी मैं आध्यात्मिक यात्रा पर हूं. इस दौरान मैं सनातन धर्म,हमारे गुरुओं और हमारी परम्पराओं के बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़ रहा हूं. मुझे लगता है कि आप जितना पढ़ते हैं.चीजों को समझते हैं. आपको अपनी जड़ों से और जुड़ाव हो जाता है. वैसे मेरे घर में पूजा पाठ का कल्चर मेरे पिताजी के जाने के बाद भी बरक़रार है. हमारा पूरा परिवार शाकाहारी है. मेरी बेटियां तो लहसुन, प्याज भी नहीं खाती हैं. मैं इस बात से बेहद खुश हूं कि मेरी धर्मपत्नी ने बच्चों को इतनी अच्छी परवरिश दी है कि उन्हें सनातनी होने पर गर्व है और वह अपनी परंपरा से इस कदर जुड़ी हुई हैं.
युवा अपने माता पिता के साथ जुड़ें
महाकुंभ 2025 एक वैश्विक सांस्कृतिक आयोजन बनने की ओर बढ़ रहा है.इस बार स्वछता, सुरक्षा और सुविधाओं के नए मानक तय होंगे. मुझे लगता है कि यह कुंभ यादगार बनने वाला है. रिकॉर्ड तोड़ नंबर में श्रद्धालु इसका हिस्सा बनने वाले हैं. मैं युवाओं से इसमें ज्यादा से ज्यादा जुड़ने की अपील करूंगा ताकि वह अपनी सनातनी परम्परा को समझ सकें.युवा पीढ़ी को यह बात समझने की जरुरत है कि महाकुंभ में देश विदेश से लोग आ रहे है, लेकिन वह भारत में रहते हुए भी प्रयागराज में होनेवाले महाकुंभ से नहीं जुड़ पा रहे हैं तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं. हम हिन्दू हैं. हम कैसे हिन्दू हैं. हमारी जड़ें क्या हैं. हमारे देवी देवता क्या हैं. हमारा इतिहास क्या है.हमारी पौराणिक कथाएं क्या हैं. ये धरती देवलोक की है. आपको यह सब समझने और अपनाने की जरूरत है. पश्चिम के अनुसरण में हमें सिर्फ आपाधापी ही सीखने को मिलेगी, जो बाद में निराशा, हताशा और डिप्रेशन तक ले जाती है.हमारी सनातनी परम्परा आपको ठहरकर खुद से और अपनी मजबूत जड़ों से जोड़ती है,जो आपको इंसान के तौर पर भी मजबूत बनाती हैं और कुंभ से बेहतर अनुभव और क्या हो सकता है.