Remembering Guru Dutt: कमाल के कलाकार थे दत्त साहब, तो फिर आखिर क्यों 39 साल की उम्र में दी खुद की जान
गुरु दत्त भारतीय सिनेमा के महान कलाकार थे, जिन्होंने अपनी फिल्मों से लोगों के दिलों में जगह बनाई.उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उनके अकेलेपन ने उनकी जिंदगी को दुखद अंत दिया.
Remembering Guru Dutt: गुरु दत्त, हिंदी सिनेमा के वो नाम हैं जिनकी फिल्मों को आज भी सिनेमा की पढ़ाई में सिखाया जाता है. एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, और लेखक के रूप में उन्होंने सिनेमा को एक नया मुकाम दिया। उनके द्वारा बनाई गई आइकॉनिक फिल्में जैसे ‘कागज के फूल’, ‘प्यासा’, ‘साहिब बीबी और गुलाम’ आज भी लोगों के दिलों में बसी हैं. लेकिन इतने बड़े कलाकार होने के बावजूद, आखिर क्यों उन्होंने महज 39 साल की उम्र में खुद की जान ले ली? आइए जानते हैं इस दर्दनाक कहानी के बारे में.
गुरु दत्त का असल नाम और उनकी जिंदगी की शुरुआत
गुरु दत्त का असली नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण था. उनका जन्म कर्नाटक में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता एक हेडमास्टर और बैंकर थे, जबकि उनकी मां लेखिका और शिक्षिका थीं. गुरु दत्त ने कोलकाता में अपना बचपन बिताया, जिससे बंगाली सभ्यता और भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ हो गई. अपनी कला और दृष्टि के कारण उन्होंने भारतीय सिनेमा में एक नई पहचान बनाई.
वहीदा रहमान से दिल का रिश्ता और अकेलापन
गुरु दत्त ने अपने करियर में केवल आठ फिल्मों का निर्देशन किया, लेकिन हर फिल्म आज भी सिनेमाई क्लासिक मानी जाती है. उनकी शादी प्लेबैक सिंगर गीता दत्त से हुई थी, लेकिन कुछ सालों बाद उनका दिल अभिनेत्री वहीदा रहमान पर आ गया. इस कारण गीता दत्त ने गुरु दत्त को छोड़ दिया और वह अपने बच्चों के साथ चली गईं. गुरु दत्त इस घटना के बाद अकेले पड़ गए और इस अकेलेपन को दूर करने के लिए उन्होंने शराब का सहारा लिया. तनाव के चलते, उन्होंने पहले भी दो बार आत्महत्या की कोशिश की थी.
गुरु दत्त की दर्दनाक मौत
गुरु दत्त की मौत का किस्सा भी उतना ही दर्दनाक है, जितनी उनकी जिंदगी रही. उन्होंने 10 अक्टूबर 1964 को, सिर्फ 39 साल की उम्र में मुंबई के पेड्डर रोड स्थित अपने घर में आत्महत्या कर ली थी. कहा जाता है कि उन्होंने काफी शराब पी थी और नींद की गोलियों का सेवन किया, जिससे उनकी मौत हो गई. हालांकि, आज तक उनकी मौत के पीछे की असल वजह पर कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है, लेकिन यह सच है कि उनकी मौत से हिंदी सिनेमा ने एक अमूल्य सितारा खो दिया.
क्यों गुरु दत्त को माना जाता है सिनेमा का जीनियस?
गुरु दत्त को हमेशा उनके खास विजन और अनूठी फिल्म मेकिंग के लिए याद किया जाता है. वह अपने समय से बहुत आगे की सोच रखते थे. उनकी फिल्मों में सामाजिक और पर्सनल लाइफ की कठिनाइयों को बेहद सेंसिटिव तरीके से दिखाया गया है. उनके द्वारा निर्देशित हर फिल्म आज भी एक सीख देने वाली और दिल को छूने वाली होती है.
गुरु दत्त का अमर योगदान
गुरु दत्त अपने समय के सबसे बड़े कलाकारों में से एक थे, और उनकी कला ने उन्हें अमर बना दिया है. उनकी फिल्में और उनके काम हमेशा उन्हें जिंदा रखेंगे. उनकी पुण्यतिथि पर प्रभात खबर की पूरी टीम उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करती है. वह एक ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और हमें सिनेमा की असल सुंदरता सिखाई. हम उनकी कला के जरिए हमेशा उन्हें अपने साथ महसूस करेंगे.
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