Remembering Rajesh Khanna: बाबू मोशाय, जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं
राजेश खन्ना की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए हम उनकी फिल्मी यात्रा, अंतिम शब्द और विरासत पर रोशनी डालते हैं.
राजेश खन्ना की यादें
Remembering Rajesh Khanna : आज हम भारत के पहले सुपरस्टार, राजेश खन्ना को याद कर रहे हैं. उनका निधन 18 जुलाई 2012 को हुआ था, लेकिन आज भी उनकी फिल्मों और डायलॉग्स की गूंज हर दिल में है.राजेश खन्ना ने हमें सिखाया कि जिंदगी का हर लम्हा खास होना चाहिए.
फिल्मों का जादू
राजेश खन्ना का करियर 1966 में शुरू हुआ. उन्होंने ‘आखिरी खत’ फिल्म से अपने अभिनय की शुरुआत की. उनकी अदाकारी ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया. ‘आराधना’, ‘आनंद’, और ‘अमर प्रेम’ जैसी फिल्में आज भी लोगों के दिलों में बसी हैं. उन्होंने 15 हिट फिल्मों का रिकॉर्ड बनाया, जो अब तक कोई और अभिनेता नहीं तोड़ पाया.
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अंतिम शब्दों की कहानी
राजेश खन्ना के आखिरी शब्द भी उनकी जिंदगी के असली सार को दर्शाते हैं. उनके करीबी दोस्त अमिताभ बच्चन ने बताया कि राजेश ने कहा था, “समय हो गया है! पैक अप!” ये शब्द उनके फिल्मी करियर की कहानी को बयां करते हैं. जैसे कि वो अपनी ज जिंदगी को एक फिल्म की तरह जीते थे.
राजेश खन्ना की विरासत
राजेश खन्ना की विरासत आज भी जिंदा है.उनके डायलॉग और गाने हमारे दिलों को छूते हैं. वो सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक आइकॉन थे. उनकी मुस्कान और अदाकारी ने लाखों दिलों पर छाप छोड़ी.
फिल्म इंडस्ट्री को दी श्रद्धांजलि
राजेश खन्ना की पुण्यतिथि पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें श्रद्धांजलि दे रही है. हर साल उनकी याद में कार्यक्रम आयोजित होते हैं. उनकी कला और व्यक्तित्व को आज भी सादर याद किया जाता है.
राजेश खन्ना हमें सिखाते हैं कि जिंदगी को पूरी तरह जीना चाहिए.उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हर पल को जी भरकर जीना चाहिए. बाबू मोशाय, जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं!
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