Remembering Sumitra Devi: बंगाली सिनेमा की रानी, एक्ट्रेस जिसकी आंखें बोलती थीं

बंगाली सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री सुमित्रा देवी की आंखें उनकी सबसे बड़ी पहचान थीं. उनकी आंखों के भाव ने उनके अभिनय को शब्दों से भी ज्यादा प्रभावी बनाया.आज उनकी पुण्यतिथि पर प्रभात खबर की पूरी टीम उन्हें दिल से याद करती है.

By Sahil Sharma | August 28, 2024 8:49 AM

सुमित्रा देवी: बंगाली सिनेमा की रानी

Remembering Sumitra Devi: सुमित्रा देवी, बंगाली सिनेमा की एक मशहूर अभिनेत्री थीं, जिनका करियर 1940 और 1950 के दशक में पीक पर था. उन्होंने न केवल बंगाली बल्कि हिंदी फिल्मों में भी अपने अभिनय का जादू बिखेरा. उनकी अदाओं ने उन्हें सिनेमा की दुनिया में एक अलग पहचान दी. 

शुरुआती जीवन और परिवार

सुमित्रा देवी का असली नाम नीलिमा चट्टोपाध्याय था. वे पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मी थीं. एक भयंकर भूकंप के कारण परिवार को अपना घर और संपत्ति मुजफ्फरपुर में छोड़कर कोलकाता आना पड़ा.

एक्टिंग में करियर की शुरुआत

सुमित्रा देवी को बचपन से ही फिल्मी दुनिया से अट्रैक्शन था. उन्होंने गुप्त अपने भाई की मदद से न्यू थियेटर्स के अभिनय करियर की शुरुआत हुई. उनकी पहली फिल्म ‘संधि’ (1944) ने उन्हें एक टैलेंटेड एक्ट्रेस के रूप मी एस्टाबलिश किया.

Remembering sumitra devi

एक्टिंग की पहचान

सुमित्रा देवी ने अपने करियर में लगभग साठ फिल्मों में काम किया. उनकी आंखें उनकी सबसे बड़ी ताकत थीं, जो हर किरदार में जान डाल देती थीं. उनके किरदार हमेशा से मजबूत और बगावती थे.

प्रसिद्ध फिल्में और उपलब्धिया

सुमित्रा देवी ने ‘मशाल’ (1950), ‘दीवाना’ (1952), ‘जागते रहो’ (1956) जैसी कई हिंदी और बंगाली फिल्मों में काम किया. उनकी खूबसूरत आंखों और दमदार अभिनय ने उन्हें बंगाली सिनेमा की रानी बना दिया. 1956 की फिल्म ‘साहेब बीबी गोलाम’ में उनका अभिनय आज भी याद किया जाता है.

शम्मी कपूर की राय

दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर ने एक बार कहा था, सुमित्रा देवी को सिर्फ ‘खूबसूरत’ कहकर उनकी तारीफ करना गलत होगा. उनकी आंखों में जो जादू है, वो अनकहा है.

आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी एक्टिंग और उनकी पावरफुल परफॉर्मेस आज भी हमारे साथ है, आज उनकी पुण्यतिथि पर प्रभात खबर की पूरी टीम उन्हें दिल से याद करती है.

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