Remembring Jayshree Gadkar : रामायण की कौशल्या से मराठी सिनेमा की सुपरस्टार तक, जयश्री का सफर
जयश्री गडकर ने 13 साल की उम्र में अभिनय शुरू किया और मराठी फिल्मों की सुपरस्टार बनीं. उनकी मेहनत और टैलेंट ने उन्हें एक बड़ा मुकाम दिलाया.आइये उनकी पुण्यतिथि पर उनके सफर पर एक नजर डालते है.
जयश्री गडकर: छोटी उम्र से सितारा बनने की कहानी
Remembring Jayshree Gadkar : जयश्री गडकर का जन्म 21 मार्च 1942 को कर्नाटक के कारवार जिले के सदाशिवगढ़ गांव में हुआ था. वे एक सिंपल कोंकणी परिवार से थीं, जो ट्रेडिशंस और वैल्यूज से जुड़ा हुआ था. बचपन में ही उनका परिवार मुंबई आ गया, जहां जयश्री की पढ़ाई हुई और उनके जीवन ने एक नई दिशा ली. मुंबई आने के बाद उनका बचपन बड़े शहर की चमक-धमक के बीच बीता, लेकिन उनके दिल में हमेशा कुछ अलग करने की चाह थी.
सिंगिंग और डांसिंग का जुनून
जयश्री को बचपन से ही सिंगिंग और डांसिंग का बेहद शौक था. उनकी इस कला के प्रति दीवानगी इतनी थी कि वे चोरी-छिपे फिल्में देखा करती थीं और घर आकर उन्हीं गानों पर नाचने की प्रैक्टिस करती थीं. उनके इस जुनून को देखते हुए उनके माता-पिता ने उन्हें डांस और म्यूजिक सीखने का मौका दिया. जयश्री ने मशहूर डांस गुरु गोपी कृष्ण से कथक सीखा और गायन की शिक्षा भी ली, जिससे उनकी कला में और निखार आया.
13 साल की उम्र में फिल्मों की शुरुआत
जयश्री गडकर ने सिर्फ 13 साल की उम्र में ही मराठी फिल्मों में कदम रख दिया था. उनकी पहली फिल्म ‘तमाशा’ थी, जिसमें उन्होंने एक चाइल्ड आर्टिस्ट का किरदार निभाया था. इसके बाद 1955 में वे वी. शांताराम की फिल्म ‘झनक झनक पायल बाजे’ में एक डांसिंग गर्ल के रूप में नजर आईं. इस फिल्म में उनका डांस भले ही छोटा था, लेकिन उन्होंने फिल्मी दुनिया में अपने कदम जमाने की शुरुआत कर दी थी.
मराठी फिल्मों में स्टारडम
जयश्री गडकर ने मराठी फिल्मों में एक के बाद एक हिट फिल्में दीं. ‘सांगते एका’, ‘अवगाची संसार’, और ‘मानिनी’ जैसी फिल्मों ने उन्हें मराठी सिनेमा की सुपरस्टार बना दिया. उनकी एक्टिंग, उनकी डांसिंग और उनके चेहरे की मासूमियत ने दर्शकों को अपना दीवाना बना लिया. मराठी सिनेमा में वे एक प्रतिष्ठित नाम बन गईं और उन्होंने पांच दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज किया.
हिंदी फिल्मों में भी चमक
मराठी फिल्मों के साथ-साथ जयश्री ने हिंदी फिल्मों में भी काम किया. ‘ससुराल’, ‘लव कुश’, ‘डिटेक्टिव’, ‘संपूर्ण महाभारत’, ‘जियो तो ऐसे जियो’ जैसी फिल्मों में उनके रोल्स ने हिंदी सिनेमा में भी उन्हें पहचान दिलाई. हालांकि वे मराठी सिनेमा में ज्यादा ऐक्टिव रहीं, लेकिन हिंदी फिल्मों में उनके काम को भी खूब सराहा गया.
शादी और परिवार का साथ
जयश्री गडकर ने 1975 में मराठी सिनेमा के मशहूर अभिनेता बाल धुरी से शादी की. बाल धुरी भी मराठी सिनेमा के एक प्रतिष्ठित नाम थे. शादी के बाद भी जयश्री ने एक्टिंग जारी रखी. इस जोड़ी ने साथ में कई फिल्मों में काम किया और उनकी केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब पसंद किया. खासतौर पर ‘रामायण’ सीरियल में जहां बाल धुरी ने राजा दशरथ का किरदार निभाया और जयश्री ने माता कौशल्या का, इस जोड़ी ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई.
अंतिम दिन और यादें
जयश्री गडकर ने 29 अगस्त 2008 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उनका जीवन और करियर एक इंस्पिरेशन है, जो दिखाता है कि किस तरह एक साधारण लड़की अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर स्टारडम की ऊंचाइयों तक पहुंच सकती है. उन्होंने अपने समय में न सिर्फ फिल्मी दुनिया में बल्कि दर्शकों के दिलों में भी अमिट छाप छोड़ी है.
आज वो हमारे बीच नहीं है और उनकी पुण्यतिथि पर प्रभात खबर की पूरी टीम उन्हें दिल से याद करती है,वह हमेशा अपने रोल्स से हम सब की लाइफ में हमेशा के लिए अमर है.
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