ऋषभ शेट्टी की ‘कांतारा’ OTT प्लेटफॉर्म पर हुई रिलीज, कमल हासन भी कर चुके हैं फिल्म की तारीफ

'कांतारा' के अभिनेता और निर्देशक ऋषभ शेट्टी कि फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर 24 नवंबर को रिलीज हो चुकी है. 'कांतारा' ओटीटी रिलीज़ अमेज़न प्राइम पर कन्नड़, तमिल, तेलुगु और मलयालम में रिलीज हुई है.

By Budhmani Minj | November 24, 2022 4:54 PM
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कन्नड़ हिट फिल्म “कांतारा” देश भर में बॉक्स ऑफिस पर सफल प्रदर्शन के बाद ओटीटी पर रिलीज हो गई है. ‘कांतारा’ के अभिनेता और निर्देशक ऋषभ शेट्टी कि फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर 24 नवंबर को रिलीज हो चुकी है. ‘कांतारा’ ओटीटी रिलीज़ अमेज़न प्राइम पर कन्नड़, तमिल, तेलुगु और मलयालम में रिलीज हुई है. फैंस के बीच खुशी की लहर दौड़ हो गई है. दर्शक अब घर बैठे भी इस फिल्म को इंज्वॉय कर सकते हैं.

काल्पनिक गांव पर आधारित है फिल्म

समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्मों में से एक ‘कांतारा’ हिंदी भाषा सहित पूरे भारत में 30 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. कांतारा का निर्माण होम्बले फिल्म्स द्वारा किया गया है और इसमें ऋषभ शेट्टी, अच्युत कुमार, प्रमोद शेट्टी, सप्तमी गौड़ा और किशोर जैसे कन्नड़ कलाकार हैं. ‘कांतारा’ दक्षिण कर्नाटक के एक काल्पनिक गांव पर आधारित है, जिसमें ऋषभ शेट्टी एक कंबाला चैंपियन की मुख्य भूमिका निभा रहे हैं और एक वन रेंज अधिकारी के साथ अपने संघर्ष का वर्णन करते हैं. फिल्म कर्नाटक के दक्षिणी तटीय क्षेत्र कादुबेट्टू के जंगलों में एक छोटे से समुदाय के इर्द-गिर्द घूमती हैं.

कमल हसन ने किया था ऋषभ शेट्टी को फोन

ऋषभ शेट्टी की फिल्म ‘कांतारा’ शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है और तकरीबन सभी मशहूर हस्तियों सहित हर कोई इसकी तारीफ कर रहा है. रजनीकांत जैसे मेगास्टार के बाद हाल ही में सुपरस्टार कमल हसन ने भी फिल्म की सराहना की थी. उन्होंने कांतारा देखी और फिल्म की तारीफों के जमकर पुल बांधे. उन्हें फिल्म इतनी अपीलिंग लगी कि उन्होंने ऋषभ शेट्टी को फोन किया और कहा कि इस तरह की कहानी बहुत प्रेरणादायक है.

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यह लोककथाओं की तरह है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है

ऋषभ शेट्टी ने फिल्म के बारे में इंडिया टुडे के बारे में कहा था कि, “कांतारा 18वीं सदी में शुरू होती है और 19वीं सदी तक चलती है. यह लोककथाओं की तरह है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है. मैं इस कहानी को लोककथाओं के माध्यम से बताना चाहता था. मुझे लगता है कि भारतीय भावनाएं देश में अच्छी तरह से प्रतिध्वनित होती हैं; इसलिए निहित कहानियां अच्छी तरह से काम करती हैं. इसमें कुछ भी नया नहीं है. आज लोग मूल कहानियां चाहते हैं. लोग इससे संबंधित हैं, उनकी परवरिश और जब तक यह जुड़ता है, तब तक कांतारा जैसी और कहानियां काम करेंगी.”

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