रुपहले परदे पर कई यादगार और सशक्त किरदारों को जीवंत करने वाली काजोल इन दिनों अपनी फिल्म सलाम वेंकी के लिए सराही जा रही है. उर्मिला कोरी ने उनसे उनकी इस फिल्म मदरहुड सहित कई विषयों पर बातचीत की.
आपने फिल्म सलाम वेंकी को पहले मना कर दिया था?
हां, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि मैं हमेशा से रेवती के साथ काम करना चाहती थी. मैंने उनकी फिल्में पहले देखी थीं और तय किया था कि मैं उनके साथ एक फिल्म जरूर करुंगी. जब मैंने इस फिल्म की स्क्रिप्ट सुनी तो मैं इसे नहीं करना चाहती थी, क्योंकि मैं एक मां निजी जिन्दगी में भी हूं. एक मां के तौर पर मैं अपने बच्चों को लेकर बहुत ज्यादा संवेदनशील हूं. मुझे किसी भी तरह से नेगेटिविटी अपने बच्चों के लिए नहीं चाहिए, हालांकि स्क्रिप्ट इतनी अच्छी लिखी गई थी कि मैंने इसे कर लिया. रेवती में यह क्षमता है कि वह इंसानी इमोशन को ना सिर्फ समझती है, बल्कि उसे पूरी संवेदनशीलता के साथ परदे पर उतारती भी करती है. ज्यादातर निर्देशक जब काम कर रहे होते हैं, तो चिल्लाते ज्यादा हैं, लेकिन रेवती शांत रहती है.
हर किरदार और फिल्म एक एक्टर को कुछ ना कुछ सीखा जाता है. इस फिल्म से सीख क्या रही है?
मैंने जीवन में बहुत कुछ सीखा है, मैं बहुत पढ़ती हूं और मेरे बच्चे मुझे बहुत कुछ सिखाते हैं. आपके आस-पास के लोग आपको कई अलग-अलग तरीकों से बहुत कुछ सिखाते हैं. जब मैंने इस फिल्म को लिया, तो मैंने जाना कि असल में बहादुरी या कहे हिम्मत का क्या मतलब है. मुझे यह सीखने को मिला कि सच्चा साहस क्या होता है. हमें लगता है कि हम बहादुर हैं, लेकिन जब आप मेरे द्वारा निभाए गए किरदार सुजाता जैसी महिला से मिलते हैं, तो मुझे एहसास हुआ है कि मैंने जीवन में बहुत कुछ नहीं किया है. मुझे लगता है कि जीवन में सबसे सरल लोग सबसे बहादुर लोग होते हैं.
आपके जीवन का सबसे साहसिक पल कौन सा रहा है?
मां बनना मेरी जिन्दगी का सबसे साहसिक फैसला था, जब आपके बच्चे होते हैं तो आप उसके जीवन के लिए जिम्मेदार होती हैं और उन्हें बड़ा करना आपकी जिम्मेदारी होती है. जो आपको पागल बना देती है, जब मैं न्यासा के साथ पहली बार मां बनी, तो मैंने अपने दोस्तों से कह दिया था कि जब तक मैं मदरहुड में महारत हासिल नहीं कर लेती, तब तक मुझसे कोई न मिलें. अपने बच्चों की परवरिश कैसे करें, इस पर कोई मैनुअल या किताब नहीं होती है. यह सब खुद से अपने हाथ से सीखने वाला था. मैं कहीं नहीं जाती थी. मैं हमेशा न्यासा पर ध्यान देती थी. जब मेरा दूसरा बच्चा युग हुआ तो मैंने मातृत्व की कला सीख ली थी, इसलिए मुझे चिंता नहीं थी. मैंने उस वक्त एक फिल्म भी की थी.
आपकी नानी, मां और सास ने आपको मातृत्व के टिप्स दिए होंगे?
क्या आपको लगता है कि मैं टिप्स लेने वालों में से हूं? जब भी उन्होंने मुझे टिप्स देने की कोशिश की, मैंने उनसे कहा कि इसे मेरे सामने साबित करो. क्या आप इसके बारे में कन्फर्म हैं,क्योंकि समय बदल गया है. आज सब कुछ अलग है.
शूटिंग के वक्त क्या आप पर आपके मातृत्व की जिम्मेदारियां हावी रहती हैं.?
मैंने हमेशा फिल्मों के सेट को अपना घर माना है. मैं फिल्म के सेट पर सहज होती हूं. हां, कैमरे के सामने काम बदल गया है. दर्शक बदल गए हैं और वे अब विश्व सिनेमा के संपर्क में हैं. आप उन्हें हल्के में नहीं ले सकते हैं. आप उस फॉर्मूले का इस्तेमाल नहीं कर सकते, जो 80 और 90 के दशक में मौजूद था. जब मैं सेट पर होती हूं, तो अपना पूरा समय काम को समर्पित करती हूं. मैं और कुछ नहीं सोचती हूं एक बार जब मैं सेट से बाहर हो जाती हूं, तो मैं अपना काम पूरी तरह भूल जाती हूं. उसके बाद मेरा परिवार मेरी प्राथमिकता है.
आप पहले से ज्यादा अट्रैक्टिव दिखती है, आपका सीक्रेट क्या है ?
जीवन में रुचि बनाए रखने के लिए नई चीजें सीखें और सोशल मीडिया पर ध्यान न दें.
सोशल मीडिया ने इन दिनों माता-पिता पर बहुत दबाव बनाया है क्या आप भी इससे गुजरती हैं ?
आज के बच्चे कमाल के हैं. वे इतने स्मार्ट हैं. उनके पास गूगल की तरह हर बात का जवाब है. आप उन्हें कुछ चीजें सिखा सकते हैं, लेकिन बदले में आप उनसे बहुत कुछ सीखते हैं. मेरा बेटा मुझे हर दिन कुछ न कुछ सिखाता है. जब हम बड़े हो रहे थे तो हमारे पास इंटरनेट या फोन नहीं था. हमारे पास कुछ कंप्यूटर थे, लेकिन हमने उस पर इतना समय नहीं लगाया. इन दिनों वे लैपटाप, टैबलेट और सेल फोन लेकर घूम रहे हैं. वे जो कुछ भी खोजना चाहते हैं, वे दोस्तों से पूछते हैं या वे नेट पर खोजते हैं. बच्चे आजकल अजीबोगरीब सवाल पूछते हैं. आप कुछ भी नहीं छुपा सकते हैं. पहले हम सिर्फ रिक्शेवाले से गाली सुनते थे, आजकल तो टीवी पर अपशब्दों का खुलकर इस्तेमाल होता है. वे गाली देना सीखते हैं. सोशल मीडिया साइट्स अपशब्दों को सेंसर नहीं करती हैं. आप सेंसरशिप अपने बच्चों की जिन्दगी में नहीं ला सकते हैं. आप ये देखो ये नहीं आप बोल ही नहीं सकते हैं. युग अभी छोटा है तो मैं उस पर थोड़ा स्ट्रिक्ट रहती हूं, न्यासा बड़ी हो गयी है तो वो अपने फैसले लेती हैं. हां एक तय समय पर घर आ जाना है. उससे ज्यादा देर नहीं.
आपका लुक शुरूआत में बहुत टॉमबॉय टाइप था , लेकिन आपकी बेटी फैशन को लेकर बहुत जागरूक है?
मैं अभी भी टॉमब्वॉय हूं, लेकिन वह इसके बिल्कुल विपरीत है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हमने उसे ऐसे ही पाला है. हमने उसे पैपराजी और मीडिया से छोटी उम्र में ही रूबरू कराया. हम उसे कहते रहते हैं कि जब वह कार से बाहर निकलें, तो कपड़ों को ठीक करके निकले. उसे अपने कपड़ों पर पूरा ध्यान होना चाहिए. एक निश्चित तरीके से चलें. हमने उसे जागरूक किया है, क्योंकि पैपराजी हर जगह हैं. मुझे याद है एक बार मैं शूटिंग के लिए जोधपुर जा रही थी और हमारी फ्लाइट में एक मंत्री भी थे. उन्होंने उतरने में समय लिया, क्योंकि उनका बैग नहीं आया था. मैं एयरपोर्ट से बाहर निकली. न्यासा उस वक्त सिर्फ ढाई साल की थी. हम पैपराजी से घिरे हुए थे. आसपास कोई सुरक्षा नहीं थी. सभी ने हमें पूरी तरह से घर लिया था. वह बुरी तरह से डर गयी और मुझे कसकर गले लगा लिया. मुझे भी कुछ नहीं समझा बस मैंने सभी को धक्का देते हुए अपने कार के पास किसी तरह पहुंची. न्यासा फूट फूट कर बहुत रोयी थी. अभी बच्चों को ट्रॉलिंग से भी डील करना पड़ता है. उन्हें समझाया गया है कि बुरा कहने वाले सौ है तो अच्छा बोलने वाले लाखों हैं.
युग और न्यासा में अजय और आपके क्या गुण हैं?
युग मेरा और अजय का अच्छा मेल है, लेकिन हां वह मेरी तरह ज्यादा इमोशनल है. वह संगीत से प्यार करता है. पियानो बजाता है. वह उस दिशा में प्रतिभाशाली हैं. मां हूं तो मुझे लगता है कि मेरे बच्चे हर चीज में सर्वश्रेष्ठ हैं. न्यासा बहुत खास है. वह बहुत पढ़ी-लिखी है. उसे बहुत कुछ का नॉलेज है. उसने खुद को त्वचा की देखभाल, स्वास्थ्य और फिटनेस के बारे में शिक्षित किया है. जिसमें वह मुझे भी गाइड करती है.
आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स क्या हैं?
मैंने कुछ भी साइन नहीं किया है. मैं लोगों से बात कर रही हूं. हां, मैं ओटीटी पर अपने डेब्यू का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं. हॉटस्टार पर जो मेरा प्रोजेक्ट आ रहा है, मुझे इसमें काम करने में बहुत मजा आया.