स्टारकिड हूं लेकिन संघर्ष आऊटसाइडर्स वाला है- समारा तिजोरी
बॉब विश्वास की अभिनेत्री समारा तिजोरी अपनी एक पहचान बनाने में कामयाब नज़र आ रही हैं. अपने संघर्ष को लेकर उन्होंने खास बातचीत की.
ज़ी 5 पर स्ट्रीम हो रही फिल्म बॉब विश्वास से अभिनेत्री समारा तिजोरी अपनी एक पहचान बनाने में कामयाब नज़र आ रही हैं. परदे पर उनकी मौजूदगी आत्मविश्वास से लबरेज है. समारा 90 के दशक के अभिनेता दीपक तिजोरी की बेटी हैं. उनकी इस फ़िल्म औऱ कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
फ़िल्म को लेकर आपको किस तरह के रिस्पांस मिल रहे हैं
मुझे बहुत ही अच्छा रिस्पांस मिल रहा है.कैसे रिएक्ट करूं पता नहीं बस मैं सभी को थैंक्यू बोलती जा रही हूं. मुझे नहीं लगा था कि लोग मुझे इस तरह से स्वीकार कर लेंगे. मैंने अब तक जितने भी रिव्युज पढ़े हैं.सब में मेरे बारे में अच्छा ही लिखा है.
इस फ़िल्म से किस तरह से जुड़ना हुआ
जैसे मैंने इतने सारे ऑडिशन दिए थे लेकिन एक पॉइंट पर कुछ नहीं हो रहा था तो उस वक़्त इस फ़िल्म का ऑडिशन आया.मुझे तो पता भी नहीं था कि ये फ़िल्म है या वेब सीरीज.मैं तो वेब सीरीज समझकर ऑडिशन देने गयी थी. ऑडिशन पर जाकर मालूम हुआ कि फ़िल्म है. ये कोविड के पहले की बात है तो यह फ़िल्म उस वक़्त थिएटर के लिए बन रही थी.
क्या तैयारियां करनी पड़ी
( हंसते हुए) कुछ तैयारी नहीं कर पायी क्योंकि फ़िल्म मुझे मिलने और कोलकाता में जाकर शूटिंग करने के बीच सिर्फ पांच दिनों का ही समय था.उसमें मुझे कॉन्ट्रैक्ट साइन करना था.स्क्रिप्ट पढ़नी थी और बैग भी पैक करने थे तो मैंने अपने इंस्टिक्ट को फॉलो किया.इस फ़िल्म की शूटिंग के दौरान ही मैंने मिनी के किरदार को करीब से जाना.
तैयारियों के बिना शूटिंग का पहला दिन कैसा था
मैं बहुत ही नर्वस थी.फ़िल्म में जिस सीन में मैं,चित्रांगदा और अभिषेक एक सेमेंट्री में हैं और मैं चित्रांगदा मैम को बोलती हूं कि मैं डॉक्टर अंकल के पास पेपर्स सॉल्व करने जा रही हूं. वो मेरा पहला शॉट था. वो एक लाइन बोलना था. एक लाइन मुझसे बोली नहीं गयी.आवाज़ ही नहीं निकल रही थी बाद मैं मुझे वो लाइन डब करनी पड़ी थी लेकिन उसके बाद सेट पर मैं सहज हुई.मैं सुजॉय सर और अभिषेक सर की बहुत शुक्रगुज़ार हूं.उन्होंने फ़िल्म के दौरान मुझे बहुत सपोर्ट किया.मैं जब लाइन में अटकती तो अभिषेक सर समझाते एक बार ऐसे बोलकर देखो.ऐसा कर लो.हमेशा उनकी ट्रिक काम आ जाती थी. शूटिंग के दौरान हम एक दूसरे के साथ बहुत सहज हो गए थे.बहुत अच्छी बॉंडिंग थी.चित्रांगदा मैम तो ऑफ स्क्रीन भी मेरा एक बेटी की तरह ख्याल रखती थी.
इस फ़िल्म की शूटिंग कोलकाता में हुई है कैसा अनुभव रहा
मैं पहली बार कोलकाता गयी थी.जमकर फुचका खाया.टॉलीगंज में ग्लोफ भी खेला. उस शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत ही अच्छा है. इतिहास को खुद में समेटे हुए.मुम्बई से बहुत अलग है.
जब से आपकी फ़िल्म रिलीज हुई है उसके बाद से आपका नाम लगातार आपके पिता से जोड़ा जा रहा है एक और स्टार किड आपको कहा जा रहा है
टेक्निकली यह शब्द सही है.मेरे पिता 90 की फिल्मों के स्टार थे और मैं उनकी किड हूं बस यही तक यह बात है.मैंने एक आम आदमी की तरह संघर्ष किया है.मैंने बहुत सारे ऑडिशन्स दिए हैं .विज्ञापन फिल्मों की एड की ऑडिशन्स में तो मैने डियो,शैम्पू,तेल साबुन सबकुछ बेचा है.कॉलेज के दौरान मैं फिल्मों में असिस्टेन्ट थी. उससे पहले इवेंट्स में थी.लोगों को लगता है कि एक फ़ोन लगाएंगे हम तो हो जाता है.मेरे साथ तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. मैंने बहुत संघर्ष किया है. बहुत रिजेक्शन झेला है.बॉब विश्वास जब मिला तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ.
रिजेक्शन के इस दौर में आपके लिए मोटिवेशन कौन था
मेरी फैमिली थी लेकिन सबसे ज़्यादा मोटिवेशन मुझे मेरे दोस्तों से मिला.मेरे सारे फ्रेंड्स आउटसाइडर्स हैं. जो आराम नगर में एक साथ कई लोगों के साथ रहते हैं.एक दिन में छह ऑडिशन देते हैं.उन्हें रिजेक्शन मिलता है.उससे सीखते हुए वे फिर अगले दिन छह से सात ऑडिशन देने निकल पड़ते हैं.मैंने उनसे बहुत कुछ सीख है.
आपके पिता इस इंडस्ट्री से हैं फिर भी आपके लिए चीज़ें आसान क्यों नहीं रही आपको क्या लगता है
जब मैंने एक्टिंग में आने का सोचा.उन्होंने फिल्मों से ब्रेक ले लिया था.जब वो एक्टर थे तो भी उनकी बॉलीवुड वाली सोशल सर्किल वाली लाइफ नहीं थी उनका कोई कैम्प नहीं था
आपके पिता की किन फिल्मों ने आपको प्रभावित किया था
मैं बहुत छोटी थी.जब मैंने गुलाम देखी थी.उस फिल्म के एक सीन में मेरे पिता को ट्रेन लगते लगते बची थी.मुझे लगा था कि वो सचमुच मर गए .मैं बहुत रोयी थी.उसके बाद मैंने फिल्में देखना बंद ही कर दिया.बाद में मैंने जो जीता वही सिकन्दर और कभी हां कभी ना देखी जो मुझे बहुत पसंद आयी
आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स
एक वेब सीरीज की शूटिंग कर रही हूं.जिसमें मैं लीड हूं.उसके निर्देशक मिर्ज़ापुर फेम गुरमीत सिंह हैं.