Exclusive : ‘साराभाई’ फेम राजेश कुमार ने बताया- कोरोना से जंग जीतने के बाद इस तरह रख रहे ख्याल
Rajesh Kumar Interview : अपने दो दशक से अधिक के करियर में राजेश कुमार (Rajesh Kumar) ने छोटे परदे पर कई यादगार किरदार निभाए हैं. जल्द ही वह धारावाहिक एक्सक्यूज़ मी मैडम में नज़र आएग. राजेश बीते दिनों इस सीरियल की शूटिंग के दौरान कोरोना से संक्रमित भी हुए थे. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत...
Rajesh Kumar Interview : अपने दो दशक से अधिक के करियर में राजेश कुमार (Rajesh Kumar) ने छोटे परदे पर कई यादगार किरदार निभाए हैं. जल्द ही वह धारावाहिक एक्सक्यूज़ मी मैडम में नज़र आएग. राजेश बीते दिनों इस सीरियल की शूटिंग के दौरान कोरोना से संक्रमित भी हुए थे. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
जब आपको मालूम हुआ कि आप संक्रमित हैं उसके बाद कैसे खुद का ख्याल रखा?
प्रभावित होने के बाद आदमी एक ही कोशिश होती है कि एहतियात रखा जाए. आईसोलेशन मेन्टेन किया जाए. शुरुआती जो लक्षण है जैसे स्वाद चला जाए और सूंघने की क्षमता लेकिन उससे ज़्यादा मामला आगे ना बढ़े खासकर आपके स्वांस पर बात ना आए।ऑक्सीजन लेवल कम ना हो. रेग्युलर मॉनिटरिंग चल रही थी. डॉक्टर के संपर्क में थे. घर पर ही क्वारन्टीन थे. अब दस दिन से ऊपर हो गए हैं. 90 परसेंट सुधार हो चुका है. थोड़ी कमज़ोरी है बस. कोरोना आपको कमज़ोर ही करता है.
कितना खानपान में ध्यान दिया?
इसमें मूल रूप से खाना दो ही तरह का होता है एक एसिडिक एक अल्कलाइन तो जो एसिडिक वाला खाना होता है. उसको आपको नज़रंदाज़ करना पड़ता है. वैसे यह आम जीवन में भी हमें फॉलो करना चाहिए अल्कलाइन फ़ूड हमारे लिए सबसे बेस्ट है. एसिडिक में चाय,कॉफी से लेकर डीप फ्राईड फ़ूड शामिल होता है. जो हम सभी को पता है कि सारे परेशानियों की जड़ है. सेमी कुक्ड फ़ूड,फल,रॉ वेजिटेबल ये सब अगर खाने में रखें तो बहुत अच्छा रहेगा. कोरोना में यही फ़ूड बॉडी को रिवाइवल करती है.
इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए क्या काढ़ा पी रहे हैं?
काढ़ा तो जीवन का सत्य है. बचपन से हम सुनते आए हैं कि सत्य कड़वा है दरअसल सत्य कड़वा नहीं काढ़ा है.
शूटिंग के बाद घर जाते हैं तो घरवालों से किस तरह से डिस्टेंस बनाकर रहते हैं?
घर की घंटी जैसे बजती है मेरी, दरवाजा खुलता तो है लेकिन लोग गायब रहते हैं. फिर आप अजीमोशान शहंशाह की तरह आपका वॉक होता है और आप महसूस करते हैं कि आज दरबार में फिर कोई नहीं आया है फिर आप अपने गुसलखाने में चले जाते हैं नहाते हैं धोते हैं. अच्छे से खुद को सेनिटाइज करते हैं. जब आप निकलते हैं तो आप देखते हैं कि आपके कमरे के दरवाजे पर आपका खाना रख दिया गया है. आप कैदी की तरह एक खाना लेकर चुपचाप एक कोने में बैठकर खाते हैं. फिजिकल संपर्क पत्नी और बच्चों के साथ बिल्कुल नहीं होता है. फिर सुबह आप उठते हैं कार में बैठते हैं और शूटिंग पर चले जाते हैं. अभी ऐसे ही कट रहा है जीवन.
कोरोना महामारी के इस दौर ने आपको क्या सीखाया?
अलग अलग तरीके से सीख मिलती है. आम जीवन और सतही तौर पर देखें तो खाना बनाना सीख लिया. बहुत सारे एक्सपेरिमेंट किए लेकिन अगर डीप लेवल पर देखें तो हमने पाया कि जो हम सोचते थे कि इंसान है तो सृष्टि है. ये भ्रम टूट गया. हम भी किसी दूसरे प्राणी की तरह ही है. चींटी,कौवे,शेर की तरह. महामारी ने बताया खुद को ही बहुत महत्वपूर्ण ना समझिए. ज़िन्दगी क्षणभंगुर है. स्वयं से हटकर संसार के बारे भी सोचिए.
लॉकडाउन के दौरान आप पटना में थे या मुम्बई में?
मैं मुम्बई में ही था. लॉकडाउन शुरू होने से पहले मैं यूरोप से आया था.मैं 14 दिन के आईशोलेशन में था. वो कब छह महीने में बदल गया पता ही नहीं चला.
एक्सक्यूज़ मी मैडम जो आपका नया शो है, उस तरह के कांसेप्ट पर पहले भी शो आए हैं क्या खास आप इस कांसेप्ट में पाते हैं?
इस तरह के कांसेप्ट की सबसे बड़ी यूएसपी जो है वह ये कि ये मैन विल बी मैन वाले जोन में है. मुझे लगता है कि 40 के बाद जीवन में एक शांत रस आ जाता है. हम लोग अक्सर नौ रस की बात करते हैं. इनमें से ही एक शांत रस है. जो 40 के बाद होता है. ज़िन्दगी में एक ठहराव सा आ जाता है. आपकी लाइफ रूटीन हो जाती है. शादी को आठ दस साल हो चुके होते हैं. वहां से मन मचलना शुरू होता है. इसका लस्ट की ओर रुझान नहीं होता है बस एक चुलबुलापन जो होता है यूथ वाला. वो कुलबुलाहट मचाता है. आपको सुंदर लड़कियां भाने लगती हैं. आपको लगता है यही संसार है. इसी सोच का ह्यूमर साइड शो में एक्सप्लोर हुआ है.
आप भी 40 की उम्र के पार हैं निजी जिंदगी में शांत रस पर आपका क्या कहना है?
(हंसते हुए) शांत रस एक अलग तरह से मेरी ज़िंदगी में है. पहले जो चीजों को लेकर व्याकुलता होती थी. ये भी कर लूं वो भी. अब लगता है कि जो ज़रूरी है वही करूं. सब नहीं करना.
न्यू नार्मल के तहत जो शूटिंग हो रही क्या उसमें क्रिएटिविटी को नुकसान होता है?
जो भी एहतियात सेट पर बरती जा रही है. वह काफी सहज है. स्क्रिप्ट ऐसी लिखी जा रही जिसमें 25 एक्टर्स का जमावड़ा नहीं होता है. अब पांच एक्टर्स में ही आप अपनी कहानी कहिए. पहले तो 18 लोग सिर्फ पर डे बनाने के लिए खड़े रहते थे. अभी कम है लेकिन सभी को अच्छे रोल मिल रहे हैं. टीवी में आलिंगन और चुंबन इस तरह का कुछ होता ही नहीं खासकर मेरे शोज में तो कोई दिक्कत नहीं.
आप सेट पर प्रभावित हुए हैं ऐसे में अब सेट पर क्या बहुत ध्यान रखते हैं लोगों ने मास्क या पीपीई किट पहना है या नहीं?
ऐसी घटनाएं हो जाती है. किसी का दोष नहीं होता है. सब अपनी अपनी तरफ से पूरी सावधानी बरत रहे हैं. डिस्टेंस बनाकर रखते हैं. मास्क पहनते हैं. पीपीई किट भी बहुत लोग पहनकर रहते हैं. हां लाइट मैन पीपीई किट पहनकर नहीं रह सकता है. वो किट पहनकर आदमी बाल्टी नहीं उठा सकता तो लाइट कैसे उठा पाएगा. ये थोड़ा हमें भी समझने की ज़रूरत है.
Posted By: Divya Keshri