Surbhi Shukla Interview: सीरियल देवों के देव महादेव फेम अभिनेत्री सुरभि शुक्ला इन दिनों धारावाहिक शैतानी रस्में में नजर आ रही हैं. महाभारत, सीआईडी जैसे शोज का हिस्सा सुरभि रही हैं. तीन साल के लंबे अंतराल के बाद वह किसी टेलीविजन शो का हिस्सा बनी हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…..
इस शो से जुड़ने के अहम पहलू आपके लिये क्या रहे ?
ये शो के प्रोड्यूसर महादेव के मेकर्स निखिल सिंहा हैं, जिनके साथ मैंने वह शो किया था, तो ये शो मुझे करना ही था. उस शो में रोहिणी की भूमिका ने मुझे बहुत खास पहचान दी थी. इस के साथ ही शो की कहानी काफी अलग थी. मेरा शो है इसलिए मैं ये नहीं कह रही हूं. यह रेगुलर शो से अलग है. मुझे इस शो में एक्शन करने का मौका मिला है.
ऐसे शोज पर अक्सर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का भी आरोप लगता रहता है?
हम बना रहे हैं क्योंकि दर्शक उसे देख रहे हैं. हमारे बनाने की वजह से दर्शक देख रहे हैं. ऐसा नहीं है. वैसे इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि सकारात्मकता है तो नकारात्मकता भी होती ही है. वैसे हमारा मकसद बस एंटरटेनमेंट का होता है, जो इस शो से हम भी करते हैं.
निजी जिंदगी में आप क्या किसी ख़ास दिन,अंक को ख़ुद के लिए शुभ मानती हैं ?
मैं ब्राह्मण परिवार से आती हूं, तो बचपन से कुंडली इन चीज़ों के बारे में सुनती आयी हूं, लेकिन मैं खुद को आध्यात्मिक ज्यादा कहूंगी. हां अंको में थोड़ा मेरा विश्वास है. मैं 9 नंबर को मानती हूं. यह मेरा जन्मदिन का भी अंक है. मेरी कोशिश रहती है कि कुछ भी खास करूं तो 9 तारीख को करने की कोशिश करूं.
आपने बताया कि यह शो आपको एक्शन करने का मौका दे रहा है, किसी खास सीन का जिक्र आप करना चाहेंगी?
मैंने कुछ समय पहले एक एक्शन शॉट किया था, जिसमे मेरे हाथ पैर बांध दिए गये थे. मेरे दाहिने हाथ में लिगमेंट इंजरी हुई थी. आपके हाथ पैर बंधे हो और आप हवा में झूलते हुए हो तो यह आसान नहीं होता है. मेरे लिए बहुत चुनोतीपूर्ण था. मेरे हाथ का दर्द भी बढ़ गया था. शूटिंग के बाद अपने दाहिने हाथ को आइस पाउच के साथ कई दिनों तक मुझे शूट करना पड़ा था. मतलब शूटिंग के वक्त पैच को उतार देती थी. वरना पूरे समय उसे पहने रहती थी.
आपकी लाइफ डर क्या है ?
अपने पेरेंट्स को खो देने का डर सबसे बड़ा होता है. मैं अपने कैरियर के लिए मुंबई में हूं, जबकि वो उज्जैन में रहते हैं . ऐसे में उनके साथ ज़्यादा समय नहीं बिता पाती हूं तो यह मुझे कई बार बहुत दुखी भी कर जाता है. इसके अलावा लॉन्ग ड्राइव पर नहीं जाना चाहती हूं. मुझे डर लगता है. आसपास लोग बिठाने में मुझे डरते थे क्योंकि मैं पैनिक हो जाती हूं.
आपके पिता उज्जैन में डीएसपी है एक्टिंग में आप कैरियर बनाना चाहती हैं, इस फैसले में उनका कितना सपोर्ट रहा है?
बहुत सपोर्ट रहा है. यह कहने के साथ मैं ये भी बताना चाहूंगी कि उन्हें मनाने में काफी समय गया. मुझसे पहले पूरे परिवार में कभी कोई लड़की बाहर नहीं गयी थी, तो उनको काफी मनाया. बोला कि एक साल का समय दीजिए अगर उसने भी कुछ नहीं हुआ, तो आप जिस भी फील्ड में कैरियर बनाने को कहेंगे. मैं वही करूंगी. पापा मान गए. उनकी बस एक शर्त थी कि इस एक साल में मेरी मां मेरे साथ रहेगी. आखिरकार मैंने खुद को साबित कर दिया. बुरा टाइम आया. अच्छा टाइम आया. वे मेरे साथ रहे हैं. आज उन्हें मुझ पर प्राउड आया है. मेरी बेटी का शो आ रहा है, आपने देखा क्या. वो खुद रिश्तेदारों और दोस्तों को बोलते हैं.
अभिनय की अब तक की जर्नी में मुश्किल वक्त क्या था ?
कोविड के पहले सोशल मीडिया के फॉलोवर्स के नंबर का गेम्स शुरू हो गया था. हर कास्टिंग डायरेक्टर कास्ट करने से पहले यही पूछता था. कहीं ना कहीं वो एक आर्टिस्ट का आप अपमान कर रहे थे. उनको एक्टिंग से नहीं बल्कि फॉलोवर्स से मतलब था. उस वक्त लगा कि इंडस्ट्री छोड़ दूं, लेकिन फिर कोविड आया और उसके बाद चीजें बदल गयी.
क्या टीवी पर ही फोकस रहेगा?
मैंने दो फिल्में की हैं. दो से तीन महीने में वह रिलीज होगी. साउथ की फिल्में हैं. वहां पर मैं लीड रोल कर रही हूं. उसके बाद मैं पांच छह महीने घर पर थी. मुझे लगा कि मुझे बाउंड होकर नहीं रहना चाहिए कि सिर्फ फिल्म करूंगी. मैं हर मीडियम में अच्छा काम करने को तैयार हूं.
भीड़ में आप खास चेहरा हैं, इसका एहसास कब हुआ था?
मैं अपने शो महादेव के प्रमोशन के लिए गयी हुई थी. एमपी का एक छोटा सा शहर था. शो से सिर्फ मैं ही प्रोमोट करने के लिए गयी थी. हम बहुत जद्दोजहद करके वहां पहुंचे थे.फ्लाइट, फिर ट्रैन, फिर कार लेकर वहां तक पहुंचे थे. बहुत अंदर वो जगह थी. एक मैदान था. मैंने दूर से देखा, मुझे लगा कि हजार दो हजार पब्लिक होगी. उससे ज्यादा क्या होगी. जब मैं स्टेज पर पहुंची तो दस हजार से ज्यादा लोग थे. वो सभी लोग रोहिणी रोहिणी बोलकर चिल्ला रहे थे. मैं बस रो देती थी. वो फीलिंग ही अलग थी कि इतने लोग सिर्फ मुझे देखने आये हैं. वो मैं शब्दों में बयां नहीं कर पाउंगी. बहुत ही खास था.
रिपोर्ट- उर्मिला कोरी