अभिनेता भानु उदय छोटे परदे पर कई यादगार मेल सेंट्रिक शोज का हिस्सा रहे हैं. हाल ही में वो रुद्रकाल शो में नज़र आए. भानु खुद को लकी कहते हुए बताते हैं कि उन्होंने खुद की शर्तों पर इंडस्ट्री में खुद को स्थापित किया. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
अभी शूटिंग रुकी हुई है लॉक डाउन है ऐसे में खुद को किस तरह बिजी रख रहे हैं ?
अभी कुछ हफ्ते ही हुए हैं जब हम कोविड से ठीक हुए।मेरा पूरा परिवार संक्रमित हो गया था तो उसी से डील करने में आधा समय निकल गया. निजी तौर पर लॉक डाउन मुझे ज़्यादा परेशान नहीं करते हैं क्योंकि कोविड से पहले भी मेरी कोई बहुत एक्टिव सोशल लाइफ नहीं रही थी।मैं शूटिंग के बाद घर पर ही रहता था. अपना योग और साधना करता था. योग और साधना की वजह से ही कोविड का इन्फेक्शन मुझ पर ज़्यादा नहीं पड़ा.
सीरियलों की शूटिंग इनदिनों मुम्बई से शिफ्ट हो गयी है क्या वजह रही जो रुद्रकाल को शिफ्ट नहीं किया गया ?
जो शोज शिफ्ट हुए हुए हैं।वो इनडोर शो हैं. हमारा जो शो है वो सिर्फ चार दिवारी में नहीं शूट हो सकता है. बहुत ही एक्शन पैक्ड शो है।हमको पूरा एक शहर चाहिए होता है मुम्बई जैसा. हमें बहुत लोगों के मैसेज आ रहे हैं कि नए एपिसोड्स क्यों नहीं आ रहे हैं. अभी हालात ऐसे हैं कि हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते हैं. अभी तो कुछ पता नहीं कि वापस शूटिंग शुरू भी होगी या नहीं या शो ऐसे ही ऑफ एयर हो जाएगा. शो ऑफ एयर भी हो जाता है तो आप निर्माता को दोष नहीं दे सकते हैं. हालात ही ऐसे हैं.
महाराष्ट्र सरकार के शूटिंग को रोके जाने को लेकर अलग अलग तरह की बातें आ रही हैं कई लोग इसके पक्ष में हैं तो कई खिलाफ में भी ?
मैं बताना चाहूंगा कि लॉक डाउन से पहले मैं ने तीन अलग अलग जगहों पर शूटिंग की।एक धारावाहिक रुद्रकाल,एक फ़िल्म की और एक अमेज़न की वेब सीरीज की. हर जगह पर कोविड प्रोटोकॉल्स अलग तरह से फॉलो किए जा रहे थे. कहीं कहीं पर बहुत अच्छे से फॉलो किए जा रहे थे।कहीं थोड़ी बेफिक्री थी कहीं लोग फैल गए थे आधा मास्क मुंह पर आधा गले में तो सरकार के लिए सभी पर पाबंदी लगाना जरूरी था. हमें हालात को समझते हुए जिम्मेदारी से काम करना होगा. जब तक भारत का हर आदमी वैक्सीन नहीं ले लेता है. हमें सख्त पाबंदियों में शूटिंग करनी होगी वरना लॉक डाउन का ही विकल्प बचेगा.
आप उन चुनिंदा टीवी एक्टर्स में हैं जो टीवी में पुरुष प्रधान शोज का चेहरा रहे हैं ?
हां मैं उनलोगों में से हूं जो लगातार ऐसे शोज का हिस्सा रहे हैं. मुझे लगता है कि आपका इंटेंशन क्या है वो ज़रूरी है. मेरा इंटेंशन हमेशा इस तरह का काम करना रहा है. मैंने कभी नहीं सोचा कि बहुत सारा पैसा कमा लूँ. ये खरीद लूं वो खरीद लूं. मेरा हमेशा से इंटेंशन रहा है अच्छे रोल करना रहा है और वो मिल रहा है. टेलीविज़न पर मेल सेंट्रिक जैसा कुछ नहीं होता है लोग कहते हैं. जब मैं मुंबई आया था तो उस वक़्त सास बहू जैसे शोज की धूम थी. मैं उस वक़्त भी मेल सेंट्रिक शो की बात करता था तो लोग मुझे पागल कहते थे. अभी मेरे करियर को आप देखेंगे तो मैं ऐसे शोज का उदाहरण हूं.
आप पर कभी ईएमआई का प्रेशर नहीं रहता ?
मेरे ऊपर ऊपरवाले का बहुत बड़ा ग्रेस है कि मुझे पैसे का बहुत ज़्यादा चस्का नहीं है तो आधी जंग मैंने वही जीत ली क्योंकि जब आप पैसों के लिए काम नहीं करते हैं तो कंटेंट के लिए करते हैं. मेरी पत्नी जो हैं. उनकी सोच भी पैसे को लेकर मेरी जैसी ही है. घर और मेरा काम सबकुछ वहीं मैनेज करती हैं. ये उनको क्रेडिट है कि वो सबकुछ हैंडल कर लेती हैं. जो भी मैं शो कर रहा हूं. उसके पैसे इस तरह से इन्वेस्ट करती है कि मेरे पसंद के अगले शो का हिस्सा बनने तक मुझ पर ईएमआई का कभी प्रेशर नहीं आया.
आपने टीवी,फ़िल्म औऱ वेब तीनों किया है किस तरह से इन तीनों माध्यमों को देखते हैं ?
एक्टर्स की हमेशा ड्रीम होती है कि वो फ़िल्म करें. फिल्में मेरे लिए भी ड्रीम हैं. अभी मैंने एक फ़िल्म खत्म की है. टेलीविज़न जब भी मैं करता हूँ तो मुझे लगता है कि मैं अपने आपको तैयार कर रहा हूं. एनएसडी के बाद मैंने अपना काम टेलीविज़न से ही सीखा है तो वो मेरा ट्रेनिंग ग्राउंड है. वेब का कमाल ये है कि उसमें आप बहुत एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं अगर आपकी टीम बेहतरीन है.
आपकी वेब सीरीज क्रैश कोर्स की शूटिंग क्या पूरी हो गयी है ?
मेरी हो गयी है लेकिन बाकी के कलाकारों की 15 से 20 दिन की शूटिंग रह गयी है. कोटा में शूटिंग होनी थी लेकिन लॉक डाउन लग गया.
एक्टिंग में आपका रुझान कब हुआ था और अब तक की जर्नी कैसी रही ?
मेरे जो बीज बोए गए थे. वो बहुत अच्छे बोए गए थे. जिस वजह से पेड़ भी अच्छा आया. मैंने कभी फिल्में देखकर एक्टर बनने का सोचा ही नहीं था. मैंने थिएटर में एक्टिंग शुरू की और थिएटर में मुझे ये क्राफ्ट पसंद आया. ये स्कूल के समय की बात है. उस वक़्त भी मैं स्कूल का नहीं बल्कि प्रोफेशनल थिएटर करता था. हमारे जम्मू में नटरंग थिएटर हैं. जिन्हें बलवंत ठाकुर साहब चलाते हैं. उनके साथ मैं चिल्ड्रेन थिएटर करता था. फिल्मों में आने से बड़ा मेरा सपना एनएसडी जाना था क्योंकि मुझे अपना काम सीखना था. अपनी शर्तों पर मैंने खुद को स्थापित किया है।जब आपके लक्ष्य अलग होते हैं तो आपकी परेशानियां भी दूसरों से अलग होती है. मेरा लक्ष्य हर काम से बेहतर बनने का है तो रिजेक्शन को भी मैं अपने काम का हिस्सा मानता हूं क्योंकि उससे भी मैं सीखता हूं.