tumbbad:सोहम शाह ने कहा कि नयी फिल्म अच्छी नहीं तो लोग री रिलीज ही देखेंगे.. तुम्बाड 2 पर दिया ये अपडेट
फिल्म तुम्बाड के ओपनिंग डे कलेक्शन पर अभिनेता और निर्माता सोहम शाह ने इस इंटरव्यू में दावा किया कि किसी भी री रिलीज को इतना प्यार नहीं मिला है.आनेवाले दिनों में उन्हें बॉक्स ऑफिस पर मैजिक की उम्मीद है..
tumbbad:री रिलीज के ट्रेंड की वजह से कल्ट मूवी तुम्बाड सिनेमाघरों में लौट आयी है.फिल्म को ओपनिंग डे में जबरदस्त रिस्पांस भी मिला है. इस फिल्म के अभिनेता और निर्माता सोहम शाह बेहद उत्साहित हैं.उन्होंने अपनी इस फिल्म, उससे जुड़ी चुनौतियों और तुम्बाड 2 पर उर्मिला कोरी से बातचीत की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश
तुम्बाड की री रिलीज का आईडिया ऑडियंस का था
अगर आप मेरा सोशल मीडिया जाकर देखेंगी तो मैं चाहे कुछ भी पोस्ट करूं.उसमें लोगों का दो ही कमेंट आता है. तुम्बाड 2 कब बना रहे हैं और तुम्बाड को फिर से रिलीज कर दो. कोई यह नहीं बोलता था कि भाई तुमने चश्मा बहुत अच्छा पहना है या फिर तुम्हारी पैंट बहुत अच्छी है। मैं कितना भी फैशन कर लूं। किसी तरह भी फोटो खिंचवा लूं, लेकिन लोगों को बात बस मेरी फिल्म पर ही करना होता था. मुझे लोग यह बात पिछले तीन-चार साल से लोग कह रहे हैं और पिछले दो-तीन महीने से ट्वीट के कम्युनिकेशन की फ्रिकवेंसी बहुत बढ़ गई.मुझे भी यह महसूस हुआ कि सही टाइम है। अभी इसको रिलीज कर देना चाहिए।
किसी भी री रिलीज को इतना प्यार नहीं मिला
मैंने अपनी फिल्म थिएटर के लिए ही बनाई थी. 2018 में कुछ लोगों ने इसे एक्सपीरियंस किया था.कुछ लोग रह गए थे. फिल्म की री रिलीज के बाद वह एक्सपीरियंस कर पाएंगे. फिल्म के पहले दिन का कलेक्शन जोरदार है. मुझे नहीं लगता कि किसी भी रिलीज को इतना प्यार मिला है. मुझे आने वाले दिनों में और भी अच्छे नंबर्स की उम्मीद है. कुछ मैजिक होने वाला है. आंकड़ों के साथ – साथ मुझे इस बात की भी बेहद ख़ुशी है कि इस फिल्म को बनाने में हमने मेहनत की थी ,तो वह जो मेहनत है.अब लोगों को सही रूप में देखने को मिलेगी. उसका सही रूप यही था कि लोग इस फिल्म को थिएटर में देखें. ओटीटी में नहीं.ओटीटी में मुझे लगता है कि इसका एक्सपीरियंस 30 या 40% ही रह जाता है. फिल्म का पूरा इंपैक्ट लोगों को समझ में नहीं आता है. अभी थिएटर में फिल्म रिलीज हुई है तो मैं इस बात को लेकर बहुत खुश हूं.
नयी फिल्म अच्छी नहीं तो लोग री रिलीज ही देखेंगे
री रिलीज के ट्रेंड को मैं फिल्म इंडस्ट्री और फिल्मों के लिए बहुत अच्छा ट्रेंड मानता हूं . फिल्म से दोबारा रेवेन्यू जुटाया जा सकता है. ये निर्माताओं के लिए बहुत अच्छी खबर है. कस्टमर को अच्छा प्रोडक्ट भी देखने को मिल रहा है. नयी रिलीज फिल्म अच्छी नहीं बनायी गयी है तो लोग उसको छोड़कर री रिलीज फिल्म को देख लेंगे. दर्शकों के लिए अच्छा है कि उनके लिए च्वाइस और बढ़ गई है. इसके अलावा ही ज्यादा रिलीज की टिकट प्राइस भी बहुत कम होती है. भारत में 150 रुपए की टिकट पर कहीं भी देख सकते हैं. दर्शकों के लिए अच्छा है कि सस्ते में अच्छा मटेरियल देखें. वैसे री रिलीज का समीकरण उतना आसान नहीं है थिएटर वाले कम पैसे देते हैं.
2018 इसलिए फिल्म नहीं कर पायी थी कमाई
इस फिल्म को कल्ट का दर्जा दिया है,लेकिन 2018 में फिल्म का टोटल कलेक्शन हमको आज भी बहुत दुख देता है. वैसे इसके दो कारण थे. पहले ऑडियंस इस तरह की कहानियों के लिए उस वक्त रेडी नहीं थी. यह समय से पहले की फिल्म थी.फिल्म की रिलीज भी सही समय पर नहीं हुई थी.हमारी फिल्म का रिलीज के 1 हफ्ते पहले अंधाधुन रिलीज हुई थी और एक हफ्ते बाद बधाई हो तो हमारे फिल्म से दर्शक जुड़ नहीं पाए थे. उस वक्त ऑडियंस इस तरह की फिल्म के रेडी भी नहीं थे.अभी मुझे मुझे लगता है कि यह सही समय है. हमारी फिल्म जेंजी फिल्म है. मौजूदा जनरेशन को रोमांटिक फिल्में नहीं चाहिए बल्कि वह कुछ नया और अलग देखना चाहते हैं. जेंजी जनरेशन के लिए फिल्म है
छह साल फिल्म को बनाने में लगे थे
हमने 6 साल लगाकर बहुत मुश्किल से तुम्बाड फिल्म बनाई है. किस्से हुआ करते थे ना मुग़ल-इ-आज़म के की फिल्म की मेकिंग ऐसे हुई थी . मेरी फिल्म तुब्बाड़ के साथ में ऐसे कई किस्से है.इस फिल्म के लिए मैंने अपनी प्रॉपर्टी तक बेच डाली थी. फिल्म की शूटिंग 2012 में चालू हुई थी. 2013 ,2014 तक चला. 2015 के जनवरी-फरवरी में शूट खत्म हो जाएगा.ऐसा हमको आइडिया था,लेकिन फिल्म का शूट पुश होता चला गया.13 मई 20015 की सुबह 4 बजे आवाज आती है कि इट्स रैप. यह सुनकर मेरी आंखें भर आई थी. मैंने अपनी वाइफ को फोन किया और उसको बताया की फिल्म खत्म हो गई,मुझे लगा अब फिल्म बन जायेगी.यह अलग बात है कि उसके बाद भी 3 साल और लग गए. मगर वह किस्सा मुझे हमेशा याद रहता है.इस फिल्म का वीएफएक्स हमने स्वीडेन से करवाया. फिल्म के डिजाइन में हमने बहुत सारे पापड़ बेले हैं. फिल्म जिस दौर की है उस दौर के ताले बनवाये गए थे.इतनी डिटेलिंग के साथ काम किया.बारिश में फिल्म की शूट हो रही हैउससे सिंक साउंड में भी कई बार मुश्किल हो जाती थी. मुझे लगता है कि इस फिल्म की मेकिंग को लेकर 40 मिनट का एक वीडियो बनना चाहिए.इस पर भी मैं काम कर रहा हूं
तुम्बाड हॉरर नहीं भारत की पहली दन्तकहानी
मेरी प्रॉब्लम यह है कि मुझे तुम्बाड हॉरर फिल्म लगती नहीं है.मेरे हिसाब से यह हॉरर फिल्म नहीं है.हमारे पास शब्द नहीं होते हैं और कुछ फिक्स जॉनर फिल्मों के लिए हैं, तो हम उसे उसी कैटेगरी में डाल देते हैं.यह दादीमां की दंत कहानी है,जो इससे पहले कभी भी भारत में नहीं बनी है.लोगों के इसके बारे में पता नहीं था,इसलिए लोगों ने इसे हॉरर फिल्म का नाम दे दिया. तुम्बाड फिल्म आपको बस थोड़ा बहुत डराती है.इसमें ऐसा कुछ नहीं है कि दरवाजा खुल रहा है और भूत आ रहा है. फिल्म हमारी फिल्म में भूत या आत्मा नहीं है.हमारी फिल्म क्रिएचर है.यह दादी मां की कहानियों की तरह है कि एक राजा था. गुफा में जाता था और वहां पर एक राक्षस था और वह राक्षस से सोने की मुद्राएं लेकर आता था.हमारी कहानी यह है. इसमें मुझे हॉरर कहीं भी नहीं नजर आता है.आप दर्शकों को सही शब्द दे ही नहीं रहे हो.ये हॉरर फिल्म नहीं है,बल्कि भारतीय दंत कथा है. मुझे इस बात पर गर्व है कि हमने भारत की पहली दंत कथा बनाई है. यह मिट्टी की खुशबू लिए हुए कहानी है. मेरे हिसाब से इस फिल्म को वह सम्मान मिलना चाहिए इसलिए मैं अपनी बात रख रहा हूं.
फिल्म के लिए मिला बेस्ट कॉम्पलिमेंट
तुम्बाड फिल्म के लिए हमें बहुत सारे अवार्ड्स मिले हैं. मैं अपने परफॉरमेंस के लिए सबसे यादगार कॉम्पलिमेंट की बात करूं तो हमारी एक फ्रेंड थी.उससे मैं मुंबई के एक रेस्टोरेंट में मिला था.उसकी मदद मुझे चाहिए थी. हम फिल्म को बाहर कहीं बेचना चाहते थे.उनको हमने अपनी फिल्म का ट्रेलर दिखाया.उनको यह बात पता नहीं थी कि फिल्म में मैं एक्टिंग भी कर रहा हूं.फिल्म के ट्रेलर को देखने के बाद उन्होंने कहा कि दिस एक्टर इज वेरी गुड. मैंने उन्हें कहा कि मैं ही हूं,तो वह बहुत ही ज्यादा सरप्राइज्ड हो गई थी.मेरे लिए इससे बड़ा कंप्लीमेंट क्या हो सकता है कि मैं आपकी आंखों के सामने बैठा हूं और आप मुझे पहचान नहीं पा रही है कि स्क्रीन पर मैं ही हूं.यह कंप्लीमेंट में हमेशा याद रखूंगा
हनुमान चालीसा रोज पढता हूं
मैं बहुत ही फट्टू किस्म के इंसान हूं. मैंने अपनी जिंदगी में डेढ़ हॉरर फिल्में देखी है. एक फिल्म थी वीराना उसे पूरी देखी थी.रामगोपाल वर्मा की भूत को मैं आधे में छोड़ कर आ गया था. हॉरर फिल्म देख लूं ,तो मैं कमरे में अकेले सो नहीं पाता हूं. मुझे बेचैनी हो जाती है. फिल्म बनाते हैं,तो आपको डर नहीं लगता है.आपको पता है कि जो दादी का किरदार है. उसमे समद है.आप उससे खुद पूछ लेते हो कि तू ठीक हैं ना. प्रॉस्थेटिक में तुझे दिक्कत तो नहीं हो रही ना.मैंने एक पोस्ट इंस्टाग्राम पर शेयर भी किया था कि मैं लेटा हुआ हूं और बाजू में हस्तर घूम रहा है.वह मेरे लिए बहुत ही आसान था ,लेकिन ऑडियंस के लिए बहुत ही क्रीपी था.लोगों लगता है कि अरे यार विनायक और हस्तर कैसे एक साथ है.वैसे निजी जिंदगी में मैं हनुमान चालीसा पढ़ता हूं. मुझे उससे बहुत ही पॉजिटिव एनर्जी मिलती है. मुझे लगता है कि यह एनर्जी ही है, जो आपको अच्छी-अच्छी चीजें करने के लिए प्रेरित करती है.
अगले साल शूटिंग फ्लोर पर जाएगी तुम्बाड 2
फिल्म तुम्बाडके सीक्वल को लेकर अक्सर हमसे सवाल पूछा जाता है और अब इस सवाल का जवाब मेरे पास आ गया है. तुम्बाड 2 पर पिछले छह साल से प्लानिंग चल रही है.पिछले 6 साल से हम इसकी अगली कहानी को क्रैक कर रहे हैं और अब आखिरकार हमने कुछ लिख लिया है.उम्मीद है कि अगले साल से तुम्बाड 2 शूटिंग शुरू होगी.