सुप्रीम कोर्ट का अभिनेता विजय बाबू की जमानत रद्द करने से इनकार, जानें पूरा मामला
पीठ ने अभिनेता से किसी भी गवाह को प्रभावित न करने या किसी सबूत से छेड़छाड़ न करने और सोशल मीडिया पर किसी भी पोस्ट में पीड़ित को प्रताड़ित न करने का भी निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कथित दुष्कर्म के एक मामले में मलयालम अभिनेता-प्रोड्यूसर विजय बाबू को उच्च न्यायालय से मिली अग्रिम जमानत रद्द करने से बुधवार को इनकार कर दिया और उन्हें बिना अनुमति लिए केरल छोड़कर न जाने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा बाबू पर लगायी जमानत की कुछ शर्तों में संशोधन किया और कहा कि पुलिस उनसे जरूरत पड़ने पर तीन जुलाई के बाद मामले के संबंध में पूछताछ कर सकती है.
सबूत से छेड़छाड़ न करने का दिया निर्देश
पीठ ने अभिनेता से किसी भी गवाह को प्रभावित न करने या किसी सबूत से छेड़छाड़ न करने और सोशल मीडिया पर किसी भी पोस्ट में पीड़ित को प्रताड़ित न करने का भी निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने 22 जून को बाबू को अग्रिम जमानत दी थी. अदालत ने बाबू को इन शर्तों पर राहत दी थी कि वह पूछताछ के लिए 27 जून को जांच अधिकारी (आईओ) के समक्ष ‘‘आत्मसमर्पण” करेंगे.
गवाह से संपर्क या बातचीत नहीं करेंगे
अदालत ने कहा था कि उनसे 27 जून से तीन जुलाई तक सात दिनों के लिए पूछताछ की जा सकती है और वह मामले में पीड़ित या किसी भी गवाह से संपर्क या बातचीत नहीं करेंगे. अदालत ने 31 मई को उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी थी और इसके बाद से समय-समय पर इसकी अवधि बढ़ायी.
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22 अप्रैल को पुलिस में दर्ज करायी थी शिकायत
उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में बाबू ने आरोप लगाया था कि दुष्कर्म का मामला उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए दर्ज कराया गया. उन पर एक अभिनेत्री का यौन शोषण करने और फेसबुक पर लाइव सत्र के जरिए पीड़िता की पहचान उजागर करने का आरोप है. बाबू के प्रोडक्शन हाउस द्वारा बनाई गई फिल्मों में काम कर चुकी महिला ने 22 अप्रैल को पुलिस में शिकायत दर्ज करायी थी और पिछले डेढ़ महीने से अपने साथ हुए कथित शारीरिक तथा यौन शोषण के बारे में फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिए जानकारी दी थी.