TMKOC: क्या आप जानते हैं दिशा वाकनी के रियल लाइफ ‘जेठालाल’ कौन हैं? दिलचस्प है दयाबेन की लव स्टोरी
Tarak Mehta Ka Ooltah Chashmah: तारक मेहता का उल्टा चश्मा हर किसी को पसन्द है. शो का हर एपिसोड लोगों को हंसा-हंसाकर खूब लोटपोट करता है. इस शो में जेठालाल और दयाबेन की जोड़ी लोगों को खूब भाती है. दयाबेन की गजब की एक्टिंग और बोलने के अलग लहजे ने उन्हें टीवी की कॉमेडी क्वीन बना दिया. लेकिन क्या आप जानते है उनके रियल लाइफ जेठालाल कौन है. तो चलिए आपको बताते है दिशा की दिलचस्प लव स्टोरी.
Tarak Mehta Ka Ooltah Chashmah: तारक मेहता का उल्टा चश्मा हर किसी को पसन्द है. शो का हर एपिसोड लोगों को बहुत हंसाता है. इस शो में जेठालाल और दयाबेन की जोड़ी लोगों को खूब भाती है. दिशा वकानी यानी दयाबेन की गजब की एक्टिंग और बोलने के अलग लहजे ने उन्हें टीवी की कॉमेडी क्वीन बना दिया. लेकिन क्या आप जानते है उनके रियल लाइफ जेठालाल कौन है. तो चलिए आपको बताते है दिशा की दिलचस्प लव स्टोरी.
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असल में दिशा वकानी ने मयूर पंड्या से साल 2015 में शादी की हैं. मयूर मुंबई बेस्ड एक चार्टेड अकाउंटेंट है. उन दोनों की एक बेटी भी है. दिशा की लवस्टोरी भी काफी दिलचस्प है. एक इंटरव्यू में दिशा ने अपनी लवस्टोरी बताते हुए कहा, ‘मिले तो थे हम लोग, लेकिन किसी के जरिए हमारी मुलाकात नहीं हुई थी. एक चीज थी जिसके जरिए हम मिले थे और कुछ समय तक हम दोनों मिलते रहे. फिर हमने शादी करने का फैसला लिया था.
वहीं दिशा के पति ने कहा, दिशा से जिस दिन मिला था, उसी दिन मैंने फैसला कर लिया था कि इसी से शादी करूंगा. हम दोनों शुरूआत में एक-दूसरे को जानते नहीं थे. इसलिए मैंने सोचा कि पहले हम-दूसरे को थोड़ा टाइम देते हैं और समझते हैं.
गौरतलब है कि दिशा पंद्रह साल की उम्र से ही गुजराती थिएटर में काम करती आ रही हैं. हिंदी टीवी सीरियल में उन्हें काम करने का पहला मौका धारावाहिक खिचड़ी में मिला था. इसके अलावा उन्होंने ‘फूल और आग (1999)’, ‘देवदास (2002)’, ‘मंगल पांडे: द राइजिंग (2005)’ और ‘जोधा अकबर (2008)’ में भी छोटे मोटे रोल किए.
बता दें कि दिशा का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में एक सामान्य मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता भीम वकाणी रंगमंच पर अपने जौहर दिखाते तो बेटी अपने पिता के रंगमंचीय कौशल पर करीब से नजर रखती. बड़े होते होते एक बात उसके जेहन में रच-बस गई थी कि उनके पिता अपने नाटकों की हीरोइनों से परेशान रहते हैं. क्योंकि उस दौर में गुजराती लड़कियों का थिएटर में आने का चलन था नहीं, ऐसे में लड़कों को लड़कियां बनाना पड़ता था. तभी दिशा ने सोच लिया था कि वह अपने पिता के नाटकों की हीरोइन बनेगी और हुआ भी कुछ ऐसा ही. उन्होंने ड्रामेटिक्स में पढ़ाई की और न सिर्फ अपने पिता के साथ रंगमंच पर जुगलबंदी की बल्कि छोटे परदे का बड़ा नाम बन गईं.
Posted By: Divya Keshri