वेब सीरीज – ग्यारह ग्यारह
निर्माता – करण जौहर और गुनीत मोंगा
निर्देशक – उमेश बिष्ट
कलाकार -कृतिका कामरा, राघव जुयाल,धैर्य करवा ,ब्रजेश कालरा,गौतमी कपूर,हर्ष छाया, नितेश पांडेय और अन्य
प्लेटफार्म – जी 5
रेटिंग -तीन
gyaarah gyaarah वेब सीरीज जी 5 के प्लेटफार्म पर स्ट्रीम कर रही है.इस सीरीज और फिल्म किल का खास कनेक्शन है.दोनों के ही निर्माण से करण जौहरऔर गुनीत मोंगा का नाम जुड़ा है.इसके साथ ही दोनों ही प्रोजेक्ट कोरियाई सिनेमा से प्रभावित है.यह सीरीज कोरियाई शो सिग्नल का भारतीय संस्करण है. इसके साथ ही इन दोनों ही प्रोजेक्ट में राघव जुयाल की जबरदस्त उपस्थिति है.अब सीधे इस वेब सीरीज पर आते हैं. यह सीरीज पूरी तरह से आपराधिक इन्वेस्टीगेशन पर आधारित है. टाइम ट्रैवल के अनूठे बैकड्रॉप और ट्रीटमेंट के अलावा कलाकारों के जबरदस्त परफॉरमेंस की वजह से यह सीरीज एंगेज रखने के साथ – साथ एंटरटेन भी करती है.सीरीज में कुछ खामियां भी रह गयी है. टाइम ट्रेवल के बारे में सीरीज में एक दो संवादों को जोड़ दें तो ना के बराबर बात हुई है.सीरीज से जुड़े कई अहम सवाल अगले सीजन तक टाल दिए गए हैं,जो बात अखरती है.
टाइम ट्रैवल की मदद से अपराध और अपराधी को रोकने की है कहानी
इस सीरीज की कहानी 1990 , 2001 और 2016 के कालखंडों को आपस में जोड़ती है.कहानी पर आये तो उत्तराखंड सरकार जल्द ही एक बिल पास करने वाली है, जिसके तहत 15 साल पुराने सभी अनसुलझे केस बंद हो जाएंगे.इससे एक मां(गौतमी कपूर ) बेहद आहत है.वो अपनी 8 साल की बेटी की हत्या के लिए इन्साफ की गुहार लगा रही है.इस केस को भी 15 साल होने वाले हैं.सरकार के नए बिल लाने की कवायद से पुलिस में नयी भर्ती हुआ युग (राघव जुयाल )भी बहुत परेशान है,क्योंकि वो आठ साल की बच्ची उसकी बचपन की दोस्त थी.इस केस को 15 साल पूरे होने में तीन दिन बचे हैं.युग इस केस को तीन दिनों में पूरा करने का फैसला करता है.वह सबूतों को तलाशने में जुट जाता है. पुरानी फाइलों को ढूंढते हुए कबाड़ में पड़े एक वॉकी टॉकी से अचानक रात 11 बजकर 11 मिनट पर उसका सम्पर्क एक पुलिस ऑफिसर शौर्य अंतवाल (धैर्य कारवा )से हो जाता है, जो 15 साल पहले इस केस का इंचार्ज था. उसकी मदद से युग इस केस को अपने सीनियर अफसर वामिका (कृतिका कामरा )के साथ मिलकर सॉल्व करने में कामयाब हो जाता है.जिसके बाद वामिका और युग को पुराने केसेज को सॉल्व करने के डिपार्टमेंट से ही जोड़ दिया जाता है. युग और शौर्य अंतवाल एक दूसरे की मदद अपने -अपने टाइम पीरियड में अपराध को रोकने और अपराधियों को पकड़ने में करते हैं. सीनियर ऑफिसर वामिका इन सबसे अनजान है.वैसे शौर्य अंतवाल से वामिका का प्यार का रिश्ता है. वह उसका ही इन्तजार कर रही है,क्योंकि 2001 से शौर्य अंतवाल गायब है. शौर्य और युग 11 बजकर 11 मिनट पर ही कैसे एक दूसरे से जुड़ते हैं.शौर्य अंतवाल का क्या हुआ.वह वर्तमान में क्यों नहीं है.क्या अतीत को बदला जा सकता है. क्या इन सवालों के जवाब भी यह सीरीज देगी या आपको अगले सीजन का इसके लिए इंतजार करना होगा.
सीरीज की खूबियां और खामियां
यह सीरीज टाइम ट्रेवल के बैकड्रॉप पर बनी है, लेकिन मूल रूप से यह एक क्राइम ड्रामा शो है.शो के पहले चार एपिसोड में कहानी एक ही केस के इर्द गिर्द घूमती है.बाकी के चार एपिसोड में दो और केसेज को दिखाया गया है, सीरीज की शुरुआत स्लो होती है. सबसे ज्यादा रोमांच पांचवें और छठे एपिसोड में आता है ,लेकिन आठों एपिसोड में कहानी में जिस तरह से इन्वेस्टिगेशन के पहलू को गुंथा गया है. वह रोमांच के साथ सस्पेंस भी बरकरार रहता है. आप यह जानना चाहते हैं कि आगे क्या हुआ. सीरीज के निर्देशक उमेश बिष्ट की तारीफ़ करनी होगी. इस सीरीज में कहानी लगातार अतीत और भविष्य में आती जाती रहती है. इसके साथ ही कहानी के सब प्लॉट्स भी हैं, लेकिन ये आपस में उलझते नहीं है. किरदारों में भी बहुत लेयरिंग है. सीरीज में पुलिस के काम करने के तौर तरीके को डिटेल में दिखाया गया है.जिसमें न्याय प्रणाली की खामियों को भी दिखाया गया है. हालांकि नयापन नहीं है,लेकिन यह आपको बांधे रखता है. इससे इंकार नहीं है.सीरीज का वीएफएक्स थोड़ा और बेहतर हो सकता था .सीरीज की कहानी को उत्तराखंड में स्थापित किया गया. वहां की पहाड़ियां और वादियां इस क्राइम ड्रामा में एक अलग ही टच देते हैं. चूँकि टाइम ट्रेवल की कहानी है,तो पहाड़ों में आसानी से 90 के दशक और 2016 दोनों को दिखा दिया गया है. वैसे 15 साल पुराने लुक में कृतिका कामरा को उस तरह से युवा नहीं दिखा पाए हैं, जैसी कहानी की जरुरत थी.वह दोनों ही टाइमलाइन में एक जैसी ही दिखती हैं.बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा बन पड़ा है, तो संवाद भी कहानी के साथ न्याय करते हैं.
कलाकारों का शानदार परफॉरमेंस
अभिनय की बात करें तो किल के बाद इस वेब सीरीज में भी राघव जुयाल अपने अभिनय से छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं.उन्होंने किल से बिलकुल अलग अभिनय का रंग इस सीरीज में प्रस्तुत किया है , जो अभिनेता के तौर पर उनके रेंज को भी दर्शाता है तो धैर्य करवा भी अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं.अपनी कद काठी और बॉडी लैंग्वेज से वह एक पुलिस ऑफिसर के किरदार के साथ बखूबी न्याय करते हैं.कृतिका कामरा भी अपनी भूमिका में जमी हैं.इमोशनल दृश्यों में वह खास तौर पर प्रभावित करती हैं.हर्ष छाया का किरदार कई बार अनदेखी में उनके किरदार की भी याद दिला देता है.गौतम कपूर ,मुक्ति मोहन,बृजेश कालरा,गौरव शर्मा सहित बाकी के किरदारों ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.दिवंगत अभिनेता नितेश पांडेय को एक बार फिर परदे पर देखना अच्छा लगता है.