Exclusive: साइंस का स्टूडेंट था हाफ सीए के लिए एकाउंट्स को समझना पड़ा – ज्ञानेंद्र त्रिपाठी
ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने फिल्म को लेकर कहा, टीवी का अलग सर्कल है फिल्म और वेब सीरीज का अलग. मैंने टीवी छोड़ दिया. फिल्म गब्बर इज बैक एक सीन मिला था वो काफी पसंद किया गया था. उसके बाद रात अकेली है, पूर्णा आयी तो लोगों ने नोटिस किया. संघर्ष अभी भी जारी है.
अमेज़न मिनी टीवी पर इन-दिनों वेब सीरीज हाफ सीए स्ट्रीम कर रही है. इस सीरीज में अभिनेता ज्ञानेंद्र त्रिपाठी, नीरज भैया के किरदार में सराहे जा रहे हैं. ज्ञानेंद्र से उनकी इस सीरीज उसे जुड़ी तैयारी और आनेवाले प्रोजेक्ट्स पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत….
हाफ सीए से कितना फुल रिस्पॉस आपको मिल रहा है ?
जितना मैंने उम्मीद किया था. उससे बेहतर रिस्पॉस है. बहुत सारा प्यार बहुत सारे मैसेजेस इन्ही को इन-दिनों बटोर रहा हूं. नीरज भैया का किरदार सभी को काफी पसंद आ रहा है.
नीरज भैया के किरदार ने एक एक्टर के तौर पर आपके सामने क्या चुनौती रखी?
सबसे पहली चुनौती यही थी कि मैं दर्शकों को यह यकीन दिला पाऊं कि मैं उस एज ग्रुप में हूं क्योंकि मेरी स्टूडेंट लाइफ खत्म हुए दस साल हो चुके हैं तो मैंने बॉडी लैंग्वेज में लाना पड़ा. रियल लाइफ में मैं साइंस का स्टूडेंट हूं, जबकि यहां मैं एकाउंट्स पर बात कर रहा हूं, तो थोड़ा उसको भी समझा ताकि वो सिर्फ बोलते हुए एक शब्द की तरह ना लगे. मेरे पिता की निजी जिंदगी में मृत्यु 2014 में हो गयी थी और इस किरदार की बॉन्डिंग अपने पिता के साथ काफी अलग है, तो मुझे उसपर भी काम करना पड़ा था. यह इमोशनली भी थोड़ा मुश्किल था.
रियल लाइफ में आप किसी परीक्षा में असफल हुए हैं?
मैंने बीएससी ऑनर्स किया है. मैं साइंस का स्टूडेंट था. उसके बाद मैं एफटीआईआई चला गया. वहां पहली बार में मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ था. मैंने दूसरी बार कोशिश की तो मेरा सिलेक्शन हुआ, तो वो जद्दोजहद से मैं भी गुजरा हूं कि किसी तरह से मेरा सिलेक्शन हो जाए.
यह भी टीवीएफ का शो है, इस तरह का शो एस्पिरेंट्स में भी था?
एक मायने में फॉर्मेट है कि कुछ लोग हैं, जो एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं. उसको हटा दिया जाए तो काफी अलग भी है. मैंने कोशिश की है कि इसको बाकि जो किरदार हैं. उनसे मैं काफी अलग रखूं. इस किरदार का अपने पिता के साथ और खुद के साथ उसको अलग नज़रिये से देखने की कोशिश की गयी है.
क्या आपके किरदार नीरज भैया को लेकर स्पिन ऑफ की भी तैयारी है, जैसा एस्पिरेंट्स में संदीप भैया का किरदार का बना था ?
वो मेकर्स के जेहन में हो तो अलग बात है. मुझे आईडिया नहीं है.
ऐसे शोज से क्या स्टूडेंट्स और माता पिता की सोच में बदलाव आता है क्या ?
मुझे लगता है कि आता है क्योंकि कई सारे स्टूडेंट्स हैं, जिनके मैसेज आए कि बहुत धन्यवाद ऐसा शो बनाने के लिए. मैंने दो बार कोशिश करने के बाद छोड़ दिया था. अब मैंने फिर अपना फॉर्म भरा है. मेरी सिस्टर इन लॉ का फ़ोन आया उन्होने कहा कि मेरा बेटा सीए कर रहा है. मुझे नहीं पता था कि वह इतने मुश्किलों से जूझ रहा है और हम सिर्फ उस पर दबाव डाल रहे थे. इस सीरीज को देखने के बाद अब मैं उसे सपोर्ट करना चाहूंगी.
आपका परिवार ने एक्टर बनने के आपके फैसले को कितना सपोर्ट किया था?
मेरे लिए आसान था किसानों के परिवार से हूं. मैं भोपाल से हूं. लोअर मिडिल परिवार था. मेरे परिवार का मैं पहला ग्रेजुएट था. उन्हें कुछ पता ही नहीं था. मैं खुद से ही सबकुछ करता था.मेरे परिवार को लगता था कि ये खुद से जो कर रहा है. अच्छा कर रहा है, तो मेरे हर फैसले में उन्होने मुझे सपोर्ट किया. मेरे माता पिता को एफटीआईआई का नाम भी नहीं पता था. मेरा जब सिलेक्शन हुआ, तो मैं बहुत खुश था, लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा क्या हो गया है, जो मैं इतना खुश हूं.
पहला मौका कब मिला था और अब तक की जर्नी में संघर्ष क्या रहा ?
2011 में एफटीआईआई से पास हुआ था, लेकिन पहला मौका उससे पहले ही मिल गया था. क्राइम पेट्रोल के लिए मेरे एक सीनियर ऑडिशन देने के लिए पुणे से मुंबई आ रहे थे. मैं भी उनके साथ आ गया और हालात कुछ ऐसे बने कि मैंने भी ऑडिशन दे दिया. सीनियर के बजाय मेरा सिलेक्शन हो गया. उसके बाद कोर्स खत्म किया तो क्राइम पेट्रोल में बड़े रोल में दिखने लगा. सबकुछ अच्छा चल रहा था, पहचान और पैसे मिल रहे थे लेकिन समझ आ गया कि इससे बंध गया हूं.एक पहचान बनाना फिर उसे तोडना था. टीवी का अलग सर्कल है फिल्म और वेब सीरीज का अलग. मैंने टीवी छोड़ दिया. फिल्म गब्बर इज बैक एक सीन मिला था वो काफी पसंद किया गया था. उसके बाद रात अकेली है, पूर्णा आयी तो लोगों ने नोटिस किया. लम्बा समय लगा. संघर्ष अभी भी जारी है. मुझे लगता है कि संघर्ष सभी की जिंदगी में होता है, चूंकि हम एक्टर्स हैं. हमें प्लेटफार्म मिल जाता है, तो हम अपना संघर्ष बता देते हैं.
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