Sikandar Ka Muqaddar: इस एंगेजिंग थ्रिलर ड्रामा में कमाल कर गए हैं जिमी और अविनाश

Sikandar Ka Muqaddar: तम्मना भाटिया, अविनाश, राजीव मेहता स्टारर 'सिकंदर का मुकद्दर' ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो गई है. फिल्म का निर्देशन नीरज पांडे ने किया है.

By Urmila Kori | November 29, 2024 6:37 PM
an image

फ़िल्म- सिकंदर का मुक्कदर
निर्माता और निर्देशक- नीरज पांडे
कलाकार- अविनाश तिवारी, जिमी शेरगिल, तमन्ना भाटिया, और अन्य
प्लेटफार्म- नेटफ़्लिक्स
रेटिंग -तीन

निर्माता निर्देशक नीरज पांडे हिंदी सिनेमा में अपनी थ्रिलर फ़िल्मों के लिए जाने जाते हैं. हालांकि, उनकी पिछली फिल्म औरों में कहां दम था एक रोमांटिक फिल्म थी, लेकिन सिकंदर का मुकद्दर से वह थ्रिलर जॉनर में लौट आए हैं, जो उनकी खासियत है और एक बार फिर वह एक एंगेजिंग थ्रिलर ड्रामा सिनेमा पर्दे पर रच गए हैं.जिसमे उनका साथ फ़िल्म के दोनों अभिनेता जिमी और अविनाश बखूबी देते हैं .

हीरों की चोरी की है कहानी

फ़िल्म की कहानी 2009 से शुरू होती है. एक ज्वेलरी एक्सहिबिशन चल रहा है. अचानक से एक आदमी फ़ोन पर वहां मौजूद पुलिस वाले को जानकारी देता है कि चार हमलावर ज्वेलरी एक्सहिबिशन लूटने के इरादे से एंट्री कर चुके हैं . पुलिस को इससे पहले कुछ समझता . चारों हमलावर ने हमला बोल दिया होता है , लेकिन पुलिस भी सूझ बूझ दिखाते हुए उनको मार गिराती है लेकिन मालूम पड़ता है कि 60 करोड़ के हीरो की चोरी हो गई है . मुंबई के सबसे प्रसिद्ध डिटेक्शन ऑफिसर जसविंदर ( जिमी शेरगिल) को बुलाया जाता है . तफ्तीश में तीन आरोपी सामने आते हैं स्टोर मैनेजर मंगेश (राजीव मेहता )स्टोर में काम करने वाली कामिनी ( तमन्ना भाटिया)और कंप्यूटर का जानकर सिकंदर ( अविनाश) .पूछताछ के दौरान जसविंदर का इंस्टिंक्ट यानी मूलवृद्धि सिकंदर को चोर मानता है ,लेकिन सिकंदर ख़ुद को बेगुनाह बताता है.अदालत भी सभी को बेगुनाह बता देती है , लेकिन जसविंदर मानने को तैयार नहीं है .जसविंदर हर तरह से कोशिश करता है कि सिकंदर अपनी गुनाह को मान लें . पुलिस स्टेशन से पीटने से लेकर बेल पर रिहा होने के बाद उसका जॉब , घर सबकुछ वह उससे छीन चुका है . सिकंदर , जसविंदर को कहता है कि एकदिन वह उसे बेगुनाह मानेगा और उससे माफी मांगेगा.यह सबकुछ 15 साल के टाइम फ्रेम में चल रहा है . इस टाइम पीरियड में जसविंदर ने भी अपना बहुत कुछ खोया है . एक दिन जसविंदर फोन कर सिकंदर को माफ़ी मांगने के लिए बुलाता है . क्या वाकई जसविंदर का इंस्टिंक्ट ग़लत था, तो 60 लाख के हीरों की चोरी किसने की थी .इन सब सवालों के जवाब फ़िल्म आख़िरी के 30 मिनट में देती है.

फिल्म की खूबियां और ख़ामियाँ

ढाई घंटे की इस फ़िल्म की शुरुआत ही हीरों की चोरी से हो जाती है . कहानी तेज रफ़्तार से आगे बढ़ती है लेकिन फिर गोते खाने लगती है . फ़िल्म भविष्य और अतीत में आने जाने लगती है .दो कहानियां एक साथ चलती है . एक बेगुनाह की जद्दोजहद और दूसरा एक पुलिस क़ा इंस्टिंक्ट .फ़िल्म इंगेज करके रखती है , लेकिन उसका अंत चौंकाता नहीं है . कई सवाल भी आते हैं कि तमन्ना का किरदार छोटा डायमंड अपने नाखून में छिपा लेता है ,लेकिन उस वक्त किस तरह से उसने छिपाया था .फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक रोमांच को बढ़ाता है .खामियों में गीत संगीत है .जो इस थ्रिलर की गति को बाधित करते हैं .इसके साथ ही फ़िल्म में महिला पात्रों की अनदेखी की गई है.जोया अफरोज,रिद्धिमा पंडित और दिव्या दत्ता को करने के लिए कुछ खास नहीं था. तमन्ना के किरदार का स्क्रीन टाइम तो है लेकिन गहराई नहीं है l बाक़ी के पहलू कहानी के अनुरूप हैं .

अविनाश और जिमी का है कमाल

अभिनय की बात करें तो यह फ़िल्म अविनाश और जिमी शेरगिल की है,जो चोर पुलिस की तरह एक दूसरे के आगे पीछे हैं . दोनों ने अपने अभिनय से इस फ़िल्म को और रोचक बनाया है. तमन्ना ने उनका अच्छा साथ दिया है हालांकि उनके किरदार में गहराई की कमी रह गई है .

राजीव मेहता के लिए फ़िल्म में करने को कुछ खास नहीं था. बाक़ी के किरदार भी कहानी में दिए गए सीमित स्पेस के साथ न्याय करते हैं.

Also Read: Dhai Aakhar Movie Review:शादी में प्यार और सम्मान की अहमियत को है समझाती – Prabhat Khabar

Exit mobile version