The Elephant Whisperers: द एलीफेंट व्हिस्परर्स ने ऑस्कर में इतिहास रच दिया. एक शॉर्ट ड्रॉक्यमेंट्री फीचर वह करने में कामयाब रही जो लगान और मदर इंडिया नहीं कर पाये. इस फिल्म ने भारत को ऑस्कर दिलाया और देश को गर्व करने का एक और मौका. फिल्म ने 95वें अकादमी पुरस्कारों में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट का पुरस्कार जीता. समारोह में सबसे अद्भुत क्षणों में से एक में जब फिल्म के निर्देशक कार्तिकी गोंजाल्विस ने यह पुरस्कार भारत को समर्पित किया.
मुंबई में रहने वाली कार्तिकी गोंजाल्विस एक फोटो जर्नलिस्ट और फिल्म निर्माता हैं, जिनका काम वन्य जीवन, पर्यावरण और प्रकृति पर केंद्रित है. वह अपने काम के जरिये संस्कृति, समुदायों और उनके कनेक्शन से जुड़े विषयों की खोज करती हैं. उन्होंने भारत के जनजातीय समुदायों और प्रकृति के साथ उनके संबंधों का दस्तावेजीकरण करने के लिए दूर-दूर की यात्रा की है. एलिफेंट व्हिस्परर्स की जड़ें भी इसी विषयवस्तु में हैं. ऑस्कर में अपने स्वीकृति भाषण के दौरान उन्होंने ‘मेरी मातृभूमि भारत’ को पुरस्कार समर्पित किया.
द एलिफेंट व्हिस्परर्स एक डॉक्यमेंट्री शॉर्ट फिल्म ऑस्कर जीतने वाली भारत की पहली फिल्म बन गई है. कार्तिकी गोंसाल्वेस निर्देशित यह फिल्म एक कपल और एक अनाथ हाथी के बच्चे बीच विकसित होने वाले बंधन से दर्शाता है. तमिलनाडु के मुदुमलाई नेशनल पार्क में स्थित द एलिफेंट व्हिस्परर्स बोम्मन और बेली नाम के एक स्वदेशी जोड़े की कहानी कहता है, जिन्हें रघु नाम के एक अनाथ हाथी के बच्चे को सौंपा गया है. कहानी ट्रैक करती है कि दंपति और हाथी के बीच एक मजबूत बंधन कैसे विकसित होता है क्योंकि वे घायल शिशु को स्वास्थ्य को ठीक करने की कोशिश करते हैं. यह उस विषय को दिखाने की कोशिश करता है कि कैसे भारत के आदिवासी प्रकृति के साथ सद्भाव के साथ रहते हैं.
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बता दें कि पिछले पांच दशकों में मदर इंडिया और लगान से लेकर डॉक्यूमेंट्री और एनिमेटेड फीचर तक कई भारतीय फिल्मों को प्रतिष्ठित पुरस्कारों में नामांकित किया गया था, लेकिन अंतिम में असफल रही. कई विशेषज्ञों और ट्रैकर्स ने भारतीय लघु फिल्म के ऑस्कर जीतने की भविष्यवाणी की गई थी क्योंकि इसे कई मंचों पर बेशुमार प्यार मिला था.