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Cyclone Yaas In Jharkhand : गढ़वा में 5 दिनों तक चक्रवाती तूफान का दिखेगा असर, 100 मिमी से अधिक बारिश की संभावना

Cyclone Yaas In Jharkhand (गढ़वा) : चक्रवाती तूफान यास का प्रभाव गढवा जिले में 26 मई से अगले 5 दिनों तक रहने की संभावना है. वैसे इसका सर्वाधिक प्रभाव 27 मई की सुबह से 28 मई की सुबह तक ज्यादा रहेगी. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, अगले 5 दिनों में कुल 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश होगी.

Cyclone Yaas In Jharkhand (पीयूष तिवारी, गढ़वा) : चक्रवाती तूफान यास का प्रभाव गढवा जिले में 26 मई से अगले 5 दिनों तक रहने की संभावना है. वैसे इसका सर्वाधिक प्रभाव 27 मई की सुबह से 28 मई की सुबह तक ज्यादा रहेगी. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, अगले 5 दिनों में कुल 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश होगी.

आगामी 5 दिनों में गढ़वा जिले में आकाश में बादल छाये रहेंगे और कहीं हल्की, तो कहीं अच्छी बारिश होगी. इस दौरान हवा की गति अधिकतम 20 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की संभावना है. इसके साथ ही अगले 3 दिनों में मेघ गर्जन/वज्रपात के साथ बारिश होगी और कहीं-कहीं बड़े पेड़ गिर सकते हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार ने बताया कि इस दौरान लोग लंबे पेड़, बिजली के खंभें, टेलीफोन के खंभों आदि के नीचे खुद या अपने पशुओं को नहीं रखें. इस दौरान तालाब व नदी में भी ना उतरें. उन्होंने कहा कि भारी बारिश के कारण फसल/सब्जियों के खेतों में जल जमाव हो सकता है. इससे बचाने के लिए जल निकास की उत्तम व्यवस्था रखें. उल्लेखनीय है कि 100 एमएम बारिश खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इससे खेतों में पर्याप्त पानी जमा हो जायेगा.

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रोहिणी नक्षत्र शुरू हो गया है किसान तैयारी करें : डॉ अशोक कुमार

डॉ अशोक कुमार ने बताया कि 25 मई यानी मंगलवार को 1:17 बजे दिन से रोहिणी नक्षत्र प्रकृति में प्रवेश कर चुका है. रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही खरीफ का कार्य शुरू हो जाता है. इसलिए अब इस चक्रवाती तूफान से होनेवाली बारिश को एक अवसर में परिवर्तित करने का समय आया है.

इस बारिश के बाद जैसे ही खेत जुताई के लायक हो जाये, कृषक बहन-भाई दलहन-तिलहन की बुवाई शुरू कर दें और धान के बिचड़ा के लिए नर्सरी डाल दें. इस बरसात के बाद वर्तमान में खरीफ फसल मुख्य रूप से सब्जियों में कीट बीमारी का प्रकोप हो सकता है. कीट का आक्रमण होने पर कीटनाशक का प्रयोग करें और बीमारी का आक्रमण होने पर कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेकर फसल का उपचार करें.

Posted By : Samir Ranjan.

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